घर
VICHAR
MAHMAAN
RAJNITY
Movie Story
KHEL
ETIHAAS
मैं और मेरा परिवार
SAMANYA GYAN
घरेलु उपचार
SHAKHSIYAT
छोटी कहानियां
अजीब
अलग
चारित्रिक शिक्षा
PASHU
BHARAT VISHV
SAVIDHAN
SHORT MEANING
JIV VIGYAN
KHOJ
मेरी यात्रा
हरियाणवी खोवा
COMPUTER
मेरे गीत
VIDAMBNA-- APNE VICHAR
दुर्लभ तस्वीरें - सामाजिक
हरियाणवी लोक गीत
इलाज और महत्वपूर्ण निर्णय ---
विडंबना - अपने विचार
बीमा - सारी जानकारी भारत देश मे
जाट
हिन्दू--सनातन धर्म
धर्म-- अनसुनी कहानियां।
खेती किसानी


हिन्दू--सनातन धर्म
1.  भगवान श्रीराम जी के कुल का विवरण  ---
 
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
 
इस प्रकार ब्रह्मा जी की उन्चालिसवी ( 39 ) पीढ़ी में श्रीराम जी का जन्म हुआ | 
 
 
रामचरित मानस की जानकारी  ---
 
1:~ लंका में राम जी                                              = 111 दिन रहे।
2:~ लंका में सीताजी                                             =  435 दिन रहीं।
3:~ मानस में श्लोक संख्या                                   = 27 है।
4:~ मानस में चोपाई संख्या                                   = 4608 है।
5:~ मानस में दोहा संख्या                                      = 1074 है।
6:~ मानस में सोरठा संख्या                                   = 207 है।
7:~ मानस में छन्द संख्या                                      = 86 है।
 
8:~ सुग्रीव में बल था                                              = 10000 हाथियों का।
9:~ सीता रानी बनीं                                               = 33वर्ष की उम्र में।
10: मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र         = 77 वर्ष थी।
11: पुष्पक विमान की चाल                                     = 400 मील/घण्टा थी।
12: रामादल व रावण दल का युद्ध                           = 87 दिन चला।
13: राम रावण युद्ध                                                = 32 दिन चला।
14: सेतु निर्माण                                                     =  5 दिन में हुआ।
 
15: नलनील के पिता                                              = विश्वकर्मा जी हैं।
16: त्रिजटा के पिता                                                = विभीषण हैं।
 
17: विश्वामित्र राम को ले गए                                    =10 दिन के लिए।
18: राम ने रावण को सबसे पहले मारा था                = 6 वर्ष की उम्र में।
19: रावण को जिन्दा किया                                      = सुखेन वैद्य ने नाभि में अमृत रखकर।
 
 

2. हिंदुओ का अंत नजदीक है।कोर्ट, संविधान  भगवान से उप्पर हो गए हैं।भगवान राम को पैदा होने के सबूत देने पड़ रहे हैं।उनके वंशजो के सबूत मांगे जा रहे है ।
शर्म बिल्कुल बची नहीं है।कौन ऐसा है जो भगवान राम का वंशज नहीं है।जो भगवान श्रीकृष्ण का वंशज नहीं है।क्या दुनिया मे किसी भी कोर्ट में ,संविधान में,  किसी भी और धर्म के भगवान का इस तरह मजाक बनाया गया है।क्या उनसे सबूत मांगे गए है।हम खुद ही हमारे भगवान का सम्मान नहीं करते , उनके बारे में खुद ही अनाप शनाप बोलते रहते हैं।ना हम हमारे भगवान के खिलाफ बोलने वालों का विरोध करते ना कानून सजा देता है।इसीलिए आज ये हाल है।क्या यही कोर्ट अल्लाह का सबूत मांगने की हिम्मत कर सकती हैं।कुछ बोल दो तो अवमानना में जेल।ना हम राजघरानों का सम्मान करते हैं ना शहीदों का ना देवताओं का।ठीक है आज लोकतंत्र है लेकिन राजघरानों का सम्मान हमारा फ़र्ज़ है।इंग्लैंड को देखो, बाकी देशों को देखो।इन्ही राजघरानों ने जनता के लिए ,मातृभूमि के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगाया है ,कुर्बानियां दी हैं।लड़े हैं अपने प्राण न्योछावर किये हैं।क्या सविंधान निर्माताओं और जजों ने कुर्बानियां दी हैं?सविधान भी जरूरी है ,कानून भी जरूरी है।लेकिन अपना गौरव, हमारे लिए अपनी जान देने वाले वीर का सम्मान भी जरूरी है।हमारे पूज्य भगवान का सम्मान भी जरूरी है।
संविधान, कानून इंसानों ने बनाये हैं। जैसे हम इन्हें बनाएंगे, जैसे फेरबदल करेंगे ये वैसे ही बनेंगे।कभी किसी कार्य को अपराध बना सकते है कभी किसी अपराध को अपराध की श्रेणी से निकाल सकते हैं।जैसे समलैंगिगता कहीं अपराध है कहीं नहीं है, चरित्रहीनता कहीं अपराध है , कहीं नहीं है।हाथ जोड़ के विनती है देश को चरित्रवान बनाएं।चरित्रहीन नहीं।
 
3. भगवान श्री राम जी के वंशज ----

       सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम के वंशजों के बारे में पूछते ही दावेदारों की लाइन लग गई है। इसमें राजस्थान के दौ और मेवाड़ का एक राजघराना भी शामिल है। राम के वंशजों पर कई शोध भी हुए हैं।...
 
 अयोध्या रामजन्म भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रहा है। आज, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर पांचवें दिन सुनवाई हो रही है। बुधवार से सुप्रीम कोर्ट इस केस की लगातार सुनवाई कर रहा है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था, क्या भगवान राम का कोई वंशज दुनिया में कहीं भी या अयोध्या में मौजूद है? इसके बाद प्रभु राम का वंशज होने के कई दावे सामने आ चुके हैं। राजसमंद से भाजपा सांसद और जयपुर राजघराने की सदस्य दीया कुमारी (Diya Kumari) का नाम भी इन दावेदारों में शामिल है। आपको जानकर हैरत होगी कि हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी प्रभु राम के वंशजों में शामिल हैं। ये कोई दावा नहीं, बल्कि भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किया गया एक डीएनए शोध है।
 
 
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट में राम के वंशजों की ढेरों कहानियां मौजूद हैं। सुप्रीम कोर्ट में ये मुद्दा उठने के बाद एक बार फिर से खुद को प्रभु राम का वंशज बताने वाले दावेदारों की कहानियां सामने आने लगी हैं। जयपुर राजघराने की भाजपा सांसद दीया कुमारी ने अपने पोथीखाने में उपलब्ध हस्तलिपि, वंशावली व दस्तावेजों के आधार पर वंशज होने के सुबूत पेश किए हैं। दीया कुमारी ने रविवार को ट्वीट कर दावा किया कि जयपुर राजपरिवार की गद्दी भगवान राम के पुत्र कुश के वंशजों की राजधानी है। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि दुनियाभर में प्रभु राम के वंशज मौजूद हैं। इसमें उनका परिवार भी शामिल है, जो श्रीराम के पुत्र कुश के वंशज हैं।
 
   
कुश का 309वां वंशज बताया है जयपुर राजघराना
दरअसल जयपुर राजघराने की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार को राम के पुत्र कुश का वंशज माना जाता है। महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह, कुश के 309वें वंशज थे। 21 अगस्त 1921 को जन्में महाराजा मानसिंह ने तीन शादियां की थीं। उनकी पहली पत्नी मरुधर कंवर, दूसरी पत्नी किशोर कंवर और तीसरी पत्नी गायत्री देवी थीं। भवानी सिंह पहली पत्नी के पुत्र थे। भवानी सिंह और पद्मिनी का कोई बेटा नहीं है। इनकी एक बेटी है, जिनका नाम दिया है, जिन्होंने रविवार को ट्वीट कर प्रभु राम के वंशज होने का दावा किया है। उनके पति का नाम नरेंद्र सिंह है।
 
लखनऊ के वैज्ञानिकों ने किया था शोध
दीया कुमारी का ये बयान कि श्रीराम के वंशज दुनिया भर में मौजूद हैं, डीएनए शोध करने वाले भारतीय वैज्ञानिकों के दावों से काफी मेल खाता है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऐसे कई राजा-महाराजा हैं, जिनके पूर्वज श्रीराम थे। इनमें राजस्थान के कुछ मुस्लिम समूह भी हैं, जो कुशवाहा वंश से ताल्लुक रखते हैं। मुगलकाल में इन्हें धर्म परिवर्तन करना पड़ा, लेकिन ये लोग आज भी खुद को प्रभु श्रीराम का वंशज ही मानते हैं। मेवात में दहंगल गोत्र के लोग भी भगवान राम के वंशज हैं। इन्हें छिरकोल गोत्र का मुस्लिम यदुवंशी माना जाता है।
 
 
 
राजस्थान के अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत कई राज्यों में ऐसे कई मुस्लिम इलाके या समूह हैं जो राम के वंश से संबंथ रखते हैं। डीएनए शोधानुसार उत्तर प्रदेश के 65 प्रतिशत मुस्लिम, ब्राह्मण बाकी राजपूत, कायस्थ, खत्री, वैश्य और दलित वंश से ताल्लुक रखते हैं। एसजीपीजीआई, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने फ्लोरिडा और स्पेन के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर किए गए अनुवांशिकी शोध के आधार पर ये निष्कर्ष निकाला था।
 
भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी है राम राज्य
तमाम कहानियों - कथाओं और ग्रंथों के अनुसार प्रभु श्रीराम का राज्य पूरे अखंड भारत में था, जिसमें उस वक्त भारत का हिस्सा रहा पाकिस्तान भी शामिल है। माना जाता है कि पाकिस्तान के लाहौर का ऐतिहासिक नाम लवपुरी था, जिसकी स्थापना प्रभु राम के पुत्र लव ने की थी। ये नगरी उनकी राजधानी हुआ करती थी। बाद में इसका नाम लौहपुरी हुआ और फिर इसे लाहौर कहा जाने लगा। दावा किया जाता है कि लौहार के एक किले में लव का मंदिर भी है। प्रभु राम ने कुश को दक्षिण कौशल, कुशस्थली (कुशावती) और अयोध्या सौंपा था, जबकि लव को पंजाब दिया था। कुश की राजधानी कुशावती थी, जो आज छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित है। माना जाता है कि लव से राघव और सिसोदिया राजपूतों का जन्म हुआ। राघव राजपूतों में बड़गुजर, जयास, सिकरवार का वंश चला और सिसोदिया राजपूतों से बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) का वंश आगे बढ़ा। इसी तरह कुश से कुशवाहा राजपूतों का वंश चला।
 
 
 
राजस्थान विश्वविद्यालय में हुआ शोध
जयपुर राजघराने की दिया कुमारी ने अपने बयान के समर्थन में एक प्राचीन नक्शा भी पेश किया है। इस नक्शे पर राजस्थान विश्विविद्यालय के प्रोफेसर व वरिष्ठ इतिहासकार आर नाथ ने विस्तृत शोध और जांच की है। शोध के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि जयपुर राजघराने के महाराज जय सिंह ने राजस्थान में जयसिंहपुरा बसाया था। उन्होंने जहां-जहां मुगलों ने आतंक मचाया था, उन सभी जगहों को खरीद लिया था। उसी दौर में उन्होंने अयोध्या को भी महज 5 रुपये में खरीदा था। उस वक्त अयोध्या पर औरंगजेब का कब्जा था। 1725 में महाराजा जय सिंह ने राम मंदिर का दोबारा निर्माण कराया था।
 
शोध में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि राम मंदिर वहां पहले से बना हुआ था। मस्जिद का उस जगह से कोई लेना-देना नहीं था। मस्जिद को मुगलों द्वारा मंदिर का बदला हुआ स्वरूप बताया गया था। शोध में जयपुर राजघराने के पास उनके स्वामित्व और रामजन्म स्थान से जुड़े अयोध्या के पट्टे, परवान, चक-नमस, चिट्ठियों और अन्य दस्तावेजों को भी शामिल किया गया है। इसी शोध के आधार पर प्रोफेसर आर नाथ ने हाईकोर्ट में दावा किया था कि अयोध्या की जमीन जयपुर राजघराने की है। इस संबंध में उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ मंत्री अरुण जेटली को भी पत्र लिखा था।
 
  
जयपुर घराने के पास मौजूद वंशावली
जयपुर घराने के पास मौजूद वंशावली के रिकॉर्ड में विष्णु, ब्रम्हा की उत्पत्ति से लेकर राजा दशरथ, प्रभु श्रीराम, उनके पुत्र कुश, महाराजा जय सिंह और फिर भवानी सिंह से लेकर उनके पुत्र पद्मनाभ तक का पूरा चरणबद्ध रिकॉर्ड मौजूद है। इसमें वंशावली में शुरुआत से अभी तक प्रभु राम के बाद और पहले के वंशजों का पूरा जिक्र है। जयपुर राजघराना कच्छवाहा वंश का शासक है, जिसकी उत्पत्ति श्रीराम के बड़े बेटे कुश से मानी जाती है।
 
कांग्रेसी नेता ने भी किया है दावा
भाजपा सांसद दिया कुमारी के बाद जयपुर के बढ़ गुर्जर राजपूत सत्येंद्र सिंह राघव ने भी खुद के भगवान राम का वंशज होने का दावा पेश किया है। वह कांग्रेस के प्रवक्ता हैं और पेशे से वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। उन्होंने भी रविवार को ही अपने परिवार को प्रभु राम के पुत्र लव का वंशज होने का दावा किया है। उन्होंने दावा किया कि आज का अयोध्या लव के राज क्षेत्र में आता था। उन्होंने श्रीमद् वाल्मीकि रामायण का जिक्र करते हुए दावा किया था कि लव का राज्य उत्तर कौशल था, जो आज अयोध्या है।
 
 
 
दावों पर विवाद
राम के वंशज के तौर पर राजस्थान के दो राजघरानों के सामने आने से इस पर विवाद भी शुरू हो गया है। कांग्रेस नेता सत्येंद्र सिंह राघव का कहना है कि भगवान राम के दूसरे पुत्र कुश थे, जयपुर राजघराना जिनका वंशज होने का दावा करता है। कुश को दक्षिण कौशल राज्य मिला था, जो आज छत्तीसगढ़ है।
 
मेवाड़ के राजपरिवार ने भी किया दावा
मेवाड़ के राजपरिवार ने भी खुद के श्रीराम का वंशज होने का दावा किया है। मेवाड़ के पूर्व महाराज महेंद्र सिंह मेवाड़ ने दावा किया कि उनका राजघराना राम के पुत्र लव का वंशज है। मेवाड़ में उनकी 76 पीढ़ियों का इतिहास दर्ज है। मेवाड़ राजघराने के ही लक्ष्यराज ने बताया कि कर्नल जेम्स टार्ड की पुस्तक में बताया गया है कि लव के वंशज कालांतर में गुजरात होते हुए मेवाड़ आए थे। उन्होंने यहां सिसोदिया साम्राज्य की स्थापना की थी। उनका दावा है कि श्रीराम भगवान शिव के उपासक थे। मेवाड़ राजपरिवार भी शिवजी का उपासक है। उनके परिवार का राज प्रतीक सूर्य है। ये समानताएं उन्हें प्रभु राम का वंशज बनाती हैं। कुछ अन्य जगहों पर भी मेवाड़ राजपरिवार के राम का वंशज होने का जिक्र मिलता है।
 
 
 
करणी सेना ने भी ठोंका दावा
राजस्थान के दो राजघरानों और मेवाड़ राजघराने के अलावा श्रीराजपूत करणी सेना ने भी भगवार राम का वंशज होने का दावा किया है। संस्था के एक गुट ने दावा किया है कि वह भगवार राम के पुत्र लव के वंशज हैं। करणी सेना के संयोजक लोकेंद्र सिंह कालवी ने मीडिया से बातचीत में दावा किया था कि वह सिसोदिया राजपूत हैं, जो लव के वंशज माने जाते हैं। उन्होंने जयपुर राजघराने की दिया कुमारी के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने खुद को कुश का वंशज बताया है। लोकेंद्र सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे श्रीराम जन्म भूमि केस में हिस्सा बनने की भी इच्छा जाहिर की है।


4. संगीत और वेद मंत्रों में गजब की शक्ति -- (रोहतक -केएस मोबिन]

       संगीत और वेद मंत्रों में गजब की शक्ति होती है, ऐसा साबित भी हो चुका और कई उदाहरण भी हमारे सामने आ चुके हैं। मगर रोहतक में संगीत और महामृत्‍युंजय मंत्र ने एक शख्‍स की जिंदगी ही बदल दी। मुंह के कैंसर के बाद आवाज खो चुके एक पायलट की आवाज संगीत और मंत्र से लौट आई। बात सुनने में भले ही अजीब लगे मगर सौ फीसदी सच है। रोहतक के सेक्टर-2 निवासी राजीव पायलट कभी मरना चाहते थे। वहीं, आज जिंदादिली से जिंदगी जी रहे हैं। डॉक्‍टर्स ने भी मुंह के कैंसर से आवाज चले जाने और कभी बोल न सकने की बात कही। मगर पायलट की दृढ़ इच्छाशक्ति व म्यूजिक थेरेपी से ऐसा चमत्‍कार हुआ कि अब चर्चा का विषय बन गया है। इतना ही नहीं अब वो अपनी जिंदगी की संजीवनी (म्यूजिक थेरेपी) से दूसरों की भी मदद कर रहे हैं।
 
 
म्यूजिक थेरेपिस्ट राजीव ने बताया कि पारिवारिक कलह से साल 2005 में तलाक हो गया। दो बच्चों समेत पत्नी छोड़कर चली गई। उधर, पार्टनरशिप में बनाई फैक्ट्री में आग से इतना नुकसान हुआ कि उबर ही नहीं पाया। छोटे भाई की बीमारी के कारण मौत हो गई। सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। एक वक्त ऐसा आया कि खुद को मारना चाहता था। सिविल एविएशन का शानदार करियर इन सभी घटनाओं से डगमगा गया। खुद को मारने के तरीके खोजने लगा।
 
मैं मीलों ऊंचाई पर प्लेन उड़ा हवा में बाते करता था, लेकिन पत्नी व बच्चों के विरह ने तोड़ दिया। फांसी पर लटककर या ट्रेन से कटकर मरने की हिम्मत नहीं हुई। डिप्रेशन का शिकार हो गया। पूरी-पूरी रात जगकर बिताने लगा। खुद को शराबनोशी में डुबा लिया। गुटखा, पान मसाला, तंबाकू व धूम्रपान की लत लगा ली। यह लत मुंह के कैंसर तक ले आई। साल 2011 में पहली बार पहली स्टेज के कैंसर का पता चला।
 
उन्‍होंने बताया मेरी बीमारी पर मां-बांप गमगीन थे। हालांकि, मैं बहुत खुश था। इतना खुश कि करीब छह साल बाद पहला दिन ऐसा रहा कि शराब व धूम्रपान नहीं किया। इस बीच मेरी फिक्र में मां तृष्णा बीमार रहने लगी। अल्जाइमर से ग्रस्त हो गई। जब मां की बीमारी का पता चला तो गहरा आघात लगा। अंदर से महसूस हुआ कि मेरे बाद बूढ़े माता-पिता का क्या होगा। छोटे बेटे की अर्थी को पिता पहले ही कंधा दे चुके थे। मेरे चले जाने के बाद इनका क्या हश्र होगा। मैं सहम गया। एक बार फिर मां-बाप के लिए जीना चाहता था।
 
म्यूजिक थेरेपिस्ट बोले- तू जिएगा भी और बोलेगा भी
उन्‍होंने बताया दिसंबर 2012 तक कैंसर चौथी स्टेज में पहुंच गया था। जनवरी 2013 में मुंह के कैंसर के लिए ऑपरेशन हुआ। जिसमें आधी जीभ काट दी गई। आवाज चली गई। पूरा शरीर काला पड़ गया। डॉक्टरों ने बताया कि कभी बोल नहीं पाएगा। मैं निराश था। इंटरनेट पर इलाज के लिए समाधान ढूंढने लगा। बेंगलुरु के म्यूजिक थेरेपिस्ट डॉ. टीवी साइराम के बारे में पता चला। मां के साथ उनसे मिलने गया, डॉ. ने मेरे बारे में मां से जानकारी ली व कहा तू जिएगा भी और बोलेगा भी।
 
सात माह बाद लौटी आवाज
डॉक्टर की सलाह पर रोजाना गाने का अभ्यास करने लगा। हालांकि, मुंह से आवाज नहीं निकलती थी। कई बार बेचैन हो जाता था। सोचता था कि डॉक्टर ने मजाक किया है। एक दिन मां ने बताया कि महामृत्युंजय मंत्र (ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्) का जाप करने की कोशिश किया करो। पहले तो मैंने टाल दिया, लेकिन एक दोस्त ने मंत्र के वैज्ञानिक फायदे बताए। महामृत्युंजय मंत्र जपने पर जीभ 360 डिग्री घूमती है। करीब सात माह बाद मेरी आवाज वापस आई। शुरू में अटक कर बोल पाता था। नियमित अभ्यास से आवाज साफ हो गई है।
 
डिप्रेशन के मरीजों का कर रहे इलाज
राजीव पायलेट सेक्टर-2 स्थित अपने निवास पर ही डिप्रेशन के शिकार लोगों का इलाज कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि म्यूजिक थेरेपी इतनी कारगर है कि कोमा में गए मरीजों को भी फायदा पहुंचाती है। फिलहाल डिप्रेशन व अनिद्रा से ग्रस्त लोग सलाह के लिए आ रहे हैं।1


5. अक्षय तृतीया ---

      हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है. बता दें, मां मातंगी देवी और भगवान परशुराम का अवतरण भी अक्षय तृतीया को ही हुआ था. खास बात यह है कि भगवान विष्णु ने हयग्रीव और नर-नारायण का अवतार भी इसी तिथि को लिया था. यही वजह है कि यह तिथि भारतीय संस्कृति की सर्वोत्तम मुहूर्त का निर्माण करती है.

6. पैतृक कृषि भूमि ---

       सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि हिन्दू उत्तराधिकारी पैतृक कृषि भूमि का अपना हिस्सा बेचना चाहता है तो उसे घर के व्यक्ति को ही प्राथमिकता देनी होगी। वह संपत्ति बाहरी व्यक्ति को नहीं बेच सकता। जस्टिस यूयू ललित व एमआर शाह की पीठ ने यह फैसला हिमाचल प्रदेश के एक मामले में दिया। इस मामले में सवाल था कि क्या कृषि भूमि भी धारा 22 के प्रावधानों के दायरे में आती है।
 
धारा 22 में प्रावधान है कि जब बिना वसीयत के किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसकी संपत्ति उत्तराधिकारियों पर आ जाती है। उत्तराधिकारी अपना हिस्सा बेचना चाहता है तो उसे अपने बचे हुए उत्तराधिकारी को प्राथमिकता देनी होगी।
 
पीठ ने कहा कि कृषि भूमि भी धारा 22 के प्रावधानों से संचालित होगी। इसमें हिस्सा बेचने के लिए व्यक्ति को अपने घर के व्यक्ति को प्राथमिकता देनी होगी। पीठ ने कहा कि धारा 4 (2) के समाप्त होने का इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि यह प्रावधान कृषिभूमि पर काश्तकारी के अधिकारों से संबंधित था। पीठ ने कहा कि इस प्रावधान के पीछे उद्देश्य है कि परिवार की संपत्ति परिवार के पास ही रहे और बाहरी व्यक्ति परिवार में न घुसे।
 
क्या था मामला
इस मामले में लाजपत की मृत्यु के बाद उसकी कृषिभूमि दो पुत्रों नाथू और संतोख को मिली। संतोष ने अपना हिस्सा एक बाहरी व्यक्ति को इसे बेच दिया। नाथू ने मामला दायर किया और कहा कि हिन्दू उत्तराधिकार कानून की धारा 22 के तहत उसे इस मामले में प्राथमिकता पर संपत्ति लेने का अधिकार प्राप्त है। ट्रायल कोर्ट ने डिक्री नाथू के पक्ष में दी और हाईकोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा


7. *विज्ञान हमें कहां से कहां ले आया!!*
 
*पहले*:-वो कुँए का मैला पानी
पीकर भी 100 वर्ष जी लेते थे!
*अब* :-RO का शुद्ध पानी
पीकर 40वर्ष में बुढ़े हो रहे हैं!
 
*पहले*:-वो घानी का मैला तेल
खाके बुढ़ापे में मेहनत करते थे।
*अब*:-हम डबल-फ़िल्टर तेल
खाकर जवानी में हाँफ जाते हैं
 
*पहले*:-वो डले वाला नमक
खाके बीमार ना पड़ते थे।
*अब*:-हम आयोडीन युक्त खाके
हाई-लो बीपी लिये पड़े हैं !
 
*पहले* :-वो नीम-बबूल,कोयला
नमक से दाँत चमकाते थे,और
80 वर्ष तक भी चबाके खाते थे
*अब*:-कॉलगेट सुरक्षा वाले
डेंटिस्ट के चक्कर लगाते हैं!
 
*पहले* :-वो नाड़ी पकड़कर
रोग बता देते थे
*अब*:-आज जाँचे कराने 
पर भी रोग नहीं जान पाते हैं!
 
*पहले*:-वो 7-8 बच्चे जन्मने
वाली माँ 80वर्ष की अवस्था में
भी खेत का काम करती थी।
*अब* :-पहले महीने से डॉक्टर
की देख-रेख में रहते हैं |फिर भी
बच्चे पेट फाड़कर जन्मते हैं!
 
*पहले* :-काले गुड़ की मिठाइयां
ठोक-ठोक के खा जाते थे !
*अब*:-खाने से पहले ही 
शुगर की बीमारी हो जाती है!
 
*पहले* :-बुजुर्गों के भी 
घुटने नहीं दुखते थे !
*अब* :-जवान भी घुटनों 
और कमर दर्द से कहराता है!
 
*पहले*:- 100w के बल्ब
जलाते थे तो बिजली का बिल 
200 रुपये आता था !
*अब*:-9w की c.f.l में 
2000 का बिल आता है! 
 
*आखीर समझ मे नहीं आता ये*
*विज्ञान का युग है या अज्ञान का?*



8. ब्राह्मणों का गोत्र ज्ञान ---
 
बन्धुओ,उन 115 ऋषियों के नाम, जो कि हमारा गोत्र भी है.......
 
१.  अत्रि गोत्र,
२.  भृगुगोत्र,
३.  आंगिरस गोत्र,
४.  मुद्गल गोत्र,
५.  पातंजलि गोत्र,
६.  कौशिक गोत्र,
७.  मरीच गोत्र,
८.  च्यवन गोत्र,
९.  पुलह गोत्र,
१०. आष्टिषेण गोत्र,
११. उत्पत्ति शाखा,
१२. गौतम गोत्र,
१३. वशिष्ठ और संतान (क) पर वशिष्ठ गोत्र, (ख)अपर वशिष्ठ गोत्र, (ग) उत्तर वशिष्ठ गोत्र, (घ)
पूर्व वशिष्ठ गोत्र, (ड) दिवा वशिष्ठ गोत्र !!!
१४. वात्स्यायन गोत्र,
१५. बुधायन गोत्र,
१६. माध्यन्दिनी गोत्र,
१७. अज गोत्र,
१८. वामदेव गोत्र,
१९. शांकृत्य गोत्र,
२०. आप्लवान गोत्र,
२१. सौकालीन गोत्र,
२२. सोपायन गोत्र,
२३. गर्ग गोत्र,
२४. सोपर्णि गोत्र,
२५. शाखा,
२६. मैत्रेय गोत्र,
२७. पराशर गोत्र,
२८. अंगिरा गोत्र,
२९. क्रतु गोत्र,
३०. अधमर्षण गोत्र,
३१. बुधायन गोत्र,
३२. आष्टायन कौशिक गोत्र,
३३. अग्निवेष भारद्वाज गोत्र, ३४.कौण्डिन्य गोत्र,
३५. मित्रवरुण गोत्र,
३६. कपिल गोत्र,
३७. शक्ति गोत्र,
३८. पौलस्त्य गोत्र,
३९. दक्ष गोत्र,
४०. सांख्यायन कौशिक गोत्र, ४१.जमदग्नि गोत्र,
४२. कृष्णात्रेय गोत्र,
४३. भार्गव गोत्र,
४४. हारीत गोत्र,
४५. धनञ्जय गोत्र,
४६. पाराशर गोत्र,
४७. आत्रेय गोत्र,
४८. पुलस्त्य गोत्र,
४९. भारद्वाज गोत्र,
५०. कुत्स गोत्र,
५१. शांडिल्य गोत्र,
५२. भरद्वाज गोत्र,
५३. कौत्स गोत्र,
५४. कर्दम गोत्र,
५५. पाणिनि गोत्र,
५६. वत्स गोत्र,
५७. विश्वामित्र गोत्र,
५८. अगस्त्य गोत्र,
५९. कुश गोत्र,
६०. जमदग्नि कौशिक गोत्र, ६१.कुशिक गोत्र,
६२.  देवराज गोत्र,
६३. धृत कौशिक गोत्र,
६४. किंडव गोत्र,
६५. कर्ण गोत्र,
६६. जातुकर्ण गोत्र,
६७. काश्यप गोत्र,
६८. गोभिल गोत्र,
६९. कश्यप गोत्र,
७०. सुनक गोत्र,
७१. शाखाएं गोत्र,
७२. कल्पिष गोत्र,
७३. मनु गोत्र,
७४. माण्डब्य गोत्र,
७५. अम्बरीष गोत्र,
७६. उपलभ्य गोत्र,
७७. व्याघ्रपाद गोत्र,
७८. जावाल गोत्र,
७९. धौम्य गोत्र,
८०. यागवल्क्य गोत्र,
८१. और्व गोत्र,
८२. दृढ़ गोत्र,
८३. उद्वाह गोत्र,
८४. रोहित गोत्र,
८५. सुपर्ण गोत्र,
८६. गालिब गोत्र,
८७. वशिष्ठ गोत्र,
८८. मार्कण्डेय गोत्र,
८९. अनावृक गोत्र,
९०. आपस्तम्ब गोत्र,
९१. उत्पत्ति शाखा गोत्र,
९२. यास्क गोत्र,
९३. वीतहब्य गोत्र,
९४. वासुकि गोत्र,
९५. दालभ्य गोत्र,
९६. आयास्य गोत्र,
९७. लौंगाक्षि गोत्र,
९८. चित्र गोत्र,
९९. विष्णु गोत्र,
१००.शौनक गोत्र,
१०१.पंचशाखा गोत्र,
१०२.सावर्णि गोत्र,
१०३.कात्यायन गोत्र,
१०४.कंचन गोत्र,
१०५.अलम्पायन गोत्र,
१०६.अव्यय गोत्र,
१०७.विल्च गोत्र,
१०८.शांकल्य गोत्र,
१०९.उद्दालक गोत्र,
११०.जैमिनी गोत्र,
१११.उपमन्यु गोत्र,
११२.उतथ्य गोत्र,
११३.आसुरि गोत्र,
११४.अनूप गोत्र,
११५.आश्वलायन गोत्र !!!!!
 
कुल संख्या 108 ही है, लेकिन इनकी छोटी-छोटी 7 शाखा और हुई है ! इस प्रकार कुल मिलाकर इनकी पूरी संख्या 115 है !
 

9. हिन्दू धर्म की वैज्ञानिक विशेषताएं ---
 
 
(1)  क्यो 
"नासा-के-वैज्ञानीको" 
       ने माना की 
     सूरज 
            से 
       ""
          " ॐ "
      "  " 
की आवाज निकलती है?
 
(2) क्यो 'अमेरिका' ने
   "भारतीय - देशी - गौमुत्र"  पर 
            4 Patent लिया ,
व, 
कैंसर और दूसरी बिमारियो के
लिये दवाईया बना रहा है ? 
जबकी हम 
       "  गौमुत्र  "
             का महत्व 
हजारो साल पहले से जानते है,
 
(3) क्यो अमेरिका के 
'सेटन-हाल-यूनिवर्सिटी' मे 
        "गीता" 
  पढाई जा रही है?
 
(4) क्यो इस्लामिक देश  'इंडोनेशिया' के Aeroplane का नाम
"भगवान नारायण के वाहन गरुड" के नाम पर  "Garuda Indonesia"  है, जिसमे  garuda  का symbol भी है?
 
(5) क्यो इंडोनेशिया के
      रुपए पर  
"भगवान गणेश"  
  की फोटो है?
 
(6) क्यो  'बराक-ओबामा'  हमेशा अपनी जेब मे 
    "हनुमान-जी"  
की फोटो रखते है? 
 
(7) क्यो आज
         पूरी दुनिया  
 "योग-प्राणायाम" 
      की दिवानी है? 
 
(8) क्यो  भारतीय-हिंदू-वैज्ञानीको"
                           ने 
            ' हजारो साल पहले ही '  
                  बता दिया  की 
             धरती गोल है ? 
   
(9) क्यो जर्मनी के Aeroplane का 
    संस्कृत-नाम 
  "Luft-hansa"  
                है ? 
 
(10) क्यो हिंदुओ के नाम पर  'अफगानिस्थान'  के पर्वत का नाम
      "हिंदूकुश"  है? 
(11) क्यो हिंदुओ के नाम पर
     हिंदी भाषा, 
      हिन्दुस्तान, 
        हिंद महासागर
      ये सभी नाम है? 
 
(12) क्यो  'वियतनाम देश'  मे
   "Visnu-भगवान"  की 
4000-साल पुरानी मूर्ति पाई
गई?
 
(13) क्यो अमेरिकी-वैज्ञानीक
                 Haward ने, 
            शोध के बाद माना - 
                        की  
                       
 "गायत्री मंत्र मे  " 110000 freq " 
                    
                   के कंपन है? 
                      
(14) क्यो  'बागबत की बडी मस्जिद के इमाम'  
          ने 
     "सत्यार्थ-प्रकाश"  
 पढने के बाद हिंदू-धर्म अपनाकर,
        "महेंद्रपाल आर्य"  बनकर, 
हजारो मुस्लिमो को हिंदू बनाया,
       और वो कई-बार  
      'जाकिर-नाईक' से 
  Debate के लिये कह चुके है,
मगर जाकिर की हिम्म्त नही हुइ,
 
(15) अगर हिंदू-धर्म मे  
       "यज्ञ"  
            करना 
       अंधविश्वास है, 
तो ,
क्यो  'भोपाल-गैस-कांड'   मे, 
जो    "कुशवाह-परिवार"  एकमात्र बचा, 
जो उस समय   यज्ञ   कर रहा था,
 
(16) 'गोबर-पर-घी जलाने से' 
"१०-लाख-टन आक्सीजन गैस" 
                      बनती है, 
                   
(17) क्यो "Julia Roberts"
(American actress and producer) 
                     ने हिंदू-धर्म 
            अपनाया और
              वो हर रोज 
           "मंदिर"
                जाती है,
  
 (18) 
               अगर  
 "रामायण" 
              झूठा है,
तो क्यो दुनियाभर मे केवल 
            "राम-सेतू" 
के ही पत्थर आज भी तैरते है?
 
(19) अगर  "महाभारत"  झूठा है, 
तो क्यो भीम के पुत्र ,
       ''घटोत्कच'' 
का विशालकाय कंकाल,
      वर्ष 2007 में 
'नेशनल-जिओग्राफी' की टीम ने,
'भारतीय-सेना की सहायता से' 
उत्तर-भारत के इलाके में खोजा? 
 
(20) क्यो अमेरिका के सैनिकों को,
अफगानिस्तान (कंधार) की एक
गुफा में ,
5000 साल पहले का,
 महाभारत-के-समय-का 
       "विमान"   
      मिला है?
 
 
हनुमान चालीसा में एक श्लोक है:-
 
जुग (युग) सहस्त्र जोजन (योजन) पर भानु |
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||
अर्थात हनुमानजी ने 
एक युग सहस्त्र योजन दूरी पर 
स्थित भानु अर्थात सूर्य को 
मीठा फल समझ के खा लिया था |
 
1 युग = 12000 वर्ष
1 सहस्त्र = 1000
1 योजन = 8 मील
 
युग x सहस्त्र x योजन = पर भानु
12000 x 1000 x 8 मील = 96000000 मील
 
1 मील = 1.6 किमी
96000000 x 1.6 = 1536000000 किमी 
 
अर्थात हनुमान चालीसा के अनुसार
सूर्य पृथ्वी से 1536000000 किमी  की दूरी पर है | 
NASA के अनुसार भी सूर्य पृथ्वी से बिलकुल इतनी ही दूरी पर है| 
 
इससे पता चलता है की हमारा पौराणिक साहित्य कितना सटीक एवं वैज्ञानिक है , 
इसके बावजूद इनको बहुत कम महत्व दिया जाता है |
 .
 
 
 
10. अठारह पुराण ---

      पुराण शब्द का अर्थ है प्राचीन कथा। पुराण विश्व साहित्य के प्रचीनत्म ग्रँथ हैं। उन में लिखित ज्ञान और नैतिकता की बातें आज भी प्रासंगिक, अमूल्य तथा मानव सभ्यता की आधारशिला हैं। वेदों की भाषा तथा शैली कठिन है। पुराण उसी ज्ञान के सहज तथा रोचक संस्करण हैं। उन में जटिल तथ्यों को कथाओं के माध्यम से समझाया गया है।
 
 पुराणों का विषय नैतिकता, विचार, भूगोल, खगोल, राजनीति, संस्कृति, सामाजिक परम्परायें, विज्ञान तथा अन्य विषय हैं। विशेष तथ्य यह है कि पुराणों में देवा-देवताओं, राजाओ, और ऋषि-मुनियों के साथ साथ जन साधारण की कथायें भी उल्लेख किया गया हैं जिस से पौराणिक काल के सभी पहलूओं का चित्रण मिलता है।
 
महृर्षि वेदव्यास ने 18 पुराणों का संस्कृत भाषा में संकलन किया है। ब्रह्मा विष्णु तथा महेश्वर उन पुराणों के मुख्य देव हैं। त्रिमूर्ति के प्रत्येक भगवान स्वरूप को छः पुराण समर्पित किये गये हैं। इन 18 पुराणों के अतिरिक्त 16 उप-पुराण भी हैं किन्तु विषय को सीमित रखने के लिये केवल मुख्य पुराणों का संक्षिप्त परिचय ही दिया गया है। मुख्य पुराणों का वर्णन इस प्रकार हैः-
 
1. ब्रह्म पुराण – ब्रह्म पुराण सब से प्राचीन है। इस पुराण में 246 अध्याय तथा 14000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में ब्रह्मा की महानता के अतिरिक्त सृष्टि की उत्पत्ति, गंगा आवतरण तथा रामायण और कृष्णावतार की कथायें भी संकलित हैं। इस ग्रंथ से सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर सिन्धु घाटी सभ्यता तक की कुछ ना कुछ जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
 
2. पद्म पुराण - पद्म पुराण में 55000 श्र्लोक हैं और यह गॅंथ पाँच खण्डों में विभाजित है जिन के नाम सृष्टिखण्ड, स्वर्गखण्ड, उत्तरखण्ड, भूमिखण्ड तथा पातालखण्ड हैं। इस ग्रंथ में पृथ्वी आकाश, तथा नक्षत्रों की उत्पति के बारे में उल्लेख किया गया है। चार प्रकार से जीवों की उत्पत्ति होती है जिन्हें उदिभज, स्वेदज, अणडज तथा जरायुज की श्रेणा में रखा गया है। यह वर्गीकरण पुर्णत्या वैज्ञायानिक है। भारत के सभी पर्वतों तथा नदियों के बारे में भी विस्तरित वर्णन है। इस पुराण में शकुन्तला दुष्यन्त से ले कर भगवान राम तक के कई पूर्वजों का इतिहास है। शकुन्तला दुष्यन्त के पुत्र भरत के नाम से हमारे देश का नाम जम्बूदीप से भरतखण्ड और पश्चात भारत पडा था।
 
3. विष्णु पुराण - विष्णु पुराण में 6 अँश तथा 23000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में भगवान विष्णु, बालक ध्रुव, तथा कृष्णावतार की कथायें संकलित हैं। इस के अतिरिक्त सम्राट पृथु की कथा भी शामिल है जिस के कारण हमारी धरती का नाम पृथ्वी पडा था। इस पुराण में सू्र्यवँशी तथा चन्द्रवँशी राजाओं का इतिहास है। भारत की राष्ट्रीय पहचान सदियों पुरानी है जिस का प्रमाण विष्णु पुराण के निम्नलिखित शलोक में मिलता हैःउत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्। वर्षं तद भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः।(साधारण शब्दों में इस का अर्थ है कि वह भूगौलिक क्षेत्र जो उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में सागर से घिरा हुआ है भारत देश है तथा उस में निवास करने वाले सभी जन भारत देश की ही संतान हैं।) भारत देश और भारत वासियों की इस से स्पष्ट पहचान और क्या हो सकती है? विष्णु पुराण वास्तव में ऐक ऐतिहासिक ग्रंथ है।
 
4. शिव पुराण – शिव पुराण में 24000 श्र्लोक हैं तथा यह सात संहिताओं में विभाजित है। इस ग्रंथ में भगवान शिव की महानता तथा उन से सम्बन्धित घटनाओं को दर्शाया गया है। इस ग्रंथ को वायु पुराण भी कहते हैं। इस में कैलास पर्वत, शिवलिंग तथा रुद्राक्ष का वर्णन और महत्व, सप्ताह के दिनों के नामों की रचना, प्रजापतियों तथा काम पर विजय पाने के सम्बन्ध में वर्णन किया गया है। सप्ताह के दिनों के नाम हमारे सौर मण्डल के ग्रहों पर आधारित हैं और आज भी लगभग समस्त विश्व में प्रयोग किये जाते हैं।
 
5. भागवत पुराण – भागवत पुराण में 18000 श्र्लोक हैं तथा 12 स्कंध हैं। इस ग्रंथ में अध्यात्मिक विषयों पर वार्तालाप है। भक्ति, ज्ञान तथा वैराग्य की महानता को दर्शाया गया है। विष्णु और कृष्णावतार की कथाओं के अतिरिक्त महाभारत काल से पूर्व के कई राजाओं, ऋषि मुनियों तथा असुरों की कथायें भी संकलित हैं। इस ग्रंथ में महाभारत युद्ध के पश्चात श्रीकृष्ण का देहत्याग, दूारिका नगरी के जलमग्न होने और यादव वँशियों के नाश तक का विवर्ण भी दिया गया है।
 
6. नारद पुराण - नारद पुराण में 25000 श्र्लोक हैं तथा इस के दो भाग हैं। इस ग्रंथ में सभी 18 पुराणों का सार दिया गया है। प्रथम भाग में मन्त्र तथा मृत्यु पश्चात के क्रम आदि के विधान हैं। गंगा अवतरण की कथा भी विस्तार पूर्वक दी गयी है। दूसरे भाग में संगीत के सातों स्वरों, सप्तक के मन्द्र, मध्य तथा तार स्थानों, मूर्छनाओं, शुद्ध ऐवम कूट तानो और स्वरमण्डल का ज्ञान लिखित है। संगीत पद्धति का यह ज्ञान आज भी भारतीय संगीत का आधार है। जो पाश्चात्य संगीत की चकाचौंध से चकित हो जाते हैं उन के लिये उल्लेखनीय तथ्य यह है कि नारद पुराण के कई शताब्दी पश्चात तक भी पाश्चात्य संगीत में केवल पाँच स्वर होते थे तथा संगीत की थि्योरी का विकास शून्य के बराबर था। मूर्छनाओं के आधार पर ही पाश्चात्य संगीत के स्केल बने है।
 
7. मार्कण्डेय पुराण – अन्य पुराणों की अपेक्षा यह छोटा पुराण है। मार्कण्डेय पुराण में 9000 श्र्लोक तथा 137 अध्याय हैं। इस ग्रंथ में सामाजिक न्याय और योग के विषय में ऋषि मार्कण्डेय तथा ऋषि जैमिनि के मध्य वार्तालाप है। इस के अतिरिक्त भगवती दुर्गा तथा श्रीक़ृष्ण से जुड़ी हुयी कथायें भी संकलित हैं।
 
8. अग्नि पुराण – अग्नि पुराण में 383 अध्याय तथा 15000 श्र्लोक हैं। इस पुराण को भारतीय संस्कृति का ज्ञानकोष (इनसाईक्लोपीडिया) कह सकते है। इस ग्रंथ में मत्स्यावतार, रामायण तथा महाभारत की संक्षिप्त कथायें भी संकलित हैं। इस के अतिरिक्त कई विषयों पर वार्तालाप है जिन में धनुर्वेद, गान्धर्व वेद तथा आयुर्वेद मुख्य हैं। धनुर्वेद, गान्धर्व वेद तथा आयुर्वेद को उप-वेद भी कहा जाता है।
 
9. भविष्य पुराण – भविष्य पुराण में 129 अध्याय तथा 28000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में सूर्य का महत्व, वर्ष के 12 महीनों का निर्माण, भारत के सामाजिक, धार्मिक तथा शैक्षिक विधानों आदि कई विषयों पर वार्तालाप है। इस पुराण में साँपों की पहचान, विष तथा विषदंश सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी भी दी गयी है। इस पुराण में पुराने राजवँशों के अतिरिक्त भविष्य में आने वाले नन्द वँश, मौर्य वँशों, मुग़ल वँश, छत्रपति शिवा जी तक का वृतान्त भी दिया गया है । सत्य नारायण की कथा भी इसी पुराण से ली गयी है। यह पुराण भी भारतीय इतिहास का महत्वशाली स्त्रोत्र है जिस पर शोध कार्य करना चाहिये।
 
10. ब्रह्मावैवर्ता पुराण – ब्रह्माविवर्ता पुराण में 18000 श्र्लोक तथा 218 अध्याय हैं। इस ग्रंथ में ब्रह्मा, गणेश, तुल्सी, सावित्री, लक्ष्म सरस्वती तथा क़ृष्ण की महानता को दर्शाया गया है तथा उन से जुड़ी हुयी कथायें संकलित हैं। इस पुराण में आयुर्वेद सम्बन्धी ज्ञान भी संकलित है।
 
11. लिंग पुराण – लिंग पुराण में 11000 श्र्लोक और 163 अध्याय हैं। सृष्टि की उत्पत्ति तथा खगौलिक काल में युग, कल्प आदि की तालिका का वर्णन है। राजा अम्बरीष की कथा भी इसी पुराण में लिखित है। इस ग्रंथ में अघोर मंत्रों तथा अघोर विद्या के सम्बन्ध में भी उल्लेख किया गया है।
 
12. वराह पुराण – वराह पुराण में 217 स्कन्ध तथा 10000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में वराह अवतार की कथा के अतिरिक्त भागवत गीता महामात्या का भी विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। इस पुराण में सृष्टि के विकास, स्वर्ग, पाताल तथा अन्य लोकों का वर्णन भी दिया गया है। श्राद्ध पद्धति, सूर्य के उत्तरायण तथा दक्षिणायन विचरने, अमावस और पूर्णमासी के कारणों का वर्णन है। महत्व की बात यह है कि जो भूगौलिक और खगौलिक तथ्य इस पुराण में संकलित हैं वही तथ्य पाश्चात्य जगत के वैज्ञिानिकों को पंद्रहवी शताब्दी के बाद ही पता चले थे।
 
13. सकन्द पुराण – सकन्द पुराण सब से विशाल पुराण है तथा इस पुराण में 81000 श्र्लोक और छः खण्ड हैं। सकन्द पुराण में प्राचीन भारत का भूगौलिक वर्णन है जिस में 27 नक्षत्रों, 18 नदियों, अरुणाचल प्रदेश का सौंदर्य, भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों, तथा गंगा अवतरण के आख्यान शामिल हैं। इसी पुराण में स्याहाद्री पर्वत श्रंखला तथा कन्या कुमारी मन्दिर का उल्लेख भी किया गया है। इसी पुराण में सोमदेव, तारा तथा उन के पुत्र बुद्ध ग्रह की उत्पत्ति की अलंकारमयी कथा भी है।
 
14. वामन पुराण - वामन पुराण में 95 अध्याय तथा 10000 श्र्लोक तथा दो खण्ड हैं। इस पुराण का केवल प्रथम खण्ड ही उप्लब्द्ध है। इस पुराण में वामन अवतार की कथा विस्तार से कही गयी हैं जो भरूचकच्छ (गुजरात) में हुआ था। इस के अतिरिक्त इस ग्रंथ में भी सृष्टि, जम्बूद तथा अन्य सात दूीपों की उत्पत्ति, पृथ्वी की भूगौलिक स्थिति, महत्वशाली पर्वतों, नदियों तथा भारत के खण्डों का जिक्र है।
 
15. कुर्मा पुराण – कुर्मा पुराण में 18000 श्र्लोक तथा चार खण्ड हैं। इस पुराण में चारों वेदों का सार संक्षिप्त रूप में दिया गया है। कुर्मा पुराण में कुर्मा अवतार से सम्बन्धित सागर मंथन की कथा विस्तार पूर्वक लिखी गयी है। इस में ब्रह्मा, शिव, विष्णु, पृथ्वी, गंगा की उत्पत्ति, चारों युगों, मानव जीवन के चार आश्रम धर्मों, तथा चन्द्रवँशी राजाओं के बारे में भी वर्णन है।
 
16. मतस्य पुराण – मतस्य पुराण में 290 अध्याय तथा 14000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में मतस्य अवतार की कथा का विस्तरित उल्लेख किया गया है। सृष्टि की उत्पत्ति हमारे सौर मण्डल के सभी ग्रहों, चारों युगों तथा चन्द्रवँशी राजाओं का इतिहास वर्णित है। कच, देवयानी, शर्मिष्ठा तथा राजा ययाति की रोचक कथा भी इसी पुराण में है।
 
17. गरुड़ पुराण – गरुड़ पुराण में 279 अध्याय तथा 18000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में मृत्यु पश्चात की घटनाओं, प्रेत लोक, यम लोक, नरक तथा 84 लाख योनियों के नरक स्वरुपी जीवन आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस पुराण में कई सूर्यवँशी तथा चन्द्रवँशी राजाओं का वर्णन भी है। साधारण लोग इस ग्रंथ को पढ़ने से हिचकिचाते हैं क्यों कि इस ग्रंथ को किसी सम्वन्धी या परिचित की मृत्यु होने के पश्चात ही पढ़वाया जाता है। वास्तव में इस पुराण में मृत्यु पश्चात पुनर्जन्म होने पर गर्भ में स्थित भ्रूण की वैज्ञानिक अवस्था सांकेतिक रूप से बखान की गयी है जिसे वैतरणी नदी आदि की संज्ञा दी गयी है। समस्त योरुप में उस समय तक भ्रूण के विकास के बारे में कोई भी वैज्ञानिक जानकारी नहीं थी। अंग्रेज़ी साहित्य में जान बनियन की कृति दि पिलग्रिम्स प्रौग्रेस कदाचित इस ग्रंथ से परेरित लगती है जिस में एक एवेंजलिस्ट मानव को क्रिस्चियन बनने के लिय त्साहित करते दिखाया है ताकि वह नरक से बच सके। 
 
18. ब्रह्माण्ड पुराण - ब्रह्माण्ड पुराण में 12000 श्र्लोक तथा पू्र्व, मध्य और उत्तर तीन भाग हैं। मान्यता है कि अध्यात्म रामायण पहले ब्रह्माण्ड पुराण का ही एक अंश थी जो अभी एक प्रथक ग्रंथ है। इस पुराण में ब्रह्माण्ड में स्थित ग्रहों के बारे में वर्णन किया गया है। कई सूर्यवँशी तथा चन्द्रवँशी राजाओं का इतिहास भी संकलित है। सृष्टि की उत्पत्ति के समय से ले कर अभी तक सात मनोवन्तर (काल) बीत चुके हैं जिन का विस्तरित वर्णन इस ग्रंथ में किया गया है। परशुराम की कथा भी इस पुराण में दी गयी है। इस ग्रँथ को विश्व का प्रथम खगोल शास्त्र कह सकते है। भारत के ऋषि इस पुराण के ज्ञान को इण्डोनेशिया भी ले कर गये थे जिस के प्रमाण इण्डोनेशिया की भाषा में मिलते है।
 
हिन्दू पौराणिक इतिहास की तरह अन्य देशों में भी महामानवों, दैत्यों, देवों, राजाओं तथा साधारण नागरिकों की कथायें प्रचिलित हैं। कईयों के नाम उच्चारण तथा भाषाओं की विभिन्नता के कारण बिगड़ भी चुके हैं जैसे कि हरिकुल ईश से हरकुलिस, कश्यप सागर से केस्पियन सी, तथा शम्भूसिहं से शिन बू सिन आदि बन गये। तक्षक के नाम से तक्षशिला और तक्षकखण्ड से ताशकन्द बन गये। यह विवरण अवश्य ही किसी ना किसी ऐतिहासिक घटना कई ओर संकेत करते हैं।
 

11. हिन्दू धर्म की महत्वपूर्ण जानकारियां ----


? *वैदिक धर्म ज्ञानावली* ?
 
?प्रश्न  - पृथ्वी पर सबसे पहले मनुष्य कहाँ उत्पन्न हुए ?
?उत्तर- पृथ्वी पर सबसे पहले मनुष्य ( त्रिविष्टुप) तिब्बत में उत्पन्न हुए । 
 
?प्रश्न  - आर्य किसे कहते हैं  ?
? उत्तर  - उत्तम-गुण कर्म-स्वभाव वाले मनुष्य का नाम आर्य होता है।
 
?प्रश्न  - क्या आर्य लोग भारतवर्ष में बाहर से आये थे? 
?उत्तर  - आर्य लोग भारतवर्ष में बाहर से नहीं आये थे ।
 
?प्रश्न  - इतिहास में ऐसा पढ़ाते है कि आर्य लोग बाहर से आये थे? 
?उत्तर  - इतिहास में गलत पढाया जा रहा है । आर्य भारतवर्ष के मूल निवासी है। हमारे सभी धर्म ग्रंथों में आर्य शब्द  आया है । महाभारत, रामायण, गीता, शास्त्रों, उपनिषदों वेदों में आर्य शब्द मिलता है। संसार की सबसे पुरानी पुस्तक ऋग्वेद में तो आर्य शब्द ३७ बार आया है । थोड़ा विचार करे कि महाभारत, रामायण आदि एतिहासिक ग्रन्थों में आर्य शब्द है तो क्या महाभारत , रामायण जैसे एतिहासिक ग्रन्थ भी बाहर से आये थे ? सृष्टि उत्पत्ति से लेकर ५००० वर्ष पहले तक पृथ्वी पर आर्यों का चक्रवर्ती राजा होता था  ।युधिष्ठिर आर्यों के अन्तिम चक्रवर्ती राजा थे।
 
?प्रश्न  - चक्रवर्ती सम्राट किसे कहते हैं? 
?उत्तर  - सम्पूर्ण पृथ्वी के राजा को चक्रवर्ती सम्राट कहते हैं।
 
?प्रश्न  - पृथ्वी पर 
वैदिक साम्राज्य कब तक रहा ?
?उत्तर  - पृथ्वी पर वैदिक साम्राज्य सृष्टि के प्रारम्भ से लेकर महाभारत काल पर्यन्त अर्थात् - १,९६,०८,४८,000 वर्ष तक रहा।  युधिष्ठिर भारतवर्ष के अन्तिम चक्रवर्ती सम्राट थे ।
 
?प्रश्न  - वैदिक काल में विश्व के लोग किस ईश्वर 
को मानते थे?
?उत्तर  - वैदिक काल में विश्व के लोग केवल एक निराकार ईश्वर को मानते थे।
 
?प्रश्न  - वैदिक साम्राज्य के काल में विश्व शासन की भाषा कौन सी थी?
? वैदिक साम्राज्य के काल में विश्व शासन की भाषा संस्कृत थी ।
 
?प्रश्न  - वैदिक काल में शिक्षा प्रणाली कौन सी थी?
?उत्तर  - वैदिक काल में शिक्षा प्रणाली प्रणाली गुरूकुलीय थी ।
 

12. कौरवों और पांडवों की जानकारी  ---

पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -
 
1. युधिष्ठिर    2. भीम    3. अर्जुन
4. नकुल।      5. सहदेव
 
( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )
 
यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन
की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।
 
वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..
कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -
 
1. दुर्योधन      2. दुःशासन   3. दुःसह
4. दुःशल        5. जलसंघ    6. सम
7. सह            8. विंद         9. अनुविंद
10. दुर्धर्ष       11. सुबाहु।   12. दुषप्रधर्षण
13. दुर्मर्षण।   14. दुर्मुख     15. दुष्कर्ण
16. विकर्ण     17. शल       18. सत्वान
19. सुलोचन   20. चित्र       21. उपचित्र
22. चित्राक्ष     23. चारुचित्र 24. शरासन
25. दुर्मद।       26. दुर्विगाह  27. विवित्सु
28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ
31. नन्द।        32. उपनन्द   33. चित्रबाण
34. चित्रवर्मा    35. सुवर्मा    36. दुर्विमोचन
37. अयोबाहु   38. महाबाहु  39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग  42. भीमबल
43. बालाकि    44. बलवर्धन 45. उग्रायुध
46. सुषेण       47. कुण्डधर  48. महोदर
49. चित्रायुध   50. निषंगी     51. पाशी
52. वृन्दारक   53. दृढ़वर्मा    54. दृढ़क्षत्र
55. सोमकीर्ति  56. अनूदर    57. दढ़संघ 58. जरासंघ   59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक
61. उग्रश्रवा   62. उग्रसेन     63. सेनानी
64. दुष्पराजय        65. अपराजित 
66. कुण्डशायी        67. विशालाक्ष
68. दुराधर   69. दृढ़हस्त    70. सुहस्त
71. वातवेग  72. सुवर्च    73. आदित्यकेतु
74. बह्वाशी   75. नागदत्त 76. उग्रशायी
77. कवचि    78. क्रथन। 79. कुण्डी 
80. भीमविक्र 81. धनुर्धर  82. वीरबाहु
83. अलोलुप  84. अभय  85. दृढ़कर्मा
86. दृढ़रथाश्रय    87. अनाधृष्य
88. कुण्डभेदी।     89. विरवि
90. चित्रकुण्डल    91. प्रधम
92. अमाप्रमाथि    93. दीर्घरोमा
94. सुवीर्यवान     95. दीर्घबाहु
96. सुजात।         97. कनकध्वज
98. कुण्डाशी        99. विरज
100. युयुत्सु
 
( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहन भी थी… जिसका नाम""दुशाला""था,
जिसका विवाह "जयद्रथ" से हुआ  था )
 
13. श्री मद भागवद गीता ---  
 
ॐ . किसको किसने सुनाई?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई। 
 
ॐ . कब सुनाई?
उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।
 
ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
उ.- रविवार के दिन।
 
ॐ. कोन सी तिथि को?
उ.- एकादशी 
 
ॐ. कहा सुनाई?
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।
 
ॐ. कितनी देर में सुनाई?
उ.- लगभग 45 मिनट में
 
ॐ. क्यू सुनाई?
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।
 
ॐ. कितने अध्याय है?
उ.- कुल 18 अध्याय
 
ॐ. कितने श्लोक है?
उ.- 700 श्लोक
 
ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है। 
 
ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा 
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने
 
ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?
उ.- भगवान सूर्यदेव को
 
ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उ.- उपनिषदों में
 
ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।
 
ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?
उ.- गीतोपनिषद
 
ॐ. गीता का सार क्या है?
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना
 
ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?
उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574
अर्जुन ने- 85 
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 40.
 

14. देवताओं के प्रकार --- 
 
33 करोड नहीँ  33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू
धर्म मेँ।
 
कोटि = प्रकार। 
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,
 
कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।
 
हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...
 
कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-
 
12 प्रकार हैँ
आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,
सविता, तवास्था, और विष्णु...!
 
8 प्रकार हे :-
वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।
 
11 प्रकार है :- 
रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,
अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,
रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।
 
एवँ
दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।
 
कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी 
 

15. हिन्दू मान्यताएं ---
 
??  दो  पक्ष-
 
कृष्ण पक्ष , 
शुक्ल पक्ष !
 
??  तीन ऋण -
 
देव ऋण , 
पितृ ऋण , 
ऋषि ऋण !
 
??   चार युग -
 
सतयुग , 
त्रेतायुग ,
द्वापरयुग , 
कलियुग !
 
??  चार धाम -
 
द्वारिका , 
बद्रीनाथ ,
जगन्नाथ पुरी , 
रामेश्वरम धाम !
 
??   चारपीठ -
 
शारदा पीठ ( द्वारिका )
ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ) 
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) , 
शृंगेरीपीठ !
 
?? चार वेद-
 
ऋग्वेद , 
अथर्वेद , 
यजुर्वेद , 
सामवेद !
 
??  चार आश्रम -
 
ब्रह्मचर्य , 
गृहस्थ , 
वानप्रस्थ , 
संन्यास !
 
?? चार अंतःकरण -
 
मन , 
बुद्धि , 
चित्त , 
अहंकार !
 
??  पञ्च गव्य -
 
गाय का घी , 
दूध , 
दही ,
गोमूत्र , 
गोबर !
 
??  पञ्च देव -
 
गणेश , 
विष्णु , 
शिव , 
देवी ,
सूर्य !
 
?? पंच तत्त्व -
 
पृथ्वी ,
जल , 
अग्नि , 
वायु , 
आकाश !
 
??  छह दर्शन -
 
वैशेषिक , 
न्याय , 
सांख्य ,
योग , 
पूर्व मिसांसा , 
दक्षिण मिसांसा !
 
??  सप्त ऋषि -
 
विश्वामित्र ,
जमदाग्नि ,
भरद्वाज , 
गौतम , 
अत्री , 
वशिष्ठ और कश्यप! 
 
??  सप्त पुरी -
 
अयोध्या पुरी ,
मथुरा पुरी , 
माया पुरी ( हरिद्वार ) , 
काशी ,
कांची 
( शिन कांची - विष्णु कांची ) , 
अवंतिका और 
द्वारिका पुरी !
 
??  आठ योग - 
 
यम , 
नियम , 
आसन ,
प्राणायाम , 
प्रत्याहार , 
धारणा , 
ध्यान एवं 
समािध !
 
?? आठ लक्ष्मी -
 
आग्घ , 
विद्या , 
सौभाग्य ,
अमृत , 
काम , 
सत्य , 
भोग ,एवं 
योग लक्ष्मी !
 
?? नव दुर्गा --
 
शैल पुत्री , 
ब्रह्मचारिणी ,
चंद्रघंटा , 
कुष्मांडा , 
स्कंदमाता , 
कात्यायिनी ,
कालरात्रि , 
महागौरी एवं 
सिद्धिदात्री !
 
??   दस दिशाएं -
 
पूर्व , 
पश्चिम , 
उत्तर , 
दक्षिण ,
ईशान , 
नैऋत्य , 
वायव्य , 
अग्नि 
आकाश एवं 
पाताल !
 
??  मुख्य ११ अवतार -
 
 मत्स्य , 
कच्छप , 
वराह ,
नरसिंह , 
वामन , 
परशुराम ,
श्री राम , 
कृष्ण , 
बलराम , 
बुद्ध , 
एवं कल्कि !
 
?? बारह मास - 
 
चैत्र , 
वैशाख , 
ज्येष्ठ ,
अषाढ , 
श्रावण , 
भाद्रपद , 
अश्विन , 
कार्तिक ,
मार्गशीर्ष , 
पौष , 
माघ , 
फागुन !
 
??  बारह राशी - 
 
मेष , 
वृषभ , 
मिथुन ,
कर्क , 
सिंह , 
कन्या , 
तुला , 
वृश्चिक , 
धनु , 
मकर , 
कुंभ , 
मीन!
 
?? बारह ज्योतिर्लिंग - 
 
सोमनाथ ,
मल्लिकार्जुन ,
महाकाल , 
ओमकारेश्वर , 
बैजनाथ , 
रामेश्वरम ,
विश्वनाथ , 
त्र्यंबकेश्वर , 
केदारनाथ , 
घुष्नेश्वर ,
भीमाशंकर ,
नागेश्वर !
 
?? पंद्रह तिथियाँ - 
 
प्रतिपदा ,
द्वितीय ,
तृतीय ,
चतुर्थी , 
पंचमी , 
षष्ठी , 
सप्तमी , 
अष्टमी , 
नवमी ,
दशमी , 
एकादशी , 
द्वादशी , 
त्रयोदशी , 
चतुर्दशी , 
पूर्णिमा , 
अमावास्या !
 
?? स्मृतियां - 
 
मनु , 
विष्णु , 
अत्री , 
हारीत ,
याज्ञवल्क्य ,
उशना , 
अंगीरा , 
यम , 
आपस्तम्ब , 
सर्वत ,
कात्यायन , 
ब्रहस्पति , 
पराशर , 
व्यास , 
शांख्य ,
लिखित , 
दक्ष , 
शातातप , 
वशिष्ठ !
 
******************* ***


*जिस आदमी ने श्रीमदभगवद गीता का पहला उर्दू अनुवाद किया वो था मोहम्मद मेहरुल्लाह! बाद में उसने सनातन धर्म अपना लिया!*
 
*पहला व्यक्ति जिसने श्रीमदभागवद गीता का अरबी अनुवाद किया वो एक फिलिस्तीनी था अल फतेह कमांडो नाम का! जिसने बाद में जर्मनी में इस्कॉन जॉइन किया और अब हिंदुत्व में है!*
 
*पहला व्यक्ति जिसने इंग्लिश अनुवाद किया उसका नाम चार्ल्स विलिक्नोस था! उसने भी बाद में हिन्दू धर्म अपना लिया उसका तो ये तक कहना था कि दुनिया मे केवल हिंदुत्व बचेगा!*
 
*हिब्रू में अनुवाद करने वाला व्यक्ति Bezashition le fanah नाम का इसरायली था जिसने बाद में हिंदुत्व अपना लिया था भारत मे आकर!*
 
*पहला व्यक्ति जिसने रूसी भाषा मे अनुवाद किया उसका नाम था नोविकोव जो बाद में भगवान कृष्ण का भक्त बन गया था!**
 
*आज तक 283 बुद्धिमानों ने श्रीमद भगवद गीता का अनुवाद किया है अलग अलग भाषाओं में जिनमें से 58 बंगाली, 44 अंग्रेजी, 12 जर्मन, 4 रूसी, 4 फ्रेंच, 13 स्पेनिश, 5 अरबी, 3 उर्दू और अन्य कई भाषाएं थी ओर इन सब मे दिलचस्प बात यह है कि इन सभी ने बाद मैं हिन्दू धर्म को अपना लिया था।*
 
*जिस व्यक्ति ने कुरान को बंगाली में अनुवाद किया उसका नाम गिरीश चंद्र सेन था! लेकिन वो इस्लाम मे नहीं गया शायद इसलिए कि वो इस अनुवाद करने से पहले श्रीमद भागवद गीता को भी पढ़ चुके थे !*
 
*ये है सनातन धर्म और इसके धार्मिक ग्रंथों की ताकत।*
 
*और हम हिन्दू इन्हें ख़ुद ही नही पढ़ते है, है ना अजीब विडम्बना ??*
    
                *"सत्यमेव जयते"*
?एक हिन्दू को इन?  बातों की जानकारी , जबानी रखनी चाहिए :          
"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-
 
ॐ . किसको किसने सुनाई?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई। 
 
ॐ . कब सुनाई?
उ.- आज से लगभग 5110 साल पहले सुनाई।
 
ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
उ.- रविवार के दिन।
 
ॐ. कोनसी तिथि को?
उ.- एकादशी 
 
ॐ. कहा सुनाई?
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।
 
ॐ. कितनी देर में सुनाई?
उ.- लगभग 45 मिनट में
 
ॐ. क्यू सुनाई?
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।
 
ॐ. कितने अध्याय है?
उ.- कुल 18 अध्याय
 
ॐ. कितने श्लोक है?
उ.- 700 श्लोक
 
ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है। 
 
ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा 
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने
 
ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?
उ.- भगवान सूर्यदेव को
 
ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उ.- उपनिषदों में
 
ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।
 
ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?
उ.- गीतोपनिषद
 
ॐ. गीता का सार क्या है?
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना
 
ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है? 
उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574
अर्जुन ने- 84
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 41
 
अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद
 
अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।
 
33 करोड नहीँ  33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू
धर्म मेँ।
 
कोटि = प्रकार। 
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,
 
कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।
 
हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...
 
कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-
 
12 प्रकार हैँ
आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,
सविता, तवास्था, और विष्णु...!
 
8 प्रकार हे :-
वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।
 
11 प्रकार है :- 
रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,
अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,
रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।
 
एवँ
दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।
 
कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी 
 
?????????


अपने पूर्वजों और उनके आविष्कारों को जानें।
 
1. खगोल विज्ञान के पिता: आर्यभट्ट; काम - आर्यभट्टियम।
 
2. ज्योतिष के पिता: वराहमिहिर, कार्य; पंचसिद्धांतिका, बृहत होरा शास्त्र।
 
3. शल्य चिकित्सा के जनक : चरक और सुश्रुत , कार्य : संहिता ।
 
4. एनाटॉमी के जनक: पतंजलि, कार्य: योगसूत्र।
 
5. योग के पिता : पतंजलि , कार्य : योगसूत्र ।
 
6. अर्थशास्त्र के पिता: चाणक्य, कार्य: अर्थशास्त्र।
 
7. परमाणु सिद्धांत के जनक : ऋषि कणाद , कार्य : कणाद सूत्र ।
 
8. वास्तुकला के जनक: विश्वकर्मा।
 
9. एयरो डायनेमिक्स के जनक: मायासुर, कार्य: वास्तु दर्पण।
 
10. चिकित्सा के जनक: धन्वंतरी ने सबसे पहले आयुर्वेद को प्रतिपादित किया।
 
11. व्याकरण के जनक : पाणिनी , कार्य : व्याकरण दीपिका ।
 
12. नाट्यशास्त्र के पिता : भरतमुनि , कार्य : नाट्यशास्त्र ।
 
13. काव्या के पिता (साहित्य): कृष्ण द्वैपायन (वेदव्यास) कार्य; महाभारत, अष्टदशा पुराण।
 
14. नाटककार के पिता: कालिदास, कार्य: मेघधूतम, रघुवंशम, कुमार संभव आदि।
 
15. गणिता के पिता: भास्कर द्वितीय, कार्य: लीलावती।
 
16. युद्ध और हथियार के पिता: ऋषि परशुराम, कार्य: कलारीपयतु, सुल्बा सूत्र।
 
17. कहानी लेखन के जनक: विष्णु शर्मा, कार्य: पंचतंत्र।
 
18. राजनीति के जनक: चाणक्य, काम करता है: अर्थशास्त्र, नीति शस्त्र।
 
19. यौन शरीर रचना के जनक: वात्स्यान, कार्य: कामसूत्र।
 
20. दर्शनशास्त्र के जनक: श्रीकृष्ण, कार्य: श्रीभगवद्गीता।
 
21. अद्वैत के पिता: शंकर, कार्य: भाष्य (भाष्य), पंचदशी, विवेकचूड़ामणि।
 
22. कीमिया के जनक: नागार्जुन, कार्य: प्रग्नापरमिता सूत्र।
 
23. बिजली के जनक - ऋषि अगस्त्य - इलेक्ट्रो वोल्टिक सेल
 
24. विमानन विज्ञान के जनक - ऋषि भारद्वाज - विमान शास्त्र
 
25. गुरुत्वाकर्षण के पिता - ब्रह्मा गुप्त द्वितीय - गुरुत्वाकर्षण।
 
26. पाई मूल्य के जनक - ऋषि बौध्यान - बौधयन सूत्र - पाई का मूल्य (पाइथागोरस सिद्धांत)
 
उपरोक्त सूची सिर्फ एक हिमशैल का सिरा है। आइए हम अपने पूर्वजों द्वारा किए गए कार्यों को दुनिया को साझा करने और शिक्षित करने में गर्व महसूस करें। फिर भी हमारे पूर्वजों ने अपने विनम्र "नमस्ते" से दुनिया को नतमस्तक किया ?
 
हिन्दू होने पर गर्व होना चाहिए ! इसलिए
गर्व से कहो हम हिन्दू है
?️✧❂✧
 

Today, there have been 30 visitors (70 hits) on this page!
This website was created for free with Own-Free-Website.com. Would you also like to have your own website?
Sign up for free