1. देशी महीने -- विक्रम संवत
विक्रम संवत् भारतीय पञ्चाङ्ग में समय गणना की प्रणाली का नाम है। सम्वत 57 ई. पू. मालवा के राजा विक्रम ने गुजरात से शकों को पराजित कर के उनका शासन समाप्त किया और राजा विक्रम ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की और विजय के उपलक्ष्य में विक्रम संवत कैलेंडर शुरू किया। इसमें चंद्र और सूर्य की गति की गणना के आधार पर दिन, महीने, साल तय होते हैं।
शक संवत
शक संवत भारत का राष्ट्रीय कैलंडर है. इस संवत का आरंभ 78 ई. पू. हुआ था. इस संवत का आरंभ कुषाण राजा 'कनिष्क महान' ने किया था।
देशी महीने ---
पौष
माघ –
फाल्गुन –
चैत्र –
वैशाख –
ज्येष्ठ –
आषाढ़ –
श्रावण –
भाद्रपद -
आश्विन –
कार्तिक –
मार्गशीर्ष –
2. जल प्रदूषण, स्वास्थ्य और पानी को कैसे बचाएं
पानी हम सबकी जरूरत है।इंसान , जानवर, फसल, पेड़ पौधे कोई भी पानी के बिना जीवित नहीं रह सकता।धरती पर पानी बहुत ही कम है।इसीलिए हम सबको पानी बचाना चाहिए नहीं तो भविष्य में पानी हमें पीने को भी नहीं मिलेगा।आज भी बुंदेलखंड राजस्थान,दिल्ली और विदर्भ जैसी जगहों पर पानी की किल्लत बनी रहती है।पानी के लिए लंबी लम्बी लाइने लगती हैं।कुएं, नलकूप आदि के पानी सूख चुके हैं।क्योंकि जमीन से ज्यादा पानी खींच लिया है।
अगर हम पानी बचाने के प्रयास करें तो भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए भी कुछ पानी बच सकता है।
उपाय और सावधानियां --
1. ज्यादा से ज्यादा तालाब और कुएं बनाएं जाए ताकि बारिश का पानी इक्कठा किया जा सके।
2. तालाब और कुओं में प्लास्टिक, नुकीली चीज,कचरा और गन्दा पानी नहीं डालना चाहिए।
3. जैविक खेती अपनानी चाहिए। जहरीले उर्वरक और जहरीली कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल फसलों पर नहीं करना चाहिए।इनसे धरती के अंदर का पानी खराब हो जाता है।
4. धरती से पानी का दोहन कम से कम करना चाहिए।
5. तालाबों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए।
6. नदियों और नहरों में कचरा,नुकीले समान, जहरीला पानी, प्रदूषित पानी, लाश , प्लास्टिक नहीं डालने चाहिए।
7. नदियों, नहरों, तालाबो के किनारे शौच कर्म नहीं करना चाहिए।
8. नहाते समय , कपड़े धोते समय या पशुओं को नहलाते समय ज्यादा पानी बर्बाद नहीं करना चाहिए।
9. नल खुला नहीं छोड़ना चाहिए।
10. मिट्टी के बर्तन में पानी रखना और पीना चाहिए।आर ओ का पानी कम से कम पियें।आर ओ से पानी की बर्बादी भी होती है और सेहत भी खराब होती है।
11. कुएं और नलकूप का पानी ही पीना चाहिए।जो ठंडा और स्वास्थ्य वर्धक होता है।
12. रात को तांबे या कांसी के बर्तन में पानी रखें और सुबह खाली पेट पिये।जिससे कई बीमारियां ठीक होती हैं।
13. सूक्ष्म या ड्रिल सिंचाई पध्दति अपनाए और पानी बचाएं।
14. अगर कहीं पानी सप्लाई की पाइप टूटी हो तो तुरंत जल विभाग या बुजुर्गों या सरपंच को खबर दें।
15. कहीं नल खाली चलता हुआ दिखाई दे तो उसे बन्द कर दें।
16. सार्वजनिक शौचालय और प्याऊ का इस्तेमाल करने के बाद नल को बंद करें।अगर किसी और ने खुला छोड़ रखा है तो उसे भी बन्द कर दें।
17. फैक्टरियों से निकलने वाले दूषित-जहरीले पानी से नदियां दूषित होती हैं क्योंकि उस दूषित जल या कैमिकल को नदियों में छोड़ दिया जाता है। सरकार ने कदम उठाकर फैक्टरियों के दूषित पानी का निस्तारण करने के लिए कदम उठाए हैं।ताकि दूषित जल नदियों में ना छोड़ा जाए।
3. सड़क सुरक्षा और यातायात के नियम
हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लाखों मौत, अपंगता, चोट लगती है।मनुष्यो के साथ ही जानवर भी मारे जाते हैं और घायल होते हैं।हमारी जल्दबाजी और थोड़ी सी लापरवाही के कारण किसी का परिवार खत्म हो जाता है।एक आदमी की मृत्यु से पूरा परिवार तबाह होता है।कोई कमाने वाला नहीं बचता, बच्चे अनाथ हो जाते हैं।जानवरों को तो कोई संभालने वाला भी नहीं होता,इलाज तो दूर है।इसलिये हमें अपनी गाड़ी हमेशा सुरक्षित तरीके से चलानी चाहिए।दूसरों को भी सुरक्षित गाड़ी चलाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
गाड़ी चलाने के सुरक्षित नियम --
1. 18 साल का होने पर अस्थाई लाइसेंस बनवाये और गाड़ी चलाना सिंखे , गाड़ी सीखने के बाद स्थाई लाइसेंस बनवाये।
2. गाड़ी हमेशा यातायात नियमों के अनुसार चलायें।
3. सड़क पर लगे चिन्हों को देखें और उनका अनुपालन करते हुए गाड़ी चलाएं।
4. नाबालिग बच्चों को मोटर सायकल, कार, ट्रेक्टर ना चलाने दें ।
5. ध्यान रखें गाड़ी हमेशा ठीक से रिपेयर हो।किसी तरह की खराबी हो तो ठीक करवाएं ।
6. गाड़ी चलाने से पहले गाड़ी के चारों तरफ और नीचे देख लें कोई जानवर या बच्चा तो गाडी के आसपास या गाड़ी के नीचे नहीं है।
7. ब्रेक और क्लच को देख लें वो सही काम कर रहे हैं या नहीं।
8. गाड़ी की लाइट और वाईपर देख लें वो सही काम कर रहे हैं या नहीं।
9. गाड़ी हमेशा सुरक्षित तरीके से चलाए ,ज्यादा तेज गति से ना चलाये।ताकि अगर कोई जानवर या बच्चा अचानक सामने आ जाये तो ब्रेक लगाने में आसानी हो और कोई दुर्घटना ना घटे।
10. किसी को रफ तरीके से ओवरटेक ना करें।जगह मिलने पर और जिस सड़क पर ओवरटेक मान्य है वहीं पर ओवरटेक करें।
11. शराब या अन्य नशा करके गाड़ी ना चलाएं।
12. थकावट या बीमारी की अवस्था में गाड़ी ना चलाएं।
13. रात में गाड़ी ना चलाये।जिसकी रात की ड्यूटी हो वो दिन में पर्याप्त नींद ले लें उसके बाद गाड़ी चलाएं।
14. गाड़ी में सवारी उतनी ही बिठायें जितनी सरकार द्वारा मान्य हों।और वजन उतना ही लोड करें जितनी गाड़ी की कैपेसिटी हो।ओवरलोड गाड़ी ना चलाएं। ओवरलोड गाड़ी से एक्सीडेंट होने और रोड़ टूटने का खतरा रहता है।
15. मोड़ और भीड़ भाड़ वाली जगहों पर गाड़ी को बहुत ही सावधानी से चलाएं और कम गति से चलाएं।
16. गाड़ी चलाते समय ज्यादा खुले या ज्यादा टाइट कपड़े ना पहने।
17. ढलान पर गाड़ी को न्यूटल गियर में ना चलाएं।
18. अनावश्यक हॉर्न ना बजाएं। ट्रैफिक जाम में हॉर्न ना बजाएं। किसी के एकदम पास जाकर अचानक हॉर्न ना बजाएं।इससे ध्वनि प्रदूषण फैलता है और ध्यान भटकने से दुर्घटना हो सकती है।
19. कानों में ईयर फोन लगाकर या मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी ना चलाएं। कोई जरूरी फोन हो तो गाड़ी रोककर बात करें।
20. टायर हमेशा अच्छे होने चाहिए।घिसे और फ़टे टायरों से एक्सीडेंट होने का खतरा बना रहता है।
21. दो पहिया वाहन पर हेलमेट लगाएं और चार पहिया वाहन पर सीट बेल्ट लगाएं।
22. गाड़ी में बोतल -बोल आदि ऐसा सामान ना रखें जो ब्रेक और क्लच के नीचे फंस जाए।
23. गाड़ी में खाना ना बनाएं।गाड़ी के नीचे या आसपास खाना ना बनाएं।
24. गाड़ी में कोई ज्वलनशील पदार्थ ना रखें जैसे स्टोव- कैमिकल आदि।
25. सामने वाली गाड़ी से गैप देकर चलें।
26. गैस-तेल टैंकर के पास या पेट्रोल पंप पर गाड़ी खड़ी ना करें।
27. गाड़ी पार्किंग में ही खड़ी करें।गाड़ी खड़ी करके हैंड ब्रेक लगाएं, व्हील चौक लगाएं और गाड़ी की चाबी निकाल लें। गाड़ी को ढलान पर ना खड़ी करें।
28. अचानक ब्रेक ना लगाएं। गली या किसी रोड़ से दूसरे रोड़ पर चढ़ते वक्त पहले दाएं बाएं देखें फिर दूसरे रोड़ पर गाड़ी चढ़ाएं।
रोड सिग्नल्स--
4. वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण एक गम्भीर समस्या बन चुका है।बढ़ती आबादी, बढ़ते वाहन और पेड़ो को अंधाधुन काटने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
हम कुछ सावधानियां बरत कर वायु प्रदूषण कम कर सकते हैं।हवा शुद्ध होती है तो मनुष्य,जानवर,पक्षी, पेड़ सब स्वस्थ्य रहते हैं।
प्रदूषण कम करने के उपाय
1. ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं क्योंकि पेड़ कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। मनुष्य - जानवर ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। सिर्फ गाय ही ऑक्सीजन ग्रहण करती है और ऑक्सीजन छोड़ती है।पेड़ मिट्टी का कटाव भी नहीं होने देते। पेड़ो की वजह से धरती के पानी का स्तर भी बना रहता है।अपने जन्म दिन पर एक पेड़ जरूर लगायें और समय समय पर उसमें पानी डालें।पीपल,निम,बरगद के पेड़ ज्यादा लगाएं।ज्यादा पेड़ होंगे तो तापमान कम होगा,गर्मी ज्यादा नहीं पड़ेगी।
2. सार्वजनिक परिवहन साधनों (बस-रेल) का प्रयोग करें। निजी वाहन का इस्तेमाल ज्यादा जरूरी हो तभी करें।
3. गाड़ी को अच्छे से रिपेयरिंग करवाते रहें और प्रदूषण स्तर की जांच करवाते रहे।ध्यान रखें गाड़ी मानक स्तर से ज्यादा धुवां ना छोड़े।गाड़ियों के धुएं से वायु प्रदूषण होता है।
4. खुले में शौच ना करें।
5. अवशिष्ट या कचरा और पराली आदि को ना जलाएं । उन्हें जैविक खाद बनाने और जानवरों का चारा बनाने के काम में ले।
6. प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करें।प्लास्टिक लिफाफे का इस्तेमाल ना करें।क्योंकि प्लास्टिक कंभी भी खत्म नहीं होता है और उससे जल- वायु प्रदूषण होता है। बेसहारा जानवर भी सड़को- गलियों में पड़ी प्लास्टिक पन्नी को खा जाते हैं जिससे उनका स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
7. ए सी का इस्तेमाल ना करें। एसी की वजह से प्रयावरण को नुकसान होता है।वातावरण में गर्मी बढ़ जाती है।
8. जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग ना करें। इनसे वायु, जल और मिट्टी प्रदूषण होता है।
9. फैक्टरियों और चिमनियों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण होता है।सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए हैं।
10. पेपर कम से कम उपयोग करें।दोनों तरफ से पेज प्रयोग करें।फालतू में पेपर को फाड़ कर ना फैंके।पेपर को रद्दी वाले को बेच दें ताकि वो रीसायकल हो सके। पेड़ो से पेपर बनते हैं।अगर पेपर ज्यादा प्रयोग होंगे तो पेड़ ज्यादा कटेंगे जिससे प्रयावरण को नुकसान होगा।
5. बुजुर्गों का मान सम्मान, छोटो की इज्जत, लड़कियों का सम्मान।
हमेशा अपने से छोटों की शर्म-इज्जत करें, अपने बुजुर्गों का सम्मान करें, बड़ों से डर महसूस करें और उनकी इज्जत करें, सभी लड़कियों का सम्मान करें।जिस समाज में डर,शर्म,इज्जत नहीं होते वो समाज चरित्रहीन और आपराधिक प्रवृत्ति का बन जाता है।इसलिए हर व्यक्ति को समाज के रहन - सहन, बोल चाल की मर्यादा , आपसी सहयोग का भाव अपनाना चाहिए।
1. अपने बुजुर्गों , अपने से बड़ों का सम्मान करें। उन्हें राम राम और नमस्कार करें। उनका हाल चाल पूछे। अगर बुजुर्ग-बूढ़े आदमी को किसी चीज की जरूरत हो तो उसकी सहायता करें।हमेशा उनका कहना माने।
2. बुजुर्गों , मां-बाप, दादा-दादी का भय मन में होना जरूरी है जिससे कि हम कोई गलत काम करने से पहले कई बार सोचें और हमारे हाथों से कोई गलत काम ना हो।
3. अपने से छोटों को प्यार करें और उनकी शर्म करें। छोटों के सामने कोई भी गलत काम ना करें जैसे नशा करना, किसी को गाली देना आदि।
4. अपने माँ बाप - दादा दादी का सम्मान करें । सुबह उठ कर उन्हें राम राम और नमस्कार करें। उनका कहना माने।
5. जो भी अपना पारिवारिक काम है उस काम में हाथ बंटवाये।
6. लड़कियों का सम्मान करें।उनसे इज्जत से बात करें। उनकी सहायता करें।
7. लड़कियों से गलत हरकत ना करें।गलत भाषा का प्रयोग ना करें।
8. लड़कियों पर हाथ ना उठाएं।
9. खाने पीने की चीज पहले लड़कियों को दें।
10. त्योहारों और शादी ब्याह में लड़कियों का सम्मान करें। कन्याभोज का आयोजन करें।
11. बुजुर्गों के स्वास्थ्य और खान पान का ध्यान रखें।
12. मां बाप के सामने ऊंची आवाज में बात ना करें।
13. मां बाप की सलाह से ही काम करें।
14. मां बाप की मर्जी से शादी करें।
15. मां बाप - दादा दादी समेत किसी भी बुजुर्ग को अपमानित ना करें।
16. कोई भी व्यक्ति उम्र में अगर बड़ा है तो उसे नाते के हिसाब से बोले।तमीज से बात करें।
6. ध्वनी प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण से हमारी श्रवण शक्ति कमजोर हो जाती है।हमें सुनना बन्द हो सकता है।इसलिए ध्वनि प्रदूषण ना करें और दूसरों को भी जागरूक करें।तेज आवाज से जानवरों को दिक्कत होती है।वो चौंक जाते हैं। तेज आवाज से बीमार और बूढ़े व्यक्तियों को भी तकलीफ होती है।
सावधानियां --
1. शौर वाली जगह पर जाएं तो कानों में ध्वनि निरोधक लगा कर ही जाए जैसे फैक्ट्री या रेलवे विभाग।
2. सारा दिन कानो में ईयर फोन ना लगाएं।मोबाईल पर सारा दिन गाने सुनना और ईयर फोन लगाकर मोटर सायकल चलाना गलत आदत है।
3. बिना वजह हॉर्न ना बजाएं।लगातार हॉर्न ना बजाएं।
4. तेज आवाज में म्यूजिक ना सुने। तेज आवाज में टीवी ना चलाये।
5. तेज आवाज में डीजे, लाउड स्पीकर ना बजाएं।
6. किसी के कान में अचानक तेज आवाज में ना बोलें।खासकर बच्चों का ध्यान रखें।
7. ज्यादा तेज आवाज वाले पटाखे ना बजाएं।
8. ज्यादा तेज आवाज में बात ना करें।
7. बिजली ( एनर्जी ) बचाएं
आज बिजली हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन चुकी है।लेकिन संसाधनों की कमी और बड़ी जनसँख्या के कारण बिजली की कमी पूरी नहीं हो पा रही है।बिजली विभाग भी घाटे में चल रहे हैं जिस कारण वो नई योजनाएं नहीं ला पा रहे हैं।बिजली कोयले , पानी और सौर ऊर्जा से बनती है। हमारा दायित्व है कि हम बिजली बचाने में सहायता करें और बिजली बिल समय पर भरें।
सावधानियां ---
1. जब जरूरत ना हो घर-ऑफिस के पंखे,कूलर,ए सी, लाइट आदि बन्द कर दें।
2. काम करने के बाद कंप्यूटर बन्द कर दें।
3. टीवी को कोई देख ना रहा हो तो बन्द कर दें।
4. चार्जर से मोबाईल निकालने के बाद बटन बन्द कर दे।
5. ए सी का प्रयोग ना करें या कम से कम करें।
6. एल ई डी बल्ब और कम पावर खाने वाले पंखे इस्तेमाल करें।
7. पानी की मोटर और ट्यूबवेल के पास खड़े रहे जैसे ही काम खत्म हो तुरन्त बन्द कर दें।
8. अपने घर की छतों पर सोलर सिस्टम लगवाएं।
9. रात को लाइटें बन्द कर के सोएं।
10. बिजली चलित उपकरणों पर खाना बनाने की बजाय गैस पर खाना बनाएं।
11. अलग अलग कमरों में पंखे, ए सी, टीवी चलाने से अच्छा घर के सभी सदस्य एक जगह बैठें जिससे बिजली की बचत भी होगी और आपसी तालमेल भी बनेगा।
8. स्वास्थ्य, योग और व्यायाम
पहला सुख निरोगी काया। अगर हम स्वस्थ रहेंगे तो खुश रहेंगे।इसलिए अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें।योग और व्यायाम से शरीर को स्वस्थ रखें।अगर हम योग और व्यायाम करेंगे तो शरीर भी हष्ट पुष्ट रहेगा , कई बीमारियां होंगी ही नहीं या कट जाएंगी और पैसे की भी बचत होगी।
योग- व्यायाम से दिमाग भी तेज होता है।जिससे हम पुलिस , सेना, खेल या अन्य प्रतियोगिताओं के लिए भी तैयार हो जाते हैं।
योग हमारी प्राचीन पध्दति है।योग से सभी भयंकर बीमारियां खत्म हो जाती हैं जैसे केंसर, लकवा, ब्लड प्रेशर आदि।
योग और व्यायाम --
1. शीर्षासन - रोग प्रतिरोधक क्षमता, उत्साह, स्फूर्ति, कार्यक्षमता बढ़ाता है।
(चित्र)
2. सर्वांगासन - रक्त संचार सही होता है, थाईराइड ठीक होता है,पेट के अंग सही काम करते हैं, गर्भपात की समस्या दूर होती है।
(चित्र)
3. प्राणायाम -- याददाश्त बढ़ती है, फेफड़े मजबूत होते हैं,पेट की समस्याएं और महिलाओं की समस्याएं दूर होती हैं।
(चित्र)
4. अनुलोम- विलोम - - फेफड़े और हृदय बलवान बनते हैं,पाचन तंत्र और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है,सर्दी-जुकाम और दमा ठीक होते हैं।
(चित्र)
5. सुबह सुबह दौड़ लगाएं।
6. दण्ड बैठक जैसे हल्के व्यायाम करें।
7. नङ्गे पाव घास पर चलें।
8. फ़ास्ट फ़ूड, तले हुए सामान, रिफाइंड तेल के सामान, पिज़्ज़ा, बर्गर आदि ना खाएं।
9. ज्यादा ठंडे और ज्यादा गर्म सामान ना खाएं।फ्रिज में रखे सामान कम से कम खाएं।
10. कोक आदि सॉफ्ट ड्रिंक ना पियें।
11. एनर्जी प्रोडक्ट, पॉवर प्रोडक्ट, विटामिन-कैल्शियम की गोली-दवाई ना लें।
एनर्जी वाले इंजेक्शन ना लगवाएं।
12. घी-दूध, फल, हरि सब्जी, दही आदि का इस्तेमाल करें।
13. घर पर बने हुए स्वास्थ्य वर्धक व्यंजन खाये जैसे - खोवा, मैथी के लड्डू, काली मिर्च के लड्डू, गौंद आदि।
14. नशा और धूम्रपान ना करें। गुटखा, तम्बाकू आदि का सेवन ना करें।
9. साफ सफाई
साफ सफाई का हमारे जीवन में बहुत महत्व है।साफ सफाई रखने से हम और बाकी जीव जंतु, पशु स्वस्थ रहते हैं।साफ सफाई से वातावरण भी स्वस्थ बनता है। जहां साफ सफाई रहती है वो जगह भी खूबसूरत लगती है।साफ सफाई रहने से किट-पतंग, मच्छर, मक्खी भी कम पनपते हैं।
साफ सफाई के नियम -
1. अपने घर की सफाई करें। सूखा और गिला कचरा अलग अलग जगह पर डाले।
2. कोई नुकीली चीज या शीशा कचरे में ना डालें।
3. अपने घर के सामने गली की सफाई करें।
4. जल निकासी नाली या नाले में कोई ठोस वस्तु या कचरा ना डालें।ऐसा करने से नाली या नाला जांम हो जाता है।
5. गली या सड़क पर कूड़ा करकट ना फैंके।
6. शौच अपने घर के शौचालय या सामुदायिक शौचालय में ही जाएं।
7. कई लोग इक्कठे होकर सामुदायिक जगह जैसे मंदिर, परस, स्कूल,सामुदायिक भवन आदि की सफाई भी कर सकते हैं।
8. सवेरे उठकर दांतो पर ब्रश करें, शौच करें और स्नान करें, साफ सुथरे कपड़े पहने।
9. हाथ और पैरों के नाखून साफ रखें।
10. खाना खाने या पानी पीने से पहले हाथ धोएं।
11. गिलास को मुंह लगाकर पानी ना पियें। अगर पियें तो गिलास को अच्छे से धो दें।
12. नदियों, तालाबों, कुओं , नहरों और रजबायो को गन्दा ना करें।
13. मरे हुए पशुओं को मिट्टी में दफना दें।
10. गौमाता और बेसहारा जानवर
- गाय हमारी माता है।गाय का महत्व ग्रन्थो में भी बताया गया है।भगवान श्रीकृष्ण भी गाय पालते थे , उनको खेतों में चराते थे।
गौमाता की हमेशा सेवा करें। हर घर में कम से कम एक गौमाता तो होनी ही चाहिए। हर घर में पहली रोटी गाय की बनती थी।जो आज नहीं बन रही है।
गाय हमें घी, दूध, गौमूत्र, दही, गोबर देती है। घी, दूध, दही से सेहत बनती है और अनेकों रोग दूर होते हैं। गोबर से जैविक खाद बनती है। जिससे फसल अच्छी होती है और मिट्टी उपजाऊ बनती है। गौ मूत्र से अनेको दवाई बनती हैं।गौमूत्र, निम और गुड़ से जैविक कीटनाशक बनता है।जिससे खतरनाक कीटों से फसल की रक्षा होती है, फसल के मित्र कीटों को नुकसान नहीं होता और न ही प्रयावरण और मिट्टी को कोई नुकसान होता है। फसल भी विटामिन - प्रोटीन युक्त पैदा होती है।
गाय घर में होने से घर का वातावरण भी शुद्ध होता है।खतरनाक किट घर में नहीं आते।घर में ऊर्जा बनी रहती है।गाय पर हाथ फेरने से ब्लड प्रेशर भी ठीक रहता है। गाय के निकट रहने मात्र से बीमारियां दूर भाग जाती हैं।
आज गाय और बैल बेसहारा घूम रहे हैं।उनको पानी, चारा नहीं मिलता।किसी के घर या खेत में घुसने पर घायल कर दिया जाता है।सड़कों पर एक्सीडेंट हो जाता है।इसलिए हमें बेसहारा पशुओं के लिए सार्वजनिक जगह पर पानी की व्यवस्था करनी चाहिए।घर आये तो पानी और चारा देना चाहिए।कभी भी जानवरों को मारना नहीं चाहिए,उन पर अत्याचार नहीं करने चाहिए। कोई जानवर एक्सीडेंट हो गया तो उसका इलाज करवाना चाहिए और किसी गौशाला में छोड़ना चाहिए।