16. संगीत और वेद मंत्रों में गजब की शक्ति ( रोहतक ) संगीत और वेद मंत्रों में गजब की शक्ति होती है, ऐसा साबित भी हो चुका और कई उदाहरण भी हमारे सामने आ चुके हैं। मगर रोहतक में संगीत और महामृत्युंजय मंत्र ने एक शख्स की जिंदगी ही बदल दी। मुंह के कैंसर के बाद आवाज खो चुके एक पायलट की आवाज संगीत और मंत्र से लौट आई। बात सुनने में भले ही अजीब लगे मगर सौ फीसदी सच है। रोहतक के सेक्टर-2 निवासी राजीव पायलट कभी मरना चाहते थे। वहीं, आज जिंदादिली से जिंदगी जी रहे हैं। डॉक्टर्स ने भी मुंह के कैंसर से आवाज चले जाने और कभी बोल न सकने की बात कही। मगर पायलट की दृढ़ इच्छाशक्ति व म्यूजिक थेरेपी से ऐसा चमत्कार हुआ कि अब चर्चा का विषय बन गया है। इतना ही नहीं अब वो अपनी जिंदगी की संजीवनी (म्यूजिक थेरेपी) से दूसरों की भी मदद कर रहे हैं।
म्यूजिक थेरेपिस्ट राजीव ने बताया कि पारिवारिक कलह से साल 2005 में तलाक हो गया। दो बच्चों समेत पत्नी छोड़कर चली गई। उधर, पार्टनरशिप में बनाई फैक्ट्री में आग से इतना नुकसान हुआ कि उबर ही नहीं पाया। छोटे भाई की बीमारी के कारण मौत हो गई। सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। एक वक्त ऐसा आया कि खुद को मारना चाहता था। सिविल एविएशन का शानदार करियर इन सभी घटनाओं से डगमगा गया। खुद को मारने के तरीके खोजने लगा।
मैं मीलों ऊंचाई पर प्लेन उड़ा हवा में बाते करता था, लेकिन पत्नी व बच्चों के विरह ने तोड़ दिया। फांसी पर लटककर या ट्रेन से कटकर मरने की हिम्मत नहीं हुई। डिप्रेशन का शिकार हो गया। पूरी-पूरी रात जगकर बिताने लगा। खुद को शराबनोशी में डुबा लिया। गुटखा, पान मसाला, तंबाकू व धूम्रपान की लत लगा ली। यह लत मुंह के कैंसर तक ले आई। साल 2011 में पहली बार पहली स्टेज के कैंसर का पता चला।
उन्होंने बताया मेरी बीमारी पर मां-बांप गमगीन थे। हालांकि, मैं बहुत खुश था। इतना खुश कि करीब छह साल बाद पहला दिन ऐसा रहा कि शराब व धूम्रपान नहीं किया। इस बीच मेरी फिक्र में मां तृष्णा बीमार रहने लगी। अल्जाइमर से ग्रस्त हो गई। जब मां की बीमारी का पता चला तो गहरा आघात लगा। अंदर से महसूस हुआ कि मेरे बाद बूढ़े माता-पिता का क्या होगा। छोटे बेटे की अर्थी को पिता पहले ही कंधा दे चुके थे। मेरे चले जाने के बाद इनका क्या हश्र होगा। मैं सहम गया। एक बार फिर मां-बाप के लिए जीना चाहता था।
म्यूजिक थेरेपिस्ट बोले- तू जिएगा भी और बोलेगा भी
उन्होंने बताया दिसंबर 2012 तक कैंसर चौथी स्टेज में पहुंच गया था। जनवरी 2013 में मुंह के कैंसर के लिए ऑपरेशन हुआ। जिसमें आधी जीभ काट दी गई। आवाज चली गई। पूरा शरीर काला पड़ गया। डॉक्टरों ने बताया कि कभी बोल नहीं पाएगा। मैं निराश था। इंटरनेट पर इलाज के लिए समाधान ढूंढने लगा। बेंगलुरु के म्यूजिक थेरेपिस्ट डॉ. टीवी साइराम के बारे में पता चला। मां के साथ उनसे मिलने गया, डॉ. ने मेरे बारे में मां से जानकारी ली व कहा तू जिएगा भी और बोलेगा भी।
सात माह बाद लौटी आवाज
डॉक्टर की सलाह पर रोजाना गाने का अभ्यास करने लगा। हालांकि, मुंह से आवाज नहीं निकलती थी। कई बार बेचैन हो जाता था। सोचता था कि डॉक्टर ने मजाक किया है। एक दिन मां ने बताया कि महामृत्युंजय मंत्र (ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्) का जाप करने की कोशिश किया करो। पहले तो मैंने टाल दिया, लेकिन एक दोस्त ने मंत्र के वैज्ञानिक फायदे बताए। महामृत्युंजय मंत्र जपने पर जीभ 360 डिग्री घूमती है। करीब सात माह बाद मेरी आवाज वापस आई। शुरू में अटक कर बोल पाता था। नियमित अभ्यास से आवाज साफ हो गई है।
डिप्रेशन के मरीजों का कर रहे इलाज
राजीव पायलेट सेक्टर-2 स्थित अपने निवास पर ही डिप्रेशन के शिकार लोगों का इलाज कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि म्यूजिक थेरेपी इतनी कारगर है कि कोमा में गए मरीजों को भी फायदा पहुंचाती है। फिलहाल डिप्रेशन व अनिद्रा से ग्रस्त लोग सलाह के लिए आ रहे हैं।
17. भुने हुए चने-- का नाम आने पर आपको हींग वाले चने का स्वाद याद आ गया होगा. अगर आप सिर्फ स्वाद के लिए चने खाते हैं तो इन्हें अपने रूटीन में शामिल कीजिए. जी हां, रोजाना भुने हुए चनों का सेवन आपके शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाता है. यह पौष्टिक होता है और पेट की कब्ज को दूर करता है. आपको बता दें बाजार में छिलके वाले और बिना छिलके दो तरह के चने मिलते हैं. कोशिश करें कि बिना छिलके वाले चने ही आप खाएं. चने के छिलके भी सेहत के लिए अच्छे होते हैं.
भुने हुए चनों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, कैल्शियम, आयरन और विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. भुने हुए चने खाने के फायदों के बारे में पढ़कर शायद आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा हो कि एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन कितने चने खाने चाहिए. इस बारे में वसंत कुंज स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर की सीनियर डायटीशियन डॉ. हिमांशी शर्मा बताती हैं कि एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 50 से 60 ग्राम चनों का सेवन करना चाहिए. यह उसकी सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद रहता है.
बढ़ती है प्रतिरोधक क्षमता
रोजाना नाश्ते में या दोपहर के खाने से पहले 50 ग्राम भुने हुए चने यदि आप खाते हैं तो इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से आप बहुत से बीमारियों से तो बचते ही हैं, साथ ही इससे आपको मौसम बदलने पर अक्सर होने वाली शारीरिक परेशानियां भी नहीं होती.
मोटापा घटाए
अगर आप या आपके परिवार में कोई मोटापे से ग्रस्त हैं तो भुने हुए चने खाना उनके लिए बहुत ही फायदेमंद रहेगा. रोजाना भुने हुए चने खाने से मोटापे की समस्या में राहत मिलती है. इसका सेवन शरीर से अतिरिक्त चर्बी को पिघलाने में मदद करता है.
पेशाब संबंधी रोग से छुटकारा
भुने हुए चनों के सेवन से पेशाब से जुड़ी बीमारियों से छुटकारा मिलता है. जिनको भी बार-बार पेशाब आने की समस्या हो उन्हें रोजाना गुड़ के साथ चने का सेवन करना चाहिए. आप देखेंगे कि इससे कुछ ही दिन में आराम मिलने लगेगा.
नंपुसकता दूर करें
भुने हुए चने दूध के साथ खाने से स्पर्म का पतलापन दूर हो जाता है और वीर्य गाढ़ा होता है. यदि किसी पुरुष का वीर्य पतला है तो चना खाने से आराम मिलेगा. भुने चने को शहद के साथ खाने से नंपुसकता दूर हो जाती है और पुरुषत्व में वृद्धि होती है. भुने चने खाने से कुष्ठ रोग भी समाप्त हो जाता है.
कब्ज में राहत
जिन लोगों को कब्ज की समस्या होती है, उन्हें रोजाना चने खाने से बहुत आराम मिलता है. कब्ज शरीर में कई बीमारियों का कारण होती है. कब्ज होने पर आप दिनभर आलस महसूस करते हैं और परेशान रहते हैं.
पाचन शक्ति बढ़े
चना पाचन शक्ति को संतुलित और दिमागी शक्ति को भी बढ़ाता है. चने से खून साफ होता है जिससे त्वचा में निखार आता है. चने में फॉस्फोरस होता है जो हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ाता है और किडनी से एक्स्ट्रा साल्ट निकालता हैं.
मधुमेह में लाभकारी
भुने हुए चने खाने से मधुमेह रोग में भी लाभ मिलता है. भुने हुए चना ग्लूकोज की मात्रा को सोख लेते है जिससे डायबिटीज रोग नियंत्रित हो जाता है. डायबिटीज रोगियों के प्रतिदिन भुना हुआ चना खाने से ब्लड शुगर का लेवल कम होता है. इसके अलावा भुने हुए चने को रात में सोते समय चबाकर गर्म दूध पीने से सांस नली के अनेक रोग दूर हो जाते हैं.
18.. कोई पत्ता जहरीला है या नहीं इसका पता लगाने के लिए पहले उस पत्ते को हाथ पर रगड़ कर देखे , फिर कान के पीछे और फिर जीभ से थोड़ा चख कर देखे . यदि कहीं भी तीखा लगता है या चरचराहट होती है तो वो जहरीला है नहीं तो खाने योग्य है .
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