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1. एक  समय  था   जब  बामियान - से - बोरबोदर   तक  हिन्दू  संस्कृति  की  गौरव  पताका  फहराया  करती  थी . विश्व   का  सबसे  बड़ा  हिन्दू  मंदिर  अंकोरवाट  कम्बोडिया  ( काम्बोज ) में  है . गांधार   से  लेकर  पूर्वी  एशिया  के  लाओ  देश  तक  का  क्षेत्र  सवर्ण  भूमि - या - हिन्द - एशिया  कहलाता  था . आज  भी  बैकांक  हवाई  अड्डे  का  नाम  संस्कृत  में  है . जिसका  अर्थ    सवर्ण भूमि   है . यहाँ  प्रवेश  करते  ही   सागर  मंथन  की  शिल्पकृति  के  दर्शन  होते  हैं .


2. भारत  की  आज़ादी  की  तारीख  पहले  6 जून  1948 घोषित  की  गई  थी . बाद  में  इसको  अचानक  बदलाव  करके  15 अगस्त  1947 किया  गया .  जो  लाखों  लोगो ( करीब  20 लाख ) की  मौत  का  कारण  बना . ' कुलदीप  नैयर ' ने  जब  वर्षो  बाद  ' लार्ड  माउंट बेटन  ' से  इसका  कारण  पूछा  तो  उनका  जबाब  था  ' हालात  मेरे  हाथ  से  खिसकते  जा  रहे  थे . सिखों  ने  पंजाब  में  हथियार  उठा  लिए ,  कोलकाता  में  संहार  हुआ . 1 अगस्त   1947 को  सिमा - बल  का  गठन  हुआ . इसमें  55000 लोग  थे . जिनमे  ब्रिगेडियर  ' अयूब  खान ' भी  थे , जो  बाद  में  पाकिस्तान  के  राष्ट्रपति  बने . इस  बल  में  ब्रिटिश  अधिकारी  ज्यादा  थे  जिनका  ध्यान  सिर्फ  यूरोपीय  लोगो  को  बचाने  और  खुद  सुरक्षित  ब्रिटेन  लौटने  में  था .

3. 1971 में  पूर्वी  पाकिस्तान  में  गृह  युद्ध  छिड़ा . दरअसल   पूर्वी  पाकिस्तान  अलग  देश  बनना   चाहता  था . भारत  ने   पूर्वी  पाकिस्तान  की  मदद  के  लिए  सेना  भेजी  . कई  दिन  के  युद्ध  के  बाद  90000 पाकिस्तानी  सैनिको  ने  भारतीय  सैनिको  के  सामने  आत्मसमर्पण  कर  दिया . पूर्वी   पाकिस्तान  आज़ाद  होकर  नया  देश  ' बांग्लादेश ' बना .


4. ब्रिटेन  की  औद्योगिक  क्रांति  से  पहले  फैक्ट्रियों  में  मज़दूर  10-16 घंटे  काम  करते  थे . 1810 में  ' Robert Oaen' ने  काम  के  घंटे  10 करने  की  मांग  रखी . 1817 में  इस  मांग  पर  विचार  किया  गया . एक  दिन  काम  करने  के  8 घंटे  तय  किये  गए . नारा  दिया  गया  की  8 घंटे  काम , 8 घंटे  मनोरंजन , 8 घंटे  आराम . 1847 में  महिलाओं  और  बच्चो  के  लिए  10 घंटे  तय  किये  गए . दुनिया   के  अधिकांश  कामगारों  को  8 घंटे  की  सीमा  के  लिए  २० वीं  शताब्दी  तक  इंतज़ार  करना  पारा . 21 अप्रैल   1856 में  ऑस्ट्रेलिया  के  मेलबोर्न  शहर  के  राज  मज़दूरों  ने  8 घंटे  काम  की  मांग  को  लेकर  संसद  भवन  की  और  मार्च  किया .  इस  विरोध  प्रदर्शन  में  वो  सफल  रहे . इसी  से  प्रेरित  होकर  1 मई  को  मज़दूर  दिवस  के  रूप  में  मनाया  जाता  है .  

 

5. इंग्लैंड  ने  जांजीबार  को  1896 में  38 मिनट  में  युद्ध  हरा  दिया  था . ( जांजीबार   ने  आत्मसमर्पण  कर  दिया  था ) 


 

6. ' Evi Mike' नामक  हाइड्रोजन   बम  के  परीक्षण  ने  1952 में  धरती  के  नक़्शे  से  प्रशांत  महासागर  के  'Elugulab Eyeland' को  हमेशा  के  लिए  उड़ा  दिया  था . हिरोशिमा  पर  डाले  गए  बम  से  यह  750 गुना  शक्तिशाली  था .


7. नीलमत  पुराण  में  कश्मीर  किस  तरह  बसा  इसका  उल्लेख  है . कस्यप   मुनि  को  इस  भूमि  का  निर्माता  माना  जाता  है . उनके  पुत्र  ' नील ' इस  प्रदेश  के  पहले  राजा  थे . 14 वीं  सदी  तक  ' बोध  और  शैव ' मत  परस्पर  पल्ल्वित  होते  रहे . काशी  के  बाद  कश्मीर  को  ज्ञान  की  नगरी  के  रूप  में  जाना  जाता  था . जब  ' अरबों  ' की  ' सिंध ' पर  विजय  हुई  तो  सिंध  के  राजा  दाहिर  के  पुत्र  राजकुमार  जयसिंह ने  कश्मीर  में  शरण  ली . राजकुमार  के  साथ  ' सीरिया ' निवासी  उसका  मित्र  हमीम  भी  था . कश्मीर  की  धरती  पर  पांव  रखने  वाला  यह  पहला  मुस्लिम  था . अंतिम   शासिका  ' Kotarani' के  आत्म  बलिदान  के  बाद  ' पर्शिया ' से  आये  मुस्लिम  मतप्रचारक  ' शाहमीर ' ने  राजकाज  संभाला  और  यहीं  से  ' दारूल  हरब ' को  जबरन  हिंसा  के  रास्ते  ' दारूल  इस्लाम ' में  तब्दील  करने  का  सिलसिला  चल  पड़ा .



8. अंग्रेजों  ने  दिल्ली  को  भारत  की  राजधानी  सन  1911 ईस्वी  में  बनाया  था . उससे  पहले  कोलकाता  भारत  की  राजधानी  थी . दिल्ली  पर  अंग्रेजो  का  अधिकार  1803 ईस्वी  में  हुआ . ब्रिटिश  सरकार   ने  1858 में  भारत  शासन  अधिनियम  के  अंतर्गत  भारत  में  ' परिसंघीय प्रणाली  ' की  स्थापना  की .



9. द्वितीय  विश्व  युद्ध  में  जापान  के  सबसे  ज्यादा  लोग  मारे  गए . जापान  के  डॉ . और  वैज्ञानिको  ने  मनुष्यों  पर  द्वितीय  

 विश्व  युद्ध  के  दौरान  ' अमानवीय  प्रयोग ' किये थे .


10. ईस्ट  इंडिया  कंपनी  की  स्थापना  सन  1600 ईस्वी  में  हुई .  


11. व्यापार  के  लिए  भारत  में  तिथिवार  आगमन -- पुर्तगाली , अंग्रेज , डच ( होलेण्ड ) , फ्रेंच ( फ्रांस ) का हुआ  . आधिपत्य   को  लेकर इनमें  आपस  में  भी लड़ाइयां हुई और भारतियों के साथ भी हुई .  गोवा  को  1961 ईस्वी  में  ' पुर्तगाल ' से  आज़ाद  करवाया  गया . गोवा  और  दमन - दीव  पर  पुर्तगाल  का  शासन  था . पॉन्डिचेरी ( Puduchery ) और  दादरा - नागर  हवेली  पर  फ्रांस  का  शासन  था . अण्डेमान - निकोबार   और  लक्षदीप  सहित  बाकि  देश  पर  अंग्रेजो  का  अधिकार  था . 


12.  सोवियत  संग  का  विघटन  सन -1991 ईस्वी  में हुआ . 


13. अंग्रेजी  शिक्षा  पद्धति  लागु  की  लार्ड  डलहोजी  ने .1835 में  अंग्रेजी  भाषा  भारत  में  शिक्षा  का   माध्यम  बना . 


14. जलियावाला  भाग  हत्याकांड  के  समय  भारत  का  वायसराय -- लार्ड  चेम्सफोर्ड था . 


15. भारत  आज़ाद  होने  पर  सरदार  भल्लब  भाई  पटेल  ने  सारी  रियासतों  को  भारत  में  शामिल  कर  लिया . हैदराबाद   रियासत  का  निज़ाम  भारत  में  शामिल  नहीं  होना  चाहता  था  और  वह  स्वतंत्र  देश  बनाना  चाहता  था .  जिसे   सेना  की  कार्यवाही  का  भय  दिखाकर  भारत  में  शामिल  किया गया . कश्मीर   भी  स्वतंत्र  रहना  चाहता  था , जबकि  भारत  और  पाकिस्तान  दोनों  उसे  खुद  में  शामिल  करना  चाहते  थे . तभी  पाकिस्तानी   सेना  ने  कबीलाई  भेष  में  कश्मीर  पर  आक्रमण  कर  दिया . उन  दिनों  कश्मीर  के  राजा  हरिसिंह  थे  और  उनका प्रधानमंत्री  शेख  अब्दुल्ला  था . हरिसिंह  ने  भारत  में  शामिल  होने  के  समझौते  पर  हस्ताक्षर  कर  दिए  और  भारत  ने  अपनी  सेना  कश्मीर  को  कबीलाई  आकर्मण  से  बचाने  के  लिए  भेज  दी .


16. पानीपत  की  तीसरी  लड़ाई  शुरू  होने  से  पहले  मराठो  और  अहमद  शाह  अब्दाली  की  सेना  आमने - सामने  खड़ी  थी . मराठो  की  संख्या  अब्दाली  की  सेना  से  बहुत  अधिक  थी , लेकिन  शाम  को  युद्ध  के  मैदान  का  मुआयना  करते  हुए  अब्दाली  देखता  है  की  मराठो  की  सेना  के  कैंप  में  सैंकड़ो  की  संख्या  में  जगह - जगह  अलाव  जल  रहे  हैं , तो  अब्दाली  ने  इसका  कारण  जानना  चाहा . उन्हें  पता  चला  हिन्दुओ  में  बहुत  सी  जातियां  होती  हैं . बड़ी  जातियों वाले   छोटी  जातियों  का  छुआ  नहीं  खाते . तब  अब्दाली  ने  उत्साहित  होकर  कहा , ' इस  सेना  को  हराना  तो  बहुत  आसान  है ' . और  मराठे   संख्या  में  ज्यादा  होकर  भी  हार  गए . 


17. सन  01- अप्रैल -2010 ईस्वी  में  शिक्षा  अधिकार कानून  लागु  किया  गया . इस  कानून   के  अनुसार  5 साल  पूरा  करने  वाले  बच्चो  को  शिक्षा  देने  की  गारंटी  दी  गई . हर  बच्चे  को  प्राथमिक  शिक्षा  मुफ्त  में  पाने  का  अधिकार  है . सरकारी  और  प्राइवेट  स्कूल  बच्चो  को  मुफ्त  में  दाखिला  देंगे . प्राइवेट  स्कूलों  की  भरपाई  सरकार  करेगी . प्राथमिक  शिक्षा  के  सार्वजनीकरण  की  नीव  वर्ष  1906 में  डाली  गई . इसी  वर्ष   वड़ोदरा  में  प्राथमिक  शिक्षा  की  अनिवार्यता  के  लिए  कानून  बनाया  गया . गोपाल  कृष्णा  गोखले  ने  वर्ष  1910-11 में  राजकीय  कानून  परिषद  के  समक्ष  पुरे  देश  में  अनिवार्य  और  मुफ्त  शिक्षा  लागु  करने  के  लिए  2 बिल  पेश  किये  लेकिन  बिल  पारित  नहीं  हो  पाए . आज़ादी  के   बाद  वर्ष  1948 में  ' सयुंक्त  राष्ट्र  संघ '  के  ' मानव  अधिकार '  घोषणापत्र  में  प्रत्येक  व्यक्ति  के  लिए  शिक्षा  अधिकार  को  स्वीकृति  मिली . इसे  ही   आधार  बिंदु  मानकर  भारतीय  सविधान  की  ' धारा -45' के  तहत  सविधान  लागु  होने  के  10 साल  के  अंदर  14 साल  तक  के  बच्चो  को  निशुल्क  और  अनिवार्य  शिक्षा  को  अंगीकार  किया  गया . 

 

 

18. इलाहाबाद   हाई  कोर्ट  ने  12- जून -1975 को  इंदिरा  गाँधी  के  चुनाव  जितने  को  अवैध  घोषित  कर  दिया  था  और  उन्हें  प्रधानमंत्री  पद  छोड़ने  का  आदेश  दिया . लेकिन  उन्होंने  आदेश  न  मानकर  देश  में  25- जून -1975 को  ' आपातकाल ' लगा  दिया . उस  वक़्त  देश  के  राष्ट्रपति  फखरूद्दीन  अली  अहमद  थे . उन्ही  दिनों  जय  प्रकाश  नारायण  ने  ' सम्पूर्ण  क्रांति ' का  नारा  दिया . पुरे  देश  में  उनके  नेतर्त्व  में  विरोध  प्रदर्शन  हुए . अनेक  नेता  जेल  में  डाल  दिए  गए . नेता , कोर्ट   और  प्रेस  तक  पर  पाबंधी  लगा  दी  गई . जब  ' Emergency '( आपातकाल )  हटाया गया   और  सन  1977 ईस्वी  में  आम  चुनाव  हुए  कांग्रेस  की  बुरी  तरह  से  हार  हुई . 



19. नेपाल  ऐसा  देश  है  जो  कभी  गुलाम  नहीं  हुआ . 


20. किसी  समय  पर  भारत , बर्मा ( म्यांमार ) , बांग्लादेश , पाकिस्तान  और  अफगानिस्तान  एक  ही देश  थे . 


21. नेपाल  के  पहले  प्रधानमंत्री  बिशेश्वर  प्रशाद  कोइराला  ने  भारतीय  स्वतंत्रता  संग्राम  में  योगदान  दिया  था  जिस  कारण  वो  जेल  में  भी  रहे थे . 


22. चीन  के  पहले  राष्ट्रपति  एक  भारतीय  थे .


23. दुनिया  की  सबसे  बड़ी  साम्राज्य  वादी  शक्ति  ब्रिटेन  था  जिसका  अधिकार  50 से  भी  अधिक  देशो  पर  था . उसके  अलावा   स्पेन , फ्रांस , पुर्तगाल , होलेण्ड ( डच ) , अमेरिका  प्रमुख साम्राज्यवादी देश  थे .


24. यूनान   का  महान  दार्शनिक  सुकरात  प्लेटो  का  गुरु  था।  प्लेटो  अरस्तु  और  कीरोडोटस  का  गुरु  था . तीनो   ही  महान  दार्शनिक  थे . सुकरात  को   नौजवानो  को  गुमराह  करने  और  नए  देवताओ  से  परिचित  करवाने  के  दोष  में  जहर  देकर  मार  दिया  गया  था .
 
25. अंग्रेज  शिकारी  जेम्स  इंग्लिस  ने  अपनी  पुस्तक  ' टैंट  लाइफ  इन  टाइगरलैंड  ' में  पूर्णिया ( बिहार ) और  कोसी  क्षेत्र  के  घने  जंगलो  के  बारे  में  लिखा  है . उन्होंने  यहाँ  बाघ  के  बारे  में  लिखा  है  कि  यहाँ  बाघ  ऐसे  विचरते  हैं  जैसे  यूरोप  में  खरगोश .
 
 
26. पृथ्वी  राज  चौहान --- एक  राजपूत  राजा  जिसको  सिर्फ  आवाज़  सुनकर  तीर  निशाने  पर  लगाने  का  अभ्यास  था . जब  तराइन   के  दूसरे  युद्ध  में  हारने  के  बाद  उनकी  आंखे  फोड़कर  मोहमद  गोरी  के  सामने  पेश  किया  गया  तो  चंबरदाई ( पृथ्वी  राज जी  का  मित्र ) भी  साथ  था . चंदबरदाई   ने  एक  श्लोक  द्वारा  पृथ्वी  को  यह  बताया  की  मोहम्मद   गोरी  कितने  गज़  दूरी  और  कितनी  ऊंचाई  पर  बैठा  है.  जैसे  ही   गोरी  ने  आवाज़  निकाली  पृथ्वी राज जी ने  सीधा  तीर  उसके  सीने  में  उतार  दिया . पृथ्वी  राज   दिल्ली  का  अंतिम  हिन्दू  शासक  था . तराइन  के   पहले  युद्ध  में  पृथ्वी  राज  ने  मोहम्मद  गोरी  को  हराया  था  लेकिन  दूसरे  युद्ध  में  वो  हार  गया  था .

27. भारत  में  प्राचीन  समय  में  3- विश्व - विख्यात  विश्वविद्यालय  थे . नालंदा , विक्रमशिला  ( दोनों  बिहार  में ) , तक्षशिला ( अब  पाकिस्तान  में ) . 

28. महाराजा  रणजीत  सिंह  ने  अफगानिस्तान  के  भगोड़े  शासक  शाहशुजा  से  ' कोहिनूर  हिरा ' प्राप्त  किया  था . जो  भारत   में  अंग्रेजी  राज  के  दौरान  अंग्रेज  ले  गए  और  वो  आज  भी  ब्रिटेन  के  पास  है .


29. 26- जनवरी  -1950 तक  ब्रिटेन की  महारानी  भारत  में  अपने  प्रतिनिधि  के  रूप  में  गवर्नर  जनरल  की  नियुक्ति  करती  थी . 
 
30. गुप्तकाल ( 3-6th शताब्दी ) को  भारत  का  स्वर्णयुग  मानते  हैं . इस  काल   के  वैभव  का  प्रत्यक्ष  दर्शी  रहा  है  दिल्ली  का  लोह  स्तम्भ . चन्द्रगुप्त  विक्रमादित्य  के  शासनकाल  में  बना  यह  स्तम्भ  खुले  आकाश  में  1600 वर्षो  से  मौसम  को  चुनौती  दे  रहा  है . प्रकृति  में  लोहा  इसके  अयस्कों   के  रूप  में  ही  मौजूद  है . और  इन   अयस्कों  को  1500* तापमान  पर  पिघलाकर  लोहा  तैयार  करना  उस  समय  तो  कतई  आसान  नहीं  था . इस  लोह  - स्तम्भ  में  लोहे  की  मात्रा  98% है  और  आश्चर्य  की  बात  है  इसमें  इतने सालों बाद भी जंग  नहीं  लग  रहा  है . भारत  में   लोहे  से  सम्बंदित  धातु - कर्म  की  जानकारी  250 ईशा  पूर्व  से  ही  थी . पश्चिमी  देश   इस  ज्ञान  से  1000 से  भी  अधिक  साल  पीछे  रहे . इंग्लैंड  में  लोहे  की  ढलाई  का   पहला  कारखाना  सन  1161 में  ही  खुल  सका . चीनी  लोग लोह अस्यक को खोज में  भारतीयों  से  भी  200-300 साल  आगे  थे  लेकिन  लोह  स्तम्भ  जैसा  आविष्कार  वे  भी  नहीं  कर  पाए .


31.  
झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है. रानी की चिता जल जाने के बाद उस बेटे का क्या हुआ
वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था, 1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था जिसने उसी गुलाम भारत में जिंदगी काटी, जहां उसे भुला कर उसकी मां के नाम की कसमें खाई जा रही थी.
अंग्रेजों ने दामोदर राव को कभी झांसी का वारिस नहीं माना था, सो उसे सरकारी दस्तावेजों में कोई जगह नहीं मिली थी. ज्यादातर हिंदुस्तानियों ने सुभद्रा कुमारी चौहान के कुछ सही, कुछ गलत आलंकारिक वर्णन को ही इतिहास मानकर इतिश्री कर ली.
1959 में छपी वाई एन केलकर की #मराठी किताब ‘इतिहासाच्य सहली’ (इतिहास की सैर) में दामोदर राव का इकलौता वर्णन छपा.
महारानी की मृत्यु के बाद दामोदार राव ने एक तरह से अभिशप्त जीवन जिया. उनकी इस बदहाली के जिम्मेदार सिर्फ फिरंगी ही नहीं हिंदुस्तान के लोग भी बराबरी से थे.
आइये, दामोदर की कहानी दामोदर की जुबानी सुनते हैं –
15 नवंबर 1849 को नेवलकर राजपरिवार की एक शाखा में मैं पैदा हुआ. ज्योतिषी ने बताया कि मेरी कुंडली में राज योग है और मैं राजा बनूंगा. ये बात मेरी जिंदगी में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से सच हुई. तीन साल की उम्र में महाराज ने मुझे गोद ले लिया. गोद लेने की औपचारिक स्वीकृति आने से पहले ही पिताजी नहीं रहे.
मां साहेब (महारानी #लक्ष्मीबाई) ने कलकत्ता में लॉर्ड डलहॉजी को संदेश भेजा कि मुझे वारिस मान लिया जाए. मगर ऐसा नहीं हुआ.
डलहॉजी ने आदेश दिया कि झांसी को ब्रिटिश राज में मिला लिया जाएगा. मां साहेब को 5,000 सालाना पेंशन दी जाएगी. इसके साथ ही महाराज की सारी सम्पत्ति भी मां साहेब के पास रहेगी. मां साहेब के बाद मेरा पूरा हक उनके खजाने पर होगा मगर मुझे झांसी का राज नहीं मिलेगा.
इसके अलावा अंग्रेजों के खजाने में पिताजी के सात लाख रुपए भी जमा थे. फिरंगियों ने कहा कि मेरे बालिग होने पर वो पैसा मुझे दे दिया जाएगा.
मां साहेब को ग्वालियर की लड़ाई में शहादत मिली. मेरे सेवकों (रामचंद्र राव देशमुख और काशी बाई) और बाकी लोगों ने बाद में मुझे बताया कि मां ने मुझे पूरी लड़ाई में अपनी पीठ पर बैठा रखा था. मुझे खुद ये ठीक से याद नहीं. इस लड़ाई के बाद हमारे कुल 60 विश्वासपात्र ही जिंदा बच पाए थे.
नन्हें खान रिसालेदार, गनपत राव, रघुनाथ सिंह और रामचंद्र राव देशमुख ने मेरी जिम्मेदारी उठाई. 22 घोड़े और 60 ऊंटों के साथ बुंदेलखंड के चंदेरी की तरफ चल पड़े. हमारे पास खाने, पकाने और रहने के लिए कुछ नहीं था. किसी भी गांव में हमें शरण नहीं मिली. मई-जून की गर्मी में हम पेड़ों तले खुले आसमान के नीचे रात बिताते रहे. शुक्र था कि जंगल के फलों के चलते कभी भूखे सोने की नौबत नहीं आई.
असल दिक्कत बारिश शुरू होने के साथ शुरू हुई. घने जंगल में तेज मानसून में रहना असंभव हो गया. किसी तरह एक गांव के मुखिया ने हमें खाना देने की बात मान ली. रघुनाथ राव की सलाह पर हम 10-10 की टुकड़ियों में बंटकर रहने लगे.
मुखिया ने एक महीने के राशन और ब्रिटिश सेना को खबर न करने की कीमत 500 रुपए, 9 घोड़े और चार ऊंट तय की. हम जिस जगह पर रहे वो किसी झरने के पास थी और खूबसूरत थी.
देखते-देखते दो साल निकल गए. ग्वालियर छोड़ते समय हमारे पास 60,000 रुपए थे, जो अब पूरी तरह खत्म हो गए थे. मेरी तबियत इतनी खराब हो गई कि सबको लगा कि मैं नहीं बचूंगा. मेरे लोग मुखिया से गिड़गिड़ाए कि वो किसी वैद्य का इंतजाम करें.
मेरा इलाज तो हो गया मगर हमें बिना पैसे के वहां रहने नहीं दिया गया. मेरे लोगों ने मुखिया को 200 रुपए दिए और जानवर वापस मांगे. उसने हमें सिर्फ 3 घोड़े वापस दिए. वहां से चलने के बाद हम 24 लोग साथ हो गए.
ग्वालियर के शिप्री में गांव वालों ने हमें बागी के तौर पर पहचान लिया. वहां तीन दिन उन्होंने हमें बंद रखा, फिर सिपाहियों के साथ झालरपाटन के पॉलिटिकल एजेंट के पास भेज दिया. मेरे लोगों ने मुझे पैदल नहीं चलने दिया. वो एक-एक कर मुझे अपनी पीठ पर बैठाते रहे.
हमारे ज्यादातर लोगों को पागलखाने में डाल दिया गया. मां साहेब के रिसालेदार नन्हें खान ने पॉलिटिकल एजेंट से बात की.
उन्होंने मिस्टर फ्लिंक से कहा कि झांसी रानी साहिबा का बच्चा अभी 9-10 साल का है. रानी साहिबा के बाद उसे जंगलों में जानवरों जैसी जिंदगी काटनी पड़ रही है. बच्चे से तो सरकार को कोई नुक्सान नहीं. इसे छोड़ दीजिए पूरा मुल्क आपको दुआएं देगा.
फ्लिंक एक दयालु आदमी थे, उन्होंने सरकार से हमारी पैरवी की. वहां से हम अपने विश्वस्तों के साथ इंदौर के कर्नल सर रिचर्ड शेक्सपियर से मिलने निकल गए. हमारे पास अब कोई पैसा बाकी नहीं था.
सफर का खर्च और खाने के जुगाड़ के लिए मां साहेब के 32 तोले के दो तोड़े हमें देने पड़े. मां साहेब से जुड़ी वही एक आखिरी चीज हमारे पास थी.
इसके बाद 5 मई 1860 को दामोदर राव को इंदौर में 10,000 सालाना की पेंशन अंग्रेजों ने बांध दी. उन्हें सिर्फ सात लोगों को अपने साथ रखने की इजाजत मिली. ब्रिटिश सरकार ने सात लाख रुपए लौटाने से भी इंकार कर दिया.
दामोदर राव के असली पिता की दूसरी पत्नी ने उनको बड़ा किया. 1879 में उनके एक लड़का लक्ष्मण राव हुआ.दामोदर राव के दिन बहुत गरीबी और गुमनामी में बीते। इसके बाद भी अंग्रेज उन पर कड़ी निगरानी रखते थे। दामोदर राव के साथ उनके बेटे लक्ष्मणराव को भी इंदौर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी।
इनके परिवार वाले आज भी इंदौर में ‘झांसीवाले’ सरनेम के साथ रहते हैं. रानी के एक सौतेला भाई चिंतामनराव तांबे भी था. तांबे परिवार इस समय पूना में रहता है. झाँसी के रानी के वंशज इंदौर के अलावा देश के कुछ अन्य भागों में रहते हैं। वे अपने नाम के साथ झाँसीवाले लिखा करते हैं। जब दामोदर राव नेवालकर 5 मई 1860 को इंदौर पहुँचे थे तब इंदौर में रहते हुए उनकी चाची जो दामोदर राव की असली माँ थी। बड़े होने पर दामोदर राव का विवाह करवा देती है लेकिन कुछ ही समय बाद दामोदर राव की पहली पत्नी का देहांत हो जाता है। दामोदर राव की दूसरी शादी से लक्ष्मण राव का जन्म हुआ। दामोदर राव का उदासीन तथा कठिनाई भरा जीवन 28 मई 1906 को इंदौर में समाप्त हो गया। अगली पीढ़ी में लक्ष्मण राव के बेटे कृष्ण राव और चंद्रकांत राव हुए। कृष्ण राव के दो पुत्र मनोहर राव, अरूण राव तथा चंद्रकांत के तीन पुत्र अक्षय चंद्रकांत राव, अतुल चंद्रकांत राव और शांति प्रमोद चंद्रकांत राव हुए।
दामोदर राव चित्रकार थे उन्होंने अपनी माँ के याद में उनके कई चित्र बनाये हैं जो #झाँसी परिवार की अमूल्य धरोहर हैं। 
उनके वंशज श्री लक्ष्मण राव तथा कृष्ण राव इंदौर न्यायालय में टाईपिस्ट का कार्य करते थे ! अरूण राव मध्यप्रदेश विद्युत मंडल से बतौर जूनियर इंजीनियर 2002 में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनका बेटा योगेश राव सॅाफ्टवेयर इंजीनियर है। वंशजों में प्रपौत्र अरुणराव झाँसीवाला, उनकी धर्मपत्नी वैशाली, बेटे योगेश व बहू प्रीति का धन्वंतरिनगर इंदौर में सामान्य नागरिक की तरह माध्यम वर्ग परिवार हैं। 
कांग्रेस के चाटुकारों ने तो सिर्फ नेहरू परिवार की ही गाथा गाई है इन लोगों को तो भुला ही दिया गया है जिन्होंने असली लड़ाई लड़ी थी अंग्रेजो के खिलाफ आइए इस को आगे पीछे बढ़ाएं और लोगों को सच्चाई से अवगत कराए l
#historyfacts #हिंदुस्तान
Rohil Choudhary




 

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