45. तू ही मेरी चाहत तू ही मेरी सांस है तू ही मेरा दिल तू ही मेरे पास है
तू ही मेरी चाहत---
46. जब आवगी याद मेरी तू कोना पकड़ के रोवगा।
नींद तो उड़ ज्या गी तेरी कुकर बला तू सोवगा।
दरक उठेंगी दिल म अरमान मचल ज्यांगे।
एक बख्त वो भी आवगा दिल के मेहमान बदल ज्यांगे।
तू याद जब आवगा जी भर आवगा।
कदे नेड़े कदे दूर पावगा।
कोए घड़ी ना सांस आवगी।
हर घड़ी बस जान जावगी।
होवगा जब सामना कदे नजर बचाओगे।
मिलनअ के अंदाज बदल ज्यांगे।
एक बख्त वो भी आवगा दिल के मेहमान बदल ज्यांगे।
दिन ढल जाता था कदे बस एक झलक खातर
सिहर उठअ था बदन तेरे पैरा की आहट पर।
कदे तेरे दिल प चौधर मेरी,कदे मेरअ हर बिचार म जिक्र तेरा।
बख्त जालम होसअ कदे बात करण त भी तरस ज्यांगे।
एक बख्त वो भी आवगा दिल के मेहमान बदल ज्यांगे।
जीवन का वो छोर भी आवगा।
पोते पोती , बुढ़ापे का दौर भी आवगा।
के तब भी याद रहवगा प्यार के भूल जावगा।
जब टकराँव किसे मोड़ पे कुकर सामनअ आवगा।
मिल ज्यांगे दिल के राह बदल ज्यांगे।
एक बख्त वो भी आवगा दिल के मेहमान बदल ज्यांगे।
47. रूह में जो बस गई है वो खुशबू तुम बन गए हो।
भगवान ने जो लिख दी है वो जुस्तजू तुम बन गए हो.
धड़कनों के आसरे जी रहे थे , अब हर सांस तुम बन गए हो।
अधूरी थी मन की चाहें, अब हर आस तुम बन गए हो।
रग रग में बह रहा था लहू, अब जिंदगी की जरूरत तुम बन गए हो।
सुना सुना था हर मंजर, अब दिल की हुकूमत तुम बन गए हो।
हर राज खुल गया है , दिल के राजदार तुम बन गए हो।
टूटती हुई मेरी सांसो के, जानदार तुम बन गए हो।
हमको हमीं से जुदा कर गए , दिल के गुनेहगार तुम बन गए हो।
इंतज़ार करते रहते हैं, दिल के तलबगार तुम बन गए हो।
महक जिंदगी में भर दी है , मेरे बागबान तुम बन गए हो।
चमक जिंदगी में कर दी है, मेरे आसमान तुम बन गए हो।
ठहर जाओ ना धड़कने बढ़ाओ, इन लहरों के साहिल तुम बन गए हो।
लाखों में एक तुम पसंद आये, मेरी जिंदगी के साहिर तुम बन गए हो।
रूह में जो बस गई है वो खुशबू तुम बन गए हो।
भगवान ने जो लिख दी है वो जुस्तजू तुम बन गए हो.
48. नज़रे तरस गई इंतज़ार करते करते
ना तू आया ना तेरा पैगाम ए फिक्र आया।
तोड़ के रख दिया है तूने मेरे ऐतबार को।
क्या नाम दूं मैं तेरे इस प्यार को।
जाने क्या मजबूरियां थी तेरी , जो तू आ नहीं पाया।
वक्त फिसल गया मेरे हाथों से , मैं रोक नहीं पाया।
आते आते आते तूने देर कर दी।
हम तो चले ये आसरे छोड़कर,
मिलेंगे कभी किसी और जन्म, रब ने अगर मेहर कर दी।
लड़ते थे , झगड़ते थे , खलिहानों में मचलते थे।
पर कभी ऐसे भूले नहीं थे।
जाते जाते जाते तू मिल नहीं पाया।
क्या इतना बुरा था मैं जो याद नहीं आया।
काश ये होता कि उम्र बढ़ जाती जिंदगी की,
देखते ही देखते हवा बदल गई।
जिंदगी भी ये कैसे रंग बदल गई।
जीने की थी तमन्ना और जान निकल गई।
49. थोड़ा सा तो जिंदगी रुलायेगी।
थोड़ा सा तो जिंदगी हंसाएगी।
यात्रा है ये, एक यात्रा है ये।
यूं ही जिंदगी कट जाएगी।
क्या हुआ जो आज अंधेरी रात है।
मुश्किल में जो ध्यान धरे वक्त उसी के साथ है।
नेक राह जज्बात की जीत एक दिन दिलाएगी।
थोड़ा सा तो जिंदगी रुलायेगी।
थोड़ा सा तो जिंदगी हंसाएगी।
क्या हुआ जो आज बुरे हालात हैं।
क्या कोई बिगाड़ेगा जब ऊपर वाला साथ है।
बुरा किसी का मत करना भलाई खुद मिल जाएगी।
थोड़ा सा तो जिंदगी रुलायेगी।
थोड़ा सा तो जिंदगी हंसाएगी।
क्या हुआ जो आज बदल गई दुनिया की जात है।
गिरके वही सम्भलता है अपने जिसके साथ हैं।
राह हो सच्ची तो मंजिल एक दिन मिल ही जाएगी।
थोड़ा सा तो जिंदगी रुलायेगी।
थोड़ा सा तो जिंदगी हंसाएगी।
यात्रा है ये , एक यात्रा है ये।
यूं ही जिंदगी कट जाएगी।
50. हम ही पीड़ित हैं और हम पर ही इल्जाम है
कल शमशीरों से आज लकीरों से घायल हिंदुस्तान है।
भगवा आतंक कंभी हिन्दू आतंक नाम हैं देते
और आतंक यहां बेनाम है।
हम टिप्पणी भी कर दें तो जेल ।
वो पत्थर फेंके, थूक फैंके, गाली दें
देशद्रोह के नारे लगते खुलेआम हैं।
हम ही पीड़ित और हम पर ही इल्जाम है।
मरता एक गाय काटने वाला तो होती देश
की छवि धूमिल खतरे में सविधान है।
साधुओं पर गोली बरसती और सिखों का कत्ले आम है।
मौन व्रत है विश्व का इनका खून तो हराम है।
हम ही पीड़ित और हम पर ही इल्जाम है।
शरीयत,फतवे ,हलाला जलाला
और मंदिरों में अज़ान है।
कभी कैराना कंभी शाहीन और कभी
कश्मीर का नरसंहार है।
अफगान,बांग्ला, पाक गया हाथ से
निशाने पर अब हिंदुस्तान है।
हम ही पीड़ित और हम पर ही इल्जाम है।
कैसे हमने जमीन बांट दी इज्जत के हत्यारों को
अंग्रेज़ो से आज़ादी तो मुग़लो पे क्यों एहसान है।
हम ही पीड़ित और हम पर ही इल्जाम है।
51. गाम का रहना आर राम राम कहना
साफ हवा आर मेहनत का खाना
छांत का सोना आर घर आंगन का होना
देशी बाना आर गाल म बैठ के नहाना।
भागा आले हों स वो जिसनअ मिलअ ईसा वाना।
माखन दूध दही का खाना
खोवा गूंद चूरमा घलवाना
दलिया नाज़ खिचड़ी का रंग जमाना।
लासी चटनी आर खेत म कमाना।
बेर जामुन गण्डा तोड़ के खाना
ठंडी ठंडी हवा आर पीपल का नहाना
भागा आले हों स वो जिसने मिलअ ईसा वाना।
बीरा का कठि होके कुएं प जाना
बैठ मंडली साथ म हंस बतलाना
फागण कदे ब्याह के गीत गाना
तीजा की पिंग आर हलवा पूड़े खाना।
डांगरा की सेवा आर जोहड़ का नहाना
भागा आले हों स वो जिसनअ मिलअ ईसा वाना.
बड़ पीपल की छाया आर पेढा नीचअ सोना
चौपाला की चौधर आर पंचायता म जाना
बैठ चुगरदअ हौक्या क बतलाना
माटी के खेल आर ताशा का रंग ज़माना
हांसी ठट्ठे आर नहर का नहाना।
भागा आले हों स वो जिसनअ मिलअ ईसा वाना।
छोड़ के ये ठाट क्यों शहर जाना।
52. ना मेकअप करअ ना इंग्लिश करअ स्टाइल।
हर महफ़िल म रंग भर दे वो इसी करअ स्माइल।
कर दे है तोड़ , काड दे मरोड़
ठंडा सभाव कदे ठा लें लठेरे
जाट के बछेरे ये जाट के बछेरे।
घात त गठीले आर चाल त मौजिले
बात त रौबीले, आर काम त जोशीले
छैला म छैल छबीले, मखोला म मंखोले।
सौआ की जरूरत कोन्या 4 ए भतेरे
जाट के बछेरे ये जाट के बछेरे।
देशी खाना देशी बाना।
देशा म देश हरियाणा
सीमा प जवान खेतां म किसान।
आर खेलां म तो पाड़ दे स चाला।
ठाडा है दिल आर ठाट के बसेरे
जाट के बछेरे ये जाट के बछेरे।
53. कीमे तो जिंदगी रुलावगी
कीमे तो जिंदगी हंसावगी।
यात्रा है या, एक यात्रा है या।
न्यूए जिंदगी कट जावगी।
राज छोड़ हरिश्चन्द्र ने पड़ा बन म भटकना
धणी बीर दुश्मन बने ,औलाद का दुख पड़ा भुगतना।
बख्त की मार नीचता दिखा दे
सच की धार प्रतिष्ठा दिला दे।
धीर धरे त हर यातना कट जावगी।
कीमे तो जिंदगी रुलावगी
कीमे तो जिंदगी हंसावगी।
यात्रा है , एक यात्रा है या।
न्यूए जिंदगी कट जावगी।
राम जी न मिला बनवास दर दर की ठोकर खाई
पड़ा बिछुड़ना सीता माँ त होई पति धर्म की रुसवाई।
धीरज धरा आर कौशल त नीति बनाई।
भेद करा ना छोटअ बढ़अ का , मर्यादा खूब निभाई।
धीर धरे त हर यातना कट जावगी।
कीमे तो जिंदगी रुलावगी
कीमे तो जिंदगी हंसावगी।
यात्रा है , एक यात्रा है या।
न्यूए जिंदगी कट जावगी।
चक्कर प चक्कर पड़े थे
हर दर प दुश्मन खड़े थे
बिपदा थी भारी पड़ी आर होया वो जन्म जेल म
जीवन पर भी लगा पहरा आर बालकपन बिता मौत के खेल म
कृष्णनीति त या कुनीति कटअ जीत धर्म की आवगी
कीमे तो जिंदगी रुलावगी
कीमे तो जिंदगी हंसावगी।
यात्रा है , एक यात्रा है या।
न्यूए जिंदगी कट जावगी।
54. मायूसी की छाया, खा जाती है काया।
कंगाली की माया, बदहाली का साया।
ना खाने को कुछ है ना पीने को पानी।
नशे में खेल रहा बचपन, खोखली जवानी।
गंदगी में रहना ,नालों में बहना।
झोपड़ों से टपके बारिश का पानी।
कुपोषण और शोषण में पिसती है जिंदगानी,
कचरे में बचपन, आंखों में पानी।
नंगे नंगे पांव, बदन पर चीर की निशानी,
कुविध्या अविध्या से होती जंग पुरानी।
कांपते तन मन, झूठी झूठी सी मुस्कान।
टूटे आशियानों में, पड़े दुनिया की ठोकर खानी।
खेलते बच्चे, वो देखते रहते,
त्योहारों की खुशियां, वो लेलते रहते।
रोज़ के झगड़े, वो झेलते रहते,
कचौटती नजरें, करती मान को छलनी।
अंधेरों से खेले झोपड़ों की रानी।
दिन ईमान भी भूख ने खाया।
चोरी चकारी में जीवन है फंसाया।
55. छंटमां है रुआब, चौधर म है सबका बाप,
रौनक सौनक लाव मंत्रियां आली।
आव स, होक्कअ के गरड़ाटे ठाव स,
जाई रोई का,वो जाई रोई का।
खाव तरी आला साग, काम क लाव नहीं हाथ,
लंगारा चालअ गैली गैली।
आव स, चा के सरड़ाटे ठाव स,
जाई रोई का , वो जाई रोई का।
मारअ मखोला आली बात, कर दें सारे खड़े हाथ।
रौनक लाव है चौपाली,
जाव स, तांशा के धरड़ाटे ठाव स।
जाई रोई का, वो जाई रोई का।
राखअ सारयां की यो काट, भाटल आला छोरा जाट।
तारअ बातां की सुवाली, राखअ गाम की रुखाली।
आव स , बातां के झरड़ाते ठाव स।
जाई रोई का, वो जाई रोई का।
करदा हांडअ गणे ठाठ, घर के देखें जाव बाट।
बखोरा देव ना यो पाणी, हीरो बना हांडअ ठाली।
आव स, खाट के चरडाटे ठाव स।
जाई रोई का, वो जाई रोई का।
56. भाजपा की सरकार है, मोदी चौकीदार है।
56 इंच की छाती , डंका सात समुद्र पार है।
शाह अचूक हथियार है, राजनाथ सा यार है।
भाजपा की सरकार है,मोदी चौकीदार है।
रोज धमाके होते थे, अब ना कोई बमबार है।
गद्दारों पे कसा शिकंजा,कांप रहे मददगार है।
बदली बदली नीति, नतमस्तक संसार है।
भाजपा की सरकार है,मोदी चौकीदार है।
नोट बंदी, जीएसटी,सी ए ए , किसान बिल पे तकरार है।
कभी korona कभी तूफान, प्रकृति की मार है।
भष्टाचारी बिचौलियों पे डिजिटल प्रहार है।
साफ सफाई मिशन बना,शोच्यालयों की कतार है।
गैर जरूरी कानूनों पे चल रही तलवार है।
भाजपा की सरकार है, मोदी चौकीदार है।
मन की बात, मन के विचार हर रंग के जानकार हैं।
माई जिओ वी पे लगते आम जन दरबार हैं।
हर वर्ग,हर ढंग की बातें, हर फन का ये फनकार है।
जोड़ तोड़ थे राष्ट्र सम्मानों में,अब गुमनाम वीर हकदार हैं।
भाजपा की सरकार है, मोदी चौकीदार है।
हिंदू हिंदू करते थे अब हिंदू दरकिनार है।
मरते हिंदू कटते हिंदू, कानूनों में पिसते हिंदू।
देश अपना,धरती अपनी,फिर क्यों मुजरिमों सा व्यवहार है।
वक्त निकलता हाथ से , मौका नहीं मिलता बार बार है।
भाजपा की सरकार है, मोदी चौकीदार है।
57. अब कैसे करे हम गुणगान टाटा का।
हर घर में हो खुशहाली ये अरमान टाटा का।
कैसे गिनाए क्या क्या अहसान टाटा का।
विनती है ये गीत बने पहचान टाटा का।
सुरक्षा नियमों का पालन है पहचान टाटा का।
लेबर एक्ट के फायदे मिलें सबको ये ध्यान टाटा का।
5S गुड गवर्नेंस से होता है हर काम टाटा का।
जीरो फैटालिटी पूरा हो वरदान टाटा का।
बनते है निर्माण जिनसे वो सरिया टाटा का।
बनते हैं वाहन जिनसे वो स्टील टाटा का।
डुलते हैं सामान जिसमे वो ट्रक टाटा का।
हो सफर आसान जिससे वो बस कार टाटा का।
अंधेरों में रोशनी भर दे वो करंट है टाटा का।
ऑटोमोटिव में ऊर्जा भर दे नाम टाटा का।
देश विदेश में घूमना हो तो जहाज टाटा का।
दुनिया भर में होता सम्मान टाटा का।
भोजन में स्वाद भर दे वो तेल मसाला टाटा का।
आयोडीन की पूर्ति कर दे वो नमक टाटा का।
एनर्जी से भर दे जो वो ग्लूको पानी टाटा का।
तरोताजा कर दे जो वो चाय कॉफी टाटा का।
पौष्टिकता से भर दे जो वो दाल टाटा का।
कपड़ो को चमका दे जो वो साबुन सर्फ टाटा का।
रोज आता है हर जुबां पे नाम टाटा का।
मनोरंजन समाचार का साधन सैट बॉक्स है टाटा का।
सूचना संचार का माध्यम टेलीफोन है टाटा का।
इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी और डिजाइन काम है टाटा का।
दुनिया भर में होटल सत्कार में नाम है टाटा का।
माटी को जो पोषण दे वो उत्पाद टाटा का।
स्वास्थ्य बीमा शिक्षा में है नाम टाटा का।
अनुसंधान संस्कृति की शिक्षा देता संस्थान टाटा का।
तन में हो तकलीफ तो दवा बाजार टाटा का।
घर बैठे सामान खरीद लो वो शॉपिंग जाल टाटा का।
आई टी सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन में धमाल टाटा का।
घड़ी से लेकर आभूषण तक खुदरा दुकान टाटा का।
सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में मुकाम टाटा का।
58. तहे दिल त नमन इन सांगियां न या परंपरा खास चलाई थी।
इतिहास गा दिया रागनिया म जन जन लहर चलाई थी।
सांगरस लिखण न कागज कलम दवात उठाई थी।
गावणीयां न कमाल करा या दर दर ठोकर खाई थी।
दौर गुलामी का था जब आजादी की अलख जगाई थी।
औजस्वी बाणी त लड़ण की इच्छा जगाई थी।
बिना चिट्ठी पत्री घर घर बात पहुंचाई थी।
प्यार प्रेम की बात सिखाई आपस म लड़ाई थी।
तहे दिल त नमन इन सांगिया न या परंपरा खास चलाई थी।
हांसी ठठ्ठे कर करके जनता पल पल हंसाई थी।
मनोरंजन के साधन ना थे जी म जान जगाई थी।
जज्म्माना के गुणगान गा के आग पेट की बुझाई थी।
मोह माया त दूर रहे या गात म समाई थी।
तहे दिल त नमन इन सांगिया न या परंपरा खास चलाई थी।
टीवी आए रेडियो आए दिल में पैठ बनाई थी।
वीडियो छाए विसिआर छाए टेक सांग की लाई थी।
कंप्यूटर मोबाइल क युग म भी भीड़ गाम की जुटाई थी।
भोगी विलासी होगे लोग रीत फेर भी बचाई थी।
तहे दिल त नमन इन सांगिया न या परंपरा खास चलाई थी।
गऊ माता की सेवा खातर खड़ताल ढोलकी ठाई थी।
गऊशाला के बेड़े हांके या हंगा मार खिंचाई थी।
दान ज्ञान के प्रचार करे या नरेंद्र की लिखाई थी।
दान करे त धन नहीं घटे बात धर्म की बताई थी।
तहे दिल त नमन इन सांगिया न या परंपरा खास चलाई थी।
59. गुण गान उनका भी है जो गुमनाम रह गए।
सम्मान उनका भी है जो हर दर्द सह गए।
सैनिक भी जरूरी हैं जब जंग की हो तैयारी।
अभिमान उनका भी है जो भावना में बह गए।
इस्लामी हमलों से लड़े वो देश धर्म की लड़ाई।
जौहर में कूदी थी क्षत्राणियां लाज धर्म की बचाई।
हो गई कुनबा घाणी पर आंच धर्म पर ना आई।
अरमान उनका भी है जो धाम डह गए।
गुणगान उनका भी है जो गुमनाम रह गए।
अंग्रेजों ने किया राज या बात आन पे आई।
पड़ी जरूरत जब भी असंख्यों ने लड़ी लड़ाई।
अपनों से नाता तोड़ा गाथा अमर बनाई।
सिया राम उनका भी है जो बेनाम रह गए।
गुणगान उनका भी है जो गुमनाम रह गए।
दर्द भरी राहों में संतों ने आस दिखाई।
दुख दर्द मिटाए ललक धर्म की जगाई।
हथियार उठा के लड़े थे सन्यासी आजादी की लड़ाई।
वरदान उनका भी है जो गूढ़ ज्ञान कह गए।
गुणगान उनका भी है जो गुमनाम रह गए।
60. नसीब में अपने गर वर्दी नहीं है।
तो क्या देश भक्ति हो सकती नहीं है।
मौके मिलेंगे हजारों फिर भी।
प्रेम की परिभाषा होती नहीं है।
दूर विदेश में जाके ना कर दें नाम खराब।
छवि देश की याद रखें नीच हरकत ना कर दें जनाब।
इज्जत करो इज्जत मिलेगी, बढ़ेगा मान सम्मान।
कलंक की छींटे कभी धुलती नहीं हैं।
नसीब में अपने गर वर्दी नहीं है।
तो क्या देश भक्ति हो सकती नहीं है।
गरीब लाचार अनाथ को अगर देदें हम शरण।
स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत का लें लें हम प्रण।
चोरी चकारी छोड़कर निर्मल कर लें अंत: करण।
नशा मिलावटखोरी करके ना कर दें दुर्लभ मरण।
जैविक खेती करने से शुद्ध हो पेट भरण।
जल बचाएं कंट्रोल करें प्रदूषण।
भ्रष्टाचारी व्यभिचारी हैं नीच के लक्षण।
टैक्स भरें ऐश करें गलत ना धरें चरण।
अच्छाई का साथ और बुराई का संहार
रीत देश की रही है।
नसीब में अपने गर वर्दी नहीं है।
तो क्या देश भक्ति हो सकती नहीं है।
61. हमने मौसम बदलते देखे हैं।
हमने इंसान बदलते देखें हैं।
हमने वक्त बदलते देखें हैं।
हमने ज़माने बदलते देखे हैं।
गामा म भी रामलीला देखी, लारा लांदे बेड़े देखे ।
कातक के म नाच गाने देखे, जोहड़ा म नहाणे देखे ।
गुगा वीर की छड़ी देखी ,तीज त्योहार प पिंग झूलते जोड़े देखे।
गरड़ी दिवाली म हीड़ों जलांदे, दिए चसांदे मंडेरे देखे।
सात कन्या जिमदी देखी, खीर हालवा पुड़े देखे,
फाग के कोरड़े देखे,होली जलांदे प्रह्लाद काडदे छोरे देखे।
डमैल थापदे, झाड़ टांगदे, गीत गांदे चहरे देखे।
दूज की बाकली खिल पतासे देखे, बामणा का सीधा देंदें सारे देखे।
धर्म के गीत गान्दे देखे दुर्गा पूजा,मूर्ति विसर्जन और जगरातों में।
अब फूहड़ संगीत बजते हैं, नशा फैला है भक्तों
में।
हमने त्योहार बदलते देखे हैं।
हमने मौसम बदलते देखे हैं।
गलियां म विडीओ वीसीआर देखे , सांग भरते सांगी देखे,
डंगोसरा की खेती देखी, दोघड़ भरती बीर देखी,
हाली पाली देखे,गाय बलद भैंस की खूब करते सेवा देखे।
गीत गांदे कैसूड़े देखे,होते सात फेरे देखे।
दो चार दिन के बाराती देखे, बाने देंदे निरे देखे।
सांझी गांदे, खड़खोडिया गांदे,डूका फेरा के गीत देखे।
बनड़ा गान्दे, सेहरा गान्दे, छटी गान्दे, पीलिया ल्यान्दे, भात भरदे भाई देखें।
बामण नाई दर्जी खास तौर प रलाये ज्यान्दे ब्याह शादी के मौके प।
आपस म काम करवान्दे, खुद जिमान्दे चौके प।
हमने रिवाज बदलते देखे हैं।
हमने वक्त बदलते देखे हैं।
चून पीसना, सानी काटना, दूध बिलोना,सूत कातना सारे हाथ के काम देखे।
बहाई बोई करना,लामणी करना, फसल झाड़ना
सिर प ढोन्दे नाज देखे।
कई कोस पैदल चालदे, राह चालदअ की करदे पूछ पाछ देखे।
गाम गूवान्ड का आण जाण, कई दिन रुकदे रिस्तेदार देखे।
खाती लुहार, डूम चमार न तील तूड़ी गेहूं दें दें किसान देखे।
भीड़ पड़ी म हाथ थामदे,मददगार थे लाचारी म।
ईमान धर्म इंसानियत मिटगे लालच की दुनियादारी म।
हमने ब्याहार बदलते देखे हैं।
हमने इंसान बदलते देखे हैं।
62. हलाला बयां करता है दर्द भरी कहानियां।
बच्चे जनते जनते सूख जाती हैं बच्चेदानियां।
तलाक के दर्द से सिसकती हैं जवानियां।
बहुविवाह की आग में तड़फती हैं जिंदगानियां।
कोड़े खाती महिलाएं डरावनी हैं निशानियां।
बूढे संग ब्याह देते हैं 14/15 साल की बच्चीयां ।
बच्चे पैदा करते करते डान्चा बन जाती हैं हड्डियां।
बचपन की बहनें, बहनों की बेटियां भी बन जाती हैं बीबीयां।
कभी बीबी, कभी माँ ,कभी भाभी, कभी बहु
रिश्तों की ये कैसी हैं बेहयाइयां ।
किसके बीज पड़े गर्भ में, उलझन में हैं गर्भदानियां।
हलाला बयां करता है दर्द की कहानियां।
दूर खड़ी मस्जिद से नारी, कैसी हैं मनमानियां।
तलाक तलाक खेलते हैं, मजबूर हैं नारीयां।
कभी पति की माँ बन जाती,कभी बन जाती भाभियाँ।
कभी पति की बहु बन जाती,कभी बन जाती दादीयां।
तलाक के दर्द से सिसकती हैं जवानियां।
मदरसे में बलात्कार ,कभी आतंक की सुलगती हैं चिंगारीयां।
काफिर को खत्म करने की सिखाई जाती हैं जिहादीयां।
मस्जिद से फतवे हैं निकलते,देश छोड़ दो,सौंप दो जनानियां।
राज पाट मिलते ही बर्बरता की लिखते हैं कहानियां।
जो मौला सिखाये दानवता,जो किताब सिखाये जानवरता,
असुरों के हैं काम ये, असुरों की हैं पोथीयां।
63. टेम टेम की बात है सारी।
कदे दुश्मनी कदे यारी।
कदे नरमाई कदे रंगदारी।
कदे हाथ जोड़ के काम चलाया,
कदे लठ भी ठाये हैं।
कदे सर फोड़ के आए, कदे खुद भी लठ खाये हैं।
पंचायती चौधरी हाँ, पंचायता म न्याय दिलाये हैं।
दूध घी पकवान खाके खेला की करी त्यारी।
पुलिस फौज की भर्ती देखी, फेर खेतां के बनगे जुवारी।
बरछी बरगे गात म्हारे,कॉलेज म धुमे ठाये हैं।
मेला म भी लठ खाये, होटला प जुत बजाये हैं।
कैसूड़ा पे रंग जमाये, लात घुसे खूब चलाये हैं।
पंचायती चौधरी हाँ, पंचायता म न्याय दिलाये हैं।
रोब मारा बोर मारा डॉट मार दा भारी.
माचले होड़े जाट सा, फोर तार दा सारी।
छौला है मिजाज म्हारा,टोर सब ते न्यारी।
रौले रबदे नशे पत्ते न घर घर चिराग बुझाये हैं,
मन का आपा राखिए, काबू साचा राखिये।
भले माणसा न संदेश प्रेम के सुनाए हैं।
64. काले धोले कुडते पाहरा, टोपी जाली रांखा र।
राज हाथ मे आए पाछ्ह, पुलिस न तो पाली रांखा र।
हिन्दू फोबिया ज़हर भरा, राम भक्ता खातर दुनाली रांखा र।
थूक मिला द्या खानअ म, पत्थर मारा वाणअ म,जिहाद की रुखाली रांखा र।
लूट खसोट डकैती डाला, गोज आपणी खाली रांखा र।
बालका की तो रेल बना दा, 4 - 4 घर आली रांखा र।
काफिर का हम चारा बना द्या,सूटकेश म पैक घर आली रांखा र।
खून खराबा बलात्कार मचा द्या,
सोच गन्दी नज़र काली रांखा र।
घुसपेठ करा शरणार्थी बना, हाथ फैलाये झोली झाली रांखा र।
देश के देश कब्ज़ा ल्या शक्ल बोली बाली रांखा र।
65. बेच के जमीन कुनबा रहव स यो टोरे म।