1. कलेण्डर ---- आदिमानव को सूर्योदय और सूर्यास्त से दिन -रात का आभास हुआ . जिसके बाद चाँद के घटने बढ़ने को जोड़कर महीने की गणना की गई . उस वक़्त लोग मौसम परिवर्तन से वर्ष का अंदाजा लगाते थे . बाद मे पता चला पृथ्वी द्वारा सूर्य के परिकर्मा करने में बिताये गए समय को वर्ष कहते हैं . चन्द्रमा द्वारा पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाने के समय को महीना घोषित किया गया . पृथ्वी द्वारा अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करने के समय को दिन कहा गया . शुरू में एक माह में 30 दिन होते थे . 30 दिन वाले इन 12 महीनो का योग एक वर्ष कहलाता था . मिस्त्र के लोग वर्ष की समाप्ति पर 5 दिन और जोड़ देते थे . ताकि वर्ष में कूल दिन 365 हो जाएँ . 46 इसा पूर्व रोम के शासक ' जूलियस सिजर ' ने एक नया कलेण्डर जारी किया . इसको जारी करने में ' सोसिज़ोन ने भी अहम भूमिका निभाई . इसमें 365.25 दिन का एक वर्ष घोषित किया गया . इसके अनुसार प्रत्येक चौथे वर्ष को 366 दिन का माना गया . 366 दिन वाले इस वर्ष को ' लीप ईयर ' माना गया . लीप ईयर में फरवरी को 29 दिन का कर दिया गया . इस कलेण्डर में 1000 वर्ष बिताने पर 7 दिन का अंतर दर्ज़ किया गया . इस त्रुटि को ' ग्रेगरी ' ने दूर किया . उन्होंने सन १५२२ में कलेण्डर नियमो में सुधार करते हुए कहा की 4 से विभाजित वर्षो में फरवरी 29 दिन की होगी , नहीं तो 28 दिन की . यही कारण है की 1700, 1800, 1900 में फरवरी को 28 दिन का माना गया जबकि ये वर्ष लीप ईयर थे . यही कलेण्डर आज विश्व के ज्यादातर देशों में माना जाता है जिसे ' ग्रेगोरियन कलेण्डर ' कहते हैं . हमारे देश में चन्द्रमा की गति पर आधारित कलेण्डर भी चलते हैं . सन 1957 में शक सम्वत को राष्ट्रीय कलेण्डर मान लिया गया . जो ईसवी सम्वत से 78 वर्ष पीछे है . राजा विक्रमादित्य द्वारा शुरू किये गए कलेण्डर को विकर्मी सम्वत के नाम से जाना गया . जो ईसवी सन से 57 वर्ष आगे चलता है . और सूर्य की गति पर आधारित है।
ग्रेगोरियन कैलेंडर में 02.09.1752 के बाद सीधे 14.09.1752 की डेट बड़ा दी गई थी . क्योंकि ब्रिटेन वासियों को कुछ प्रॉब्लम आ रही थी .
2. पुराने सात आश्चर्य --
(1) - मिस्त्र के पिरामिड .
(2) - बेबीलोन ( इराक ) के झूलते उद्यान ( पिसा की झूलती मीनार ) .
(3) - ओलम्पिया ( यूनान ) में जुईस की प्रतिमा .
(4) - एफिसस में आर्टिमिस का देवालय .
(5.) - हेलीकार्नेसस का स्मारक .
(6) - रोडस की कोलोसस की विशाल मूर्ति .
(7) - सिकंदरिया का फावोरस नामक प्रकाश स्तम्भ .
3. गैस सिलेण्डर --- गैस सिलेण्डर की एक्सपायरी डेट होती है . जो सिलेण्डर के मुँह पर कोड वर्ड में लिखी जाती है . इसके तहत A,B,C,D अक्षर अंकित होते है और उसके साथ 2 नंबर और लिखे होते हैं . 'A' साल की पहली तिमाही ( जनवरी , फरवरी , मार्च ) , ' B ' साल की दूसरी तिमाही ( अप्रैल , मई , जून ) , 'C' साल की तीसरी तिमाही ( जुलाई , अगस्त , सितम्बर ) और 'D' साल की चौथी तिमाही ( अक्टूबर , नवंबर , दिसंबर ) को दर्शाता है . जबकि अंक वर्ष दर्शाते हैं . यानि अगर सिलेण्डर पर 'D-06' कोड है तो इसका मतलब है कि सिलेण्डर की एक्सपायरी डेट दिसंबर - 2006 थी . इस सिलेण्डर को 2006 के बाद बाजार में नहीं होना चाहिए . क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है . सिलेण्डर से हुए हादसे के बाद गैस कंपनी की तरफ से उपभोक्ता को मुआवजा देने का प्रावधान है . इसके तहत उपभोक्ता का ' थर्ड पार्टी इन्सुरेंस ' कराया जाता है . इसके तहत उपभोक्ता को हादसा होने पर 10 लाख रुपया तक की राशि प्रदान की जाती है . हादसा होने पर तुरंत डीलर को सुचना देनी चाहिए . डीलर सर्वेयर से सर्वे करवाता है . जिसके बाद उचित मुआवजा मिलता है . अवैध रूप से सिलेण्डर रखने वालों को मुआवजा नहीं मिलता .

4.डाकघर --- पहली बार डाकघर को राष्ट्रीय महत्व के अलग संगठन के रूप में स्वीकार किया गया . अक्टूबर 1954 में डाकघर महानिदेशक को सौंप दिया गया . इस व्यवस्था में 650 से ज्यादा रजवाड़ों की डाक प्रणालियों और जमींदार डाक व्यवस्था को ब्रिटिश डाक व्यवस्था में शामिल किया गया . वर्ष 1766 ईस्वी में लार्ड कलाइव ने देश में पहली डाक व्यवस्था स्थापित की थी . 1774 में वारेन हेस्टिंग्स ने इसे मज़बूत बनाया और कोलकाता डाकघर स्थापित किया . और 1837 में डाक अधिनियम लागु हुआ . उसके बाद मद्रास और मुंबई प्रेजिडेंसी में क्रमश सन 1786 और 1793 में डाक व्यवस्था शुरू हुई . डाक संगठनो को मिलाकर अखिल भारतीय डाक सेवा बनाने के लिए 1854 में सुधार हुआ . 1854 में ही डाक और तार विभाग अस्तित्व में आये . 19 वी शताब्दी के उत्तरार्ध में विभाग खर्चे निकालने लगे . जबकि 1914 के प्रथम विश्व युद्ध की शुरुवात में दोनों विभाग को मिला दिया गया . 1908 में 652 देशी राज्यों ने भारतीय डाकघर में शामिल होना स्वीकार कर लिया . केवल 15 राज्य बाहर रहे . पहले डाक विभाग डाक बंगलो और सरायों ( धर्मशाला ) की देख भाल करते थे . वह 1830 से 30 सालो तक यात्रियों के लिए सड़क यात्रा , निश्चित राशि के अग्रिम पालकी , नाव , घोड़े , घोड़ागाड़ी और डाक ले जाने वाली गाड़ी में जगह आरक्षित करवाता था . 19 वीं सदी में प्लेग जैसी भयंकर बीमारी फैलने के दौरान डाकघरों को कुनैन की गोलियां भी बेचनी पड़ी .1880 में मनी आर्डर भेजने का काम 5090 डाकघरों वाली एजेंसी को सौंपा गया .1884 में डाक घर जीवन बीमा शुरू हुआ .1920 में 5 माह तक चलने वाली डाक हड़ताल ने पूरी डाक सेवा को ठप कर दिया था . यह इतिहास चिट्ठी से स्पीड पोस्ट और इ -पोस्ट तक पहुँच गया .1879 में पोस्ट कार्ड ,1977 में वीपीपी ( वैल्यू पे एबल पार्सल ) , बीमा पार्सल शुरू हुई .1930 में पोस्टल आर्डर ,1972 में पिन कोड ( पोस्टल इंडेक्स नंबर ) चलाया गया .1985 में डाक और दूरसंचार विभाग अलग - अलग कर दिए गए . 1986 में स्पीड पोस्ट ,1994 में मेट्रो राजधानी में व्यापार चेंनल , ईपीएस और वि - सेट के माध्यम से आर्डर भेजे जाने लगे . आज डाकघरों में पैसा भी जमा होता है . रेलवे टिकट भी मिलते है . टेलीफोन बिल भरे जाते हैं . हमारा डाक सिस्टम बहुत पुराना है . वेदो में भी इसका जिक्र है . ' अथर्ववेद ' और ' अर्थशास्त्र ' में इसकी चर्चा बखूबी की गई है . दूत और कबूतर के माद्यम से सन्देश भेजने का जिक्र तो कई किताबो में किया गया है . लेकिन विधिवत रूप से ' मैसेंजर पोस्ट सिस्टम ' की शुरुवात कुतुबुद्दीन ऐबक ने सन 1207 में की थी . ईस्ट इंडिया कम्पनी के वाइसराय लार्ड क्लाइव ने 1766 में देश की पहली डाक - व्यवस्था को स्थापित किया . लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसे 1784 को बंद कर दिया . दुनिया की पहली डाक टिकट सन 1852 में मुंबई और सिंध से निकली थी . यह डाक टिकट गोल आकृति की थी और यह लाल , सफ़ेद और नीले रंग की थी . सन 1853 में डाक टिकट का पहला डिज़ाइन कोलकाता के ' मिंट ' में तैयार हुआ . इस समय ७०१ डाकघर पुरे देश में थे . इसी साल रेल डाक सेवा की स्थापना भी हुई और भारत से ब्रिटेन और चीन के बीच समुद्री डाक सेवा की शुरुवात भी इसी वर्ष हुई .
5. एटलस ( मानचित्र ) --- विश्व में सबसे प्राचीन एटलस अलेक्जेंडेरियन स्कूलर ने दूसरी शताब्दी में बनाया था . उसका नाम क्लाडियस टॉलेमी था . उसने ग्रीस के भौगोलिक विस्तार को एटलस में उतारा था जिसे ' जियोग्राफिया ' कहा जाता था .1475 से 1883 के समय में इसकी कई कॉपियां विभिन्न देशो के परिप्रेक्ष्य में बनती रही . सदियों पुराना एटलस तब पूरी तरह बदल सा गया जब क्रिस्टोफर कोलंबस , जॉन कैबोट आदि व्यक्तियों ने यात्राएं की .. उस समय आज के अधिकांश देशो के बारे में जानकारी नहीं थी इसलिए प्रत्येक खोज के बाद एटलस में बदलाव किया जाता था . विश्व का पहला आधुनिक एटलस 1570 में प्रिंटेड 'थिएटरवम ओर्बिस ' ( विश्व का थिएटर ) है . यह अब्राहम ऑर्टलइस ने छपवाया था . इसके बाद से विश्व की पहली मैपबुक जिसमे यूरोपियन देशो के मैप थे , वह रोम से अन्य जगह तक गई . १८वी शताब्दी तक डच पब्लिशिंग हाउस में कई प्रकार के एटलस का निर्माण हो चूका था . किसी में 922 तो किसी में 835 मानचित्र थे . ब्रिटिश दुनिया में 1627 में मानचित्र का आगमन जॉन स्पीड की ' ऐ प्रोस्पेक्ट ऑफ़ द मोस्ट फेमस पार्ट्स ऑफ़ द वर्ल्ड ' से हुआ . १९वी शताब्दी से पूर्व वर्ल्ड और रीज़नल एटलस का निर्माण शुरू हो चूका था . आज देश के विभिन्न स्थानों का रोड मैप , रेलवे मैप , सी मैप आदि हर प्रकार का एटलस तैयार है .
6- मापतोल -- 129 साल के बाद 60 देशों ने मिलकर मापने का पैमाना किलोग्राम की परिभाषा को बदल दी है। अब एक किलोग्राम को प्लांक कॉन्स्टेंट के आधार पर मापा जाएगा। अब 20 मई 2019 से वैज्ञानिक किलोग्राम को मापने के नए तरीके का प्रयोग करेंगे। दरअसल शुक्रवार (16 नवम्बर 2018) को फ्रांस के वर्साय में जनरल कॉन्फ्रेंस ऑन वेट्स एंड मेजर्स में 60 देशों के प्रतिनिधियों ने वोट के जरिए तय किया कि अब से किलोग्राम को प्लांक कॉन्स्टेन्ट के आधार पर मापा जाएगा। इसे मापने के लिए किब्बल तराजू का प्रयोग किया जाएगा जोकि बिजली( करंट) से चलता है। बताया जा रहा है कि एम्पीयर (बिजली की यूनिट), केल्विन (ठंडे तापमान की यूनिट) और मोल (पदार्थ की मात्रा की यूनिट) में भी बदलाव होंगे।
16 नवंबर से पहले किलोग्राम एक किलो का भार पेरिस में रखे एक धातु के सिलिंडर के बराबर माना जाता था। ये एक अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल का हिस्सा है, जिसपर वर्ष 1889 में सहमति बनी थी। इस प्रोटोकॉल का नाम 'इंटरनेशनल प्रोटोकॉल किलोग्राम' है, जिसे 'ल ग्रैंड के' भी कहा जाता है। इसके तहत पेरिस के ब्यूरो इंटरनेशनल द पॉइड्स एत मीजर्स इन सेवरेस में प्लेटिनम और इरीडियम के मिश्रण वाले एक मिक्स धातु का छोटा सिलिंडर के वजन को एक किग्रा माना जाता है। इस सिलिंडर को हर 30-40 साल में जांच के लिए बाहर निकाला जाता है और विश्वभर के बांटों को इससे नापा जाता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, किलोग्राम को प्लांक कॉन्स्टेंट के आधार पर मापने से बाजार में होने वाले माप का इसका असर नहीं पड़ेगा।
इस ईकाई को बदलने का सबसे मुख्य कारण ये है कि वैज्ञानिकों को लगता है कि पेरिस में रखा ये मानक किलो धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है। हालांकि ये किस कारण हो रहा है ये दावा करना अभी मुश्किल है। कुछ का मानना है कि ऐसा धातु के धीरे-धीरे क्षरण की वजह से हो रहा है तो वहीं ये भी हो सकता है कि दुनिया के अन्य बांटों पर धीरे-धीरे और चीजें (धूल वगैरह) जमा हो रहीं हैं, उस कारण भी ऐसा हो सकता है। बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले ही इस बांट में 30 माइक्रोग्राम की बढ़त दर्ज की गई थी। वैसे तो ये ग्राहकों के लिए अच्छी बात थी लेकिन वैज्ञानिकों के लिए ये चिंताजनक बात है। दरअसल दवाओं के मार्केट जैसे क्षेत्रों में इस कारण बड़े बदलाव आ सकते हैं क्योंकि इनमें वजन की मात्रा का सटीक पता होना बहुत अहमियत रखता है।
भारत के पास भी इस 'ल ग्रैंड के' की एक आधिकारिक कॉपी , जो दिल्ली के नेशनल फिजिकल लैबोरेटरी में रखा हुआ है। ये भारत का सबसे सही नाप वाला किलो माना जाता है। समय-समय पर इसे पेरिस माप के लिए भेजा जाता है।
8. स्विट्जरलैंड दुनिया का अकेला ऐसा देश है जहाँ 'प्रत्यक्ष लोकतंत्र ' है . मतलब सारे फैंसले जनता करती है।
9. भारतीय मानक समय -- भारतीय मानक समय और ग्रीनविच मध्य समय में '5.30' घंटे का अंतर है . ग्रीनविच मध्य समय इंग्लैंड से मापा जाता है . भारतीय मानक समय मिर्ज़ापुर (U.P.) से मापा जाता है .इंडियन स्टैण्डर्ड टाइम उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में 82.5* पूर्वी देशान्तर की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से तय किया जाता है . इस भौगोलिक बिंदु के पूर्व में स्थित राज्यों को बाकी राज्यों की तुलना में दिन के समय के हिसाब से कम रौशनी मिलती है .
10. भारत का भौगोलिक सेंटर पॉइंट --- भारत का भौगोलिक सेंटर पॉइंट करोंधी ( मनोहरगांव ) जिला कटनी ( म.प. ) में है . इसकी जबलपुर से दूरी 100KM और कटनी से 100KM है .सिहोरा तहसील में सिहोरा से 50 किलोमीटर दूर है. यह सेंटर पॉइंट डॉ. लोहिया जी ने मापा था . वो यहाँ एक अंतर्राष्ट्रीय गांव बसाना चाहते थे जहाँ पुरे देश से किसान इस गांव में आकर बसे और अपनी - अपनी संस्कृति के हिसाब से रहे . लोहिया जी की याद में इसका नाम मनोहर गांव रखा गया . यहाँ भारत के तत्कालीन प्रधान -मंत्री चंद्र शेखर जी भी आ चुके हैं . सेंटर पॉइंट के सामने महर्षि विश्वविद्यालय है जहाँ वेध - पाठ की पढ़ाई होती है . पुरे देश से ब्राह्मण यहाँ आकर पढ़ाई करते हैं . यहाँ राष्ट्रीय चिन्ह बना हुआ है .
करीब दो एकड़ जमीन में खेतों के बीच में ये पॉइंट बना है. जहाँ भारत के राष्ट्रीय चिन्ह चार शेरो की मूर्ति स्थापित है. चारो और बॉउंड्री है , पर्यटकों के बैठने की व्यवस्था है. ये जगह एक दम सुनसान जगह पर है. चारो और जंगल है.सेंटर पॉइंट के सामने एक घर है. यहाँ पर कई एकड़ जमीन अंग्रेजो की है. उनका एक आश्रम भी बना है. जहाँ पर अंग्रेज आकर साल- छ महीने रहकर जाते है. अंग्रेजो के अलावा इसमें अंदर कोई नहीं जा सकता।
आज़ादी से पहले नागपुर भारत का सेंटर पॉइंट था . जिसका नाम अंग्रेजो ने जीरो माइल स्टोन रखा था .. इस पॉइंट को ब्रिटिश हुकूमत ने स्थापित किया था जिसका उसे उपयोग वो भारत में सब जगह की दूरी मापने के लिए करते थे . यहाँ पर एक पिलर ( सैंडस्टोन ) और चार घोड़े ( हॉर्स ) बनाये गए हैं . अंग्रेज हुकूमत के अनुसार नागपुर भारत ( भारत - बांग्लादेश - पाकिस्तान ) के मध्य में स्थित है . इसलिए उन्होंने इसे सेंटर पॉइंट माना था .
11.- 21- मार्च और 23- सितम्बर को रात - दिन बराबर होते हैं। और साल का सबसे बड़ा दिन 21 जून होता है क्योंकि इस दिन सूर्य को उत्तर या दक्षिण ध्रुव से देखा जा सकता है और 22 दिसम्बर साल का सबसे छोटा दिन होता है।
12. इंग्लैंड दुनिया का ऐसा अकेला देश है जिसका सविधान अलिखित है .
13. एम्बुलेंस -- एम्बुलेंस शब्द गाड़ियों पर उल्टा लिखा जाता है . ताकि दूसरी गाड़ी वाले अपनी गाड़ी के शीशों में एम्बुलेंस शब्द तुरंत पढ़कर रास्ता दे दे . क्योंकि शीशे में हर चीज उलटी दिखाई देती है . इसलिए अगर एम्बुलेंस गाड़ी पर एम्बुलेंस शब्द उल्टा लिखा होगा तो दूसरी गाड़ी वालों को अपनी गाड़ी के शीशों में वो सुलटा दिखाई देगा . एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड के ड्राइवर द्वारा किये गए कुछ खून माफ़ होते हैं . ( जब वो इमर्जेन्सी में कहीं जा रहे हो ).
14. 'O' ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति हर ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को खून दे सकता है . 'AB' - ग्रुप वाला 'AB' को . 'A' - ग्रुप वाला 'A' या 'AB' ग्रुप वाले को . 'B' वाला 'B' या 'AB' वाले को . 'AB'- ग्रुप वाले कभी - कभी 'सर्वदाता ' कहा जाता है क्योंकि उसके खून में प्रति - पिंड का अभाव होता है . रक्त बैंक में एकत्रित रक्त में डेक्स्ट्रोज मिलाया जाता है जिससे रक्त का थक्का नहीं बन पता .
15. भारतीय मुद्रा इतिहास --- रुपया संस्कृत के 'रूप्पकणी' शब्द से बना है . इसका इस्तेमाल इसा पूर्व छठी शताब्दी में प्रारंभ हुआ था . रुपया को टकसाल में डालने का काम मोहम्मद - बिन - तुगलक ( 1486-1545 ईस्वी ) के कार्यकाल में हुआ था . पूर्वी -अफ्रीका के तटीय देश , खाड़ी स्थित अरब देश , भारतीय उपमहाद्वीप तथा दक्षिण पूर्वी एशियाई देश भारतीय रुपया को वर्तमान स्वरुप ( मुद्रा प्रतिक शुरू होने से पहले ) से ही पहचानते थे . हिन्द महासागर से जुड़े सभी देशो में रुपया स्वीकार्य था . एक समय ऐसा आया जब सिर्फ नेपाल और मालदीव में ही भारतीय रुपया स्वीकार्य रह गया . इसके अलावा सिंगापूर के मुश्तफा शॉपिंग सेंटर और लंदन के साउथ हॉल में रुपया का लेन - देन जारी रहा . पहले भारतीय मुद्रा में 1 पैसे , 2 पैसे ,3 पैसे , 4 पैसे , 5 पैसे , 10 पैसे , 20 पैसे , 50 पैसे भी चलन में थे . जुलाई -2010 में भारतीय मुद्रा प्रतिक जारी किया गया . इसके डिज़ाइन के लिए पब्लिक सर्वे किया गया . कैबिनेट के पास आये 3000 चिन्हो में से डी . उदय कुमार द्वारा डिज़ाइन चिन्ह को कैबिनेट ने भारतीय मुद्रा प्रतिक के रूप में मंज़ूरी दी .

16. ब्रिटेन के प्रभाव वाले एक छोटे से देश जिब्रालटर ने 08-जुलाई -2010 को बड़ी अनोखी करेंसी जारी की . इस करेंसी के एक तरफ तो रानी एलिजाबेथ द्वितीय का चित्र है और दूसरी तरफ जिब्रालटर के इतिहास को दर्शाने वाली तश्वीरे हैं . हर नोट पर अलग - अलग तश्वीर का इस्तेमाल किया गया है .
17. रसियन मुद्रा रूबल शब्द की उत्पति रुबित शब्द से मानी जाती है जिसका मतलब होता है - 'काटना '. रूस के लोग मानते है कि चांदी को टुकड़ो में बांटा गया और उससे बना दिया गया रूबल . सन 1704 में रूस पहला ऐसा देश बना जिसने दुनिया को पहली बार दसमलव मुद्रा से परिचित करवाया .
18. रानी एलिजाबेथ का चित्र 33 देशों की करेंसी पर है . उनका पहला इमेज कनाडा की करेंसी पर 1935 ईस्वी में अंकित किया गया जब वो मात्रा 9 साल की थी .
19. ब्रिटिश पौंड को दुनिया की सबसे प्राचीन मुद्रा माना जाता है . पहला पौंड स्टर्लिंग सिक्का सन 1972 में तैयार किया गया .
20. येन जापान की मुद्रा है . जापान ने अपने पडोसी देश चीन की करेंसी युआन को शुरू में उधार लिया था और उसकी नक़ल करते हुए जापान ने अपनी करेंसी बनाई जिसका नाम येन रखा गया . युआन का अर्थ होता है - गोलाकार वास्तु .
21. अमेरिकी डॉलर दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी है . दुनिया भर में सबसे बड़ी रिजर्व करेंसी अमेरिकी डॉलर ही है . डॉलर का चिन्ह कैसे बना और कहाँ से आया इस बारे में अनेक मान्यताये हैं . कुछ लोग इसकी उत्पत्ति अंग्रेजी में लिखे जाने वाले '8' के अंक से मानते हैं तो कुछ अंग्रेजी के अक्षर 'P' और 'S' के मिश्रण से . कुछ का मानना है कि इसका जन्म ' पिलर्स ऑफ़ हरकुलिस ' से हुआ है .
22. डॉलर के बाद दुनिया की सबसे ताकतवर करेन्सी यूरो है . इसका इस्तेमाल यूरोपीय यूनियन के 27 में से 16 देश करते हैं . यूरो के सिक्के और नोट 01- जनवरी -2002 से चलन में आये . वैसे इसे आधिकारिक रूप से 16-दिसंबर -1995 को स्वीकार कर लिया गया था . यूरो के प्रतिक चिन्ह के लिए भी पब्लिक सर्वे हुआ था और बेल्जियम के अलेप विलीट द्वारा तैयार डिज़ाइन को यूरोपियन कमीशन ने मंज़ूर किया था .
23. मुद्रा प्रतीक चिन्ह -- अभी तक चार देशों और यूरोपीय यूनियन ने अपनी मुद्राओं का प्रतिक चिन्ह बनाया है।
24. (-40*) तापमान होने पर सेल्सियस और फॉरेनहाइट तापमापियों में पाठ्यांक एक ही माना जाता है .
25. चौराहे पर या खतरे का लाल निशान इसलिए होता है क्योंकि लाल प्रकाश का प्रकिरण सबसे कम होता है .
26. इंद्रा - धनुष -- वायुमंडल में सूर्य की किरणों का जल की बूंदो द्वारा प्रवर्तन से बनता है . इसमें 7 रंग होते हैं . ये सूर्य से विपरीत दिशा में दिखाई देता है .
27. अश्रु - गैस में अमोनिया होता है और अग्निशमन में कार्बन - डाई - ऑक्साइड गैस होती है .
28. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों की कार्य - अवधि --- 9 साल होती है .
29. मोरारजी देसाई को भारत रत्न और निशान - ऐ - पाकिस्तान दोनों सम्मान मिले थे . उन्हें अपने जीवनकाल में ही भारत रत्न मिल गया था .
30. भारत रत्न से सम्मानित पहले विदेशी --- खान अब्दुल गफ्फार खान .
31. भारत के राष्ट्र गान का अंग्रेजी अनुवाद किया --- अरविन्द घोष ने .
32. भारत के चार मठो की स्थापना --- शंकराचार्य ने की .
33. ज्वार - भाटा --- चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति के कारण आते हैं . ज्वार लहरों का ऊपर उठना और भाटा लहरों का निचे उतरना .
34. ध्रुव तारा पृथ्वी की उत्तरी दिशा में स्थित एक चमकदार तारा है जो अपने स्थान पर स्थिर है .
35. स्मृति बढ़ाने के लिए ब्राह्मी पौधा कारगर होता है जिसका उल्लेख आयुर्वेद में मिलता है .
36. ध्रुवो पर 6 महीने दिन और 6 महीने रात रहती है .
37. दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य --महाभारत ( वेदव्यास द्वारा लिखित ) .
38. दुनिया का सबसे पहला महाकाव्य -- रामायण ( महृषि बाल्मीकि द्वारा लिखित है , जो दुनिया के पहले कवि और लेखक भी माने जाते हैं ) .
39. हिन्दू धर्म में 4 वेद हैं ---- ऋग्वेद ( सबसे पुराना वेद ) , सामवेद , यजुर्वेद , अर्थर्ववेद .
40. विश्व के अब तक युग --- सतयुग , द्वापर युग , त्रेतायुग , कलियुग .
41. कुम्भ मेला - भारत में चार जगह पर लगता है - प्रयाग , हरिद्वार , उज्जैन , नाशिक . प्रत्येक जगह पर 12 साल में एक बार मेला लगता है . और हर जगह पर ४ साल बाद कुम्भ मेला लगता है।
42. ब्रेन्डा एलिसन --- लंदन की रहने वाली इस महिला के शरीर में इतना विधुत चुम्बकीय आवेश है कि कोई भी लोहे की चीज उनके शरीर से कई मिनट चिपकी रह सकती है . उनके शरीर के संपर्क में आते ही बल्ब जलने लगते हैं . और कार के अलार्म बजने लगते हैं . बैटरी चालित खिलोने चलने लगते हैं . टी. वि . चलने लगता है और लाइट जलने लगती है .
43. तिब्बत में 4- दिन का सप्ताह मनाया जाता है .
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44. चिड़ियाघर - विश्व का पहला चिड़ियाघर 2400 वर्ष इसा पूर्व सम्राट ' सुलगी ' ने मेसोपोटामिया ( ईराक ) में बनवाया था . यह जनता के लिए नहीं था . फिर 1500 इसा पूर्व में मिस्त्र की महारानी ने अफ्रीका में जानवर इक्क्ठा किये और पहले सार्वजानिक चिड़ियाघर की स्थापना की इसके बाद चीन के शासक वेन वांग ने एक छोटे से कस्बे के आकार का चिड़ियाघर बनवाया जिसे ' गार्डन ऑफ़ इंटेलिजेंट्स ' कहा जाता था . आज विश्व का सबसे बड़ा चिड़ियाघर ' सान डिएगो ' में है , जहाँ 5100 प्रजातियां हैं .
45. दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात पत्र 2009 ईशा पूर्व का ' सुमेर ' का लिखा हुआ पत्र माना जाता है .
46. विश्व में सबसे पहले ' डेनमार्क ' ने 1219 में झंडे ( राष्ट्रीय प्रतिक ) लगाने की परम्परा डाली .
47. B.C. और ऐ.डी. ---- B.C. मीन्स बिफोर क्राइस्ट ( मतलब ईशा से पहले ) . साल का कैलकुलेशन ईशा मशीह के जन्म के हिसाब से होता है . B.C. का मतलब ईशा मशीह के जन्म से पहले का वक़्त होता है .
A.D.-- आइनो डोमिनी ( प्रभु के दौर में ) का मतलब ईशा मशीह के जन्म के बाद का समय . B.C. शब्द साल के बाद में लगाया जाता है जैसे - 440BC. AD शब्द साल के पहले लगाया जाता है जैसे AD-1947.
48. सरकारी तनख्वाह में ग्रेड पे --- (10000-300-40000)--का मतलब 10000- से -40000 के बिच सालाना वेतन वृद्धि 300/- की होगी . 300/- की वृद्धि के हिसाब से 100 साल बाद वेतन 40000/- तक पहुंचेगा . अगर इस वृद्धि को 3000/- मान ले तो वेतन 10- साल में 40000/- तक पहुंचेगा .
49. गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स --- हर साल प्रकाशित होने वाली पुस्तक है जिसमे विश्व कीर्तिमान प्रकाशित किये जाते हैं . सन 2000 तक इसे गिनीज़ बुक ऑफ़ रिकार्ड्स के नाम से जाना जाता था . यह विश्व में सबसे जयादा बिकने वाली किताब है . यह अमेरिकी विश्व विद्यालयों से सबसे जयादा चोरी होने वाली किताब भी है . क्रीतिमान करने वाले के बुलाने पर गिनीज़ बुक की टीम क्रीतिमान देखने खुद आती है . गिनीज़ बुक की टीम अपने सामने क्रीतिमान करवाती है . उसके बाद बुक में रिकॉर्ड दर्ज़ करती है .
50. अदालतों की वेशभूषा हमारे यहाँ अंग्रेजी राज की देन है . यूरोप में न्यायाधीश और वकील ऐसे लबादे पहनते हैं . ये लबादे वहां के राजदरबार और गिरजाघरों के पादरी भी पहनते हैं . दरबारों में इनके रंग लाल , काला , सफ़ेद भी होता है . विश्व - विद्यालयों के दीक्षांत समारोह में भी ये लबादे पहनते हैं . ये लबादे उत्तम कर्म यानि नोबल प्रोफेशन से जुड़े हैं . पहले न्यायाधीश कोट के साथ एक खास किस्म की टोपी भी पहनते थे . हमारे वकील सफ़ेद कपड़ो पर काले कोट और सफ़ेद रंग की टाई लगाते हैं , जिसमे दो पट्टियां सामने की और होती हैं . इसे वकील अब अपने चिन्ह की तरह इस्तेमाल में लाते हैं . इस काले और सफ़ेद के पीछे सबसे बड़ा कारण इस व्यवस्था की अन्तर्विरोधी प्रवर्ति का है . न्याय से जुड़े लोगो को दो विपरीत धारणाओं के बीच से न्यायपूर्ण निर्णय को निकालना होता है . सफ़ेद और काले रंग विपरीत धारणाओं के प्रतिक हैं . एक बात यह भी कही जाती है की काला रंग सुरक्षा का रंग है . वकील अपने मुवक्किल की रक्षा का प्रयास करता है . लेकिन अब दुनिया भर में इन परिधानों में बदलाव आ रहा है .
51. जम्मू - कश्मीर ---- जम्मू एंड कश्मीर की दो राजधानी हैं . सर्दियों में 6- महीने जम्मू और गर्मियों में 6- महीने श्रीनगर . ये परम्परा सन 1872 में महाराजा रणजीत सिंह ने शुरू की थी जो आज तक चालू है . सन 2012 में राजधानी श्रीनगर से जम्मू शिफ्ट करने में 10- करोड़ का खर्च आया था .
52. ब्रिटेन में T.V. घर में रखने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता है . ब्लैक एंड वाइट T.V. का लाइसेंस लेने का कम खर्च आता है . इसलिए आज भी ब्रिटेन में कई घरो में ब्लैक एंड वाइट T.V. हैं . कलर T.V. का लाइसेंस लेना काफी महंगा है .
53. ' ओमायकोंन ' नामक रूस का गांव दुनिया में सबसे ठंडा गांव है . जहाँ का तापमान हमेशा माइनस में रहता है . यह गांव 1912 के आसपास बसाया गया था . पहले यहाँ रेन्डियर का बसेरा था . -52* तापमान होते ही यहाँ स्कूल बंद हो जाते हैं . इसे ' पोल ऑफ़ कोल्ड ' या 'हार्ट ऑफ़ साईबेरिया ' भी कहा जाता है . यहाँ मोबाइल काम नहीं करते . चश्मा चेहरे से चिपक जाता है . गाड़ियों के स्टार्ट न होने के डर से यहाँ गाड़ियों को दिन भर बंद नहीं किया जाता है . पेन में स्याही जम जाती है . 19- फ़रवरी -2013 को यहाँ पारा -77* तक हो गया था . जो दुनिया का रिकॉर्ड है .
54. अमेरिका के ओरेन स्वार्ट्ज़ ने मात्र 14- साल की उम्र में इंटरनेट सर्च इंजिन की खोज की थी . ( रिच साईट समरी ) . जिस का यूज करके आज गूगल और याहू काम कर रहे हैं . कॉपी राइट उलंघन के मामले में उन्हें 30-साल की सजा होने वाली थी . लेकिन उन्होंने उससे पहले ही 26- साल की उम्र में जनवरी -2013 में आत्म - हत्या कर ली .
55. बीकानेर ( राजस्थान ) के देशनोक माता मंदिर ( करणी माता मंदिर ) में हज़ारो चूहे खुले आम घूमते हैं . जो खाना , पानी या प्रसाद चूहे कहते हैं . वही ( उनका झूठा ) भक्त , पुजारी भी खाते हैं . यहाँ चूहों को माता का अवतार समझा जाता है . इनका झूठा खाने से कोई बीमारी नहीं होती .
56. भालू आग को देखकर भाग जाता है .
57. सांप के काटने पर देखना चाहिए की दो दांत वाला है या तीन दांत वाला . दो दांत वाला जहरीला होता है और तीन दांत वाला जहरीला नहीं होता .
58. हाथी अगर पीछे पड़ा हो तो हमेशा ऊंचाई की तरफ भागना चाहिए .
59. कोई पत्ता जहरीला है या नहीं इसका पता लगाने के लिए पहले उस पत्ते को हाथ पर रगड़ कर देखे , फिर कान के पीछे और फिर जीभ से थोड़ा चख कर देखे . यदि कहीं भी तीखा लगता है या चरचराहट होती है तो वो जहरीला है नहीं तो खाने योग्य है .
60. ' विक्टोरिया रेज़िया ' --- एक ऐसा सूंदर फूल है जो 14-साल में एक बार खिलता है . इस फूल की पत्तिया 6-मीटर चौड़ी होती हैं . पहली रात को तो इसका फूल सफ़ेद होता है . लेकिन बाद में धीरे - धीरे इसका रंग ग़ुलाबी हो जाता है . यह ब्रिटेन , होलेंड समेत कई यूरोपीय देशो में पाया जाता है . जब यह फूल खिलता है तो इसकी सुरक्षा में गॉर्ड लगाने पड़ते हैं .
61. उत्तरी गोलार्ध में गर्मियों में सूरज बहुत जल्दी उगता और देर से डूबता है . इसलिए अगर घड़ियां आगे कर दी जाए तो रौशनी का ज्यादा उपयोग हो सकता है . इसका सुझाव सबसे पहले ( 1784 ) ' बेंजामिन फ्रेंकलिन ' ने दिया था .1907 में ' विल्लियम वॉलेट ' ने बसंत से लेकर पतझड़ तक घड़ियों को 80 मिनट आगे करने का सुझाव दिया . सन 1916 में आखिरकार एक अधिनियम पारित किया गया जिसके अनुसार बसंत में घड़ियों को एक घंटा आगे करने और फिर पतझड़ में ग्रीनविच मानक समय पर लोटा देना तय हुआ . यूरोपीय संसद के एक अधिनियम के अनुसार मार्च के अंतिम रविवार से लेकर अक्टूबर के अंतिम रविवार तक ग्रीष्मकालीन समय लागु होता है .
62. १८वी सदी में ' डेनियल ' नामक व्यक्ति को घोड़ों की नाल इक्कठी करने का शौक था . उसकी मौत के बाद उसके घर में 30 क्विंटल घोड़े की नाल मिली .
63. सीएमएस में बीएससी क्लास में सुषमा अपनी साथी लड़कियों के सामने बिल्कुल नन्ही दिखती हैं। वह यहाँ सबसे कम उम्र की छात्रा है। यही उम्र आड़े आ गई वर्ना इस समय वह एमबीबीएस कर रही होती। इस बात का उसे अफसोस भी बहुत है। न्यूनतम उम्र भी पूरी न कर पाने की वजह से ही लखनऊ के छत्रपति साहू जी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय ने सुषमा को एमबीबीएस में प्रवेश नहीं दिया। सुषमा सिर्फ 11 साल की हैं। वह पूछती हैं कि अगर मेरी उम्र कम थी तो फिर प्रवेश परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र क्यों जारी कर दिया। सुषमा का तर्क है कि जब लखनऊ विश्वविद्यालय उसे बीएससी में दाखिले की अनुमति दे सकता है तो एमबीबीएस में भी दाखिला मिलना चाहिए। सुषमा का जन्म 7 फरवरी 2000 को रायबरेली में हुआ। उनके पिता तेज बहादुर वर्मा को अपनी इस असाधारण बेटी की प्रतिभा का तब पता चला जब उन्होंने मात्र दो साल आठ महीने में ही रामायण का पाठ कर दिया। तेज बहादुर बताते हैं कि उन्होंने सुषमा को कभी भी रामायण पढ़ने को न तो प्रेरित किया और न ही सिखाया। वह बताते हैं कि वे लोग गा बजा कर रामायण का पाठ किया करते थे उसी से सुषमा ने सीख लिया। महज सात साल की उम्र में ही यूपी बोर्ड से हाई स्कूल परीक्षा पास करने का विश्व रिकॉर्ड बनाने पर सुषमा का नाम लिम्का वर्ल्ड बुक आफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज किया गया। सेंट मीरास कॉलेज की प्रिंसिपल अनीता रात्रा उनके दाखिले की घटना को बहुत दिलचस्प तरीके से बताती हैं। ‘डॉयचे वेले' को उन्होंने बताया, 'जब वह आई तो मुझे लगा कि वह गलती से नर्सरी की जगह नौवीं लिख गई है। तब मैंने उसे बुलाकर पूछा तो कहा कि नहीं मुझे नौवीं में ही दाखिला चाहिए। वह बोली कि हाई स्कूल की गणित की किताब का कोई भी सवाल दे दीजिए। उसे सवाल दिया गया तो उसने बताया कि इसमें माइनस होगा तभी इसका जवाब सही आएगा।' अनीता के मुताबिक वह उसकी प्रतिभा देखकर भौंचक रह गईं। फिर प्रबंधक से कहा गया तो उन्होंने शिक्षा विभाग से विशेष अनुमति लेकर सुषमा का दाखिला कर लिया। इसी स्कूल से सुषमा ने हाई स्कूल किया और 10 साल 6 महीने की उम्र में इंटर किया। यहीं रहकर उन्होंने सीपीएमटी पास किया। इस स्कूल के प्रबंधक ने एक क्लास रूम (कमरा) सुषमा के परिवार को दे दिया है जिसमें तेज बहादुर का परिवार रहता है। यहाँ से सुषमा को 2500 रुपये महीना वजीफा भी मिलता है। पिछले मंगलवार को लखनऊ विश्वविद्यालय ने सुषमा को बीएससी जीव विज्ञान में दाखिले की इजाजत दे दी तो वह एक बार फिर सुर्खियों में आ गईं। सीएमएस की प्रिसिंपल विनीता कामरान बताती हैं कि वह वाकई विलक्षण लड़की है। लखनऊ विश्विद्यालय से काफी कोशिश के बाद वह उसे इजाजत दिला पाई हैं। कामरान बताती हैं कि कई बार उन्हें प्रवेश समिति को समझाना पड़ा। कामरान नहीं मानतीं कि इस सफलता के चक्कर में सुषमा का बचपन कहीं गुम हो गया। वह कहती हैं कि सुषमा इतनी सक्षम है कि बचपन का भी लुत्फ ले रही हैं और कुछ बनने का जुनून भी पूरा कर रही है। सुषमा ने 'डॉयचे वेले' से कहा कि वह डॉक्टर बनना चाहती हैं। बचपन से उनकी यही इच्छा है। नन्ही सुषमा के लिए बचपन का मतलब होश संभालने से है। सुषमा का बड़ा भाई भी उससे दो हाथ आगे है। वह 15 वर्ष की उम्र में कम्प्यूटर की डिग्री हासिल कर चुका है। वह भी लिम्का बुक में अपना नाम दर्ज करा चुका है। पिता तेज बहादुर को नहीं पता कि रात भर इंटरनेट पर वह क्या करता है। बस दिन भर सोता है और किसी से मिलता-जुलता नहीं है। तेज बहादुर को इस बात का जरा भी मलाल नहीं है कि सरकार उसके परिवार के लिए कुछ नहीं कर रही है।
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